'एशिया में अराजकता न फैलाएं', यूक्रेन युद्ध का समर्थक बताने पर भड़का चीन, NATO पर साधा निशाना

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि नाटो के वॉशिंगटन शिखर सम्मेलन की घोषणा में चीन से संबंधित पैराग्राफ 'पक्षपातपूर्ण, उत्तेजक और बीजिंग को अपमानित करने के उद्देश्य से' भरे हुए हैं. लिन ने कहा, 'हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और इसका दृढ़ता से विरोध करते हैं. हमने नाटो के सामने एक गंभीर राजनयिक विरोध दर्ज कराया है.'

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो) चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • बीजिंग,
  • 11 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 10:13 PM IST

चीन ने गुरुवार को पश्चिमी सैन्य गठबंधन नाटो पर निशाना साधा. नाटो ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में चीन को 'निर्णायक समर्थक' करार दिया था. चीन 'भड़काऊ' टिप्पणियों के लिए पश्चिमी गठबंधन के सामने राजनयिक विरोध दर्ज कराया और कहा कि एशिया में 'अराजकता' न लाएं.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि नाटो के वॉशिंगटन शिखर सम्मेलन की घोषणा में चीन से संबंधित पैराग्राफ 'पक्षपातपूर्ण, उत्तेजक और बीजिंग को अपमानित करने के उद्देश्य से' भरे हैं. लिन ने कहा, 'हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और इसका दृढ़ता से विरोध करते हैं. हमने नाटो के सामने गंभीर राजनयिक विरोध दर्ज कराया है.'

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'एशिया में अराजकता न लाएं'

उन्होंने नाटो के एशिया-प्रशांत प्रयास की भी आलोचना की और कहा कि संगठन चीन के पड़ोसियों और अमेरिकी सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है. चीन ने नाटो से एशिया में 'अराजकता' न फैलाने को कहा.

लिन ने कहा कि नाटो की एशिया प्रशांत रणनीति ने चीन के हितों को नुकसान पहुंचाया है. चीन ने नाटो से उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'चीन दृढ़ता से अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की रक्षा करेगा.'

नाटो ने चीन पर साधा निशाना

नाटो वॉशिंगटन शिखर सम्मेलन ने बीजिंग की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि चीन अपनी साझेदारी और रूस के डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस के लिए बड़े पैमाने पर समर्थन के माध्यम से 'यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध का निर्णायक समर्थक बन गया है'.

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इसके अलावा, रूस के करीबी सहयोगी बेलारूस के साथ चीन के सैन्य अभ्यास की भी नाटो द्वारा तीखी आलोचना की गई. खासकर इसलिए क्योंकि वे नाटो के सदस्य देश पोलैंड की सीमा के करीब आयोजित किए जा रहे हैं.

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