कॉरपोरेट फेवर, एहसान और 13 अरब की घूसखोरी... चीन के करप्शन की क्लासिक कहानी, जहां हुई 2-2 सजा-ए-मौत!

चीन का टॉप बैंकर बाई तियानहुई कहानी बन गया है. उसे मंगलवार को ही मौत की सजा दी गई. 4 साल में 13 अरब रुपये डकारने वाला ये बैंकर चीनी समाज का स्याह पक्ष दिखाता है. जहां करप्शन कल्चर की तरह रचता बसता है. बाई की कहानी चीन की तरक्की के एक अलग पक्ष को उजागर करता है.

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बाई ने 4 साल में 13 अरब रुपये रिश्वत के रूप में डकारे. (Photo: South China Morning Post) बाई ने 4 साल में 13 अरब रुपये रिश्वत के रूप में डकारे. (Photo: South China Morning Post)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

बीजिंग की सुबहों में अक्सर धुंध ऐसी होती है मानो इमारतों की चोटी पर हल्की सी परत चढ़ी हो. ऐसे ही माहौल में 1990 और 2000 के दशक में एक आदमी था. एक छोटा-मोटा बैंकर. तब चीन तेज तरक्की कर रहा था. ये व्यक्ति हर दिन ऑफिस जाते हुए खुद को चीन के उभरते वित्तीय साम्राज्य का हिस्सा महसूस करता था. नाम था बाई तियानहुई. 

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वह न तो फिल्मी दुनिया का हीरो था, न कोई माफ़िया का डॉन. वह एक बैंकर था. लेकिन कम्युनिस्ट चीन में कुछ बैंकरों की पहुंच किसी मंत्री से कम नहीं होती है. 

रिश्वत के तौर पर 4 साल में 13 अरब रुपये डकारने वाले इस बैंकर को मंगलवार को चीन में मौत की सजा दे गई. बाई तियानहुई नाम का ये शख्स अपनी मौत के साथ ही कई कहानियां और कुछ सबक छोड़ गया है.

चीन की तरक्की, मुंहमांगे कर्ज और करप्शन की बहार

1990 और 2000 के दशक में चीन तेजी से तरक्की कर रहा था. बैंक, कंपनियों, फर्मों और लोगों को खूब लोन बांट रहे थे. ज्यादातर लोन तो वसूल हो जाते, लेकिन कई थे तो सरकार का पैसा पचा जा रहे थे.  

चीन में 2000 के दशक में सरकार ने “बेड लोन” की रिकवरी के लिए बड़ी-बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां बनाईं. इन्ही में से एक कंपनी थी हुआरोंग (Huarong). डूबे कर्जों की वसूली के लिए बनाई गई कंपनियों में ये सबसे बड़ी कंपनी थी. इसी कंपनी के विदेश वाले विंग Huarong International में काम करता था बाई तियानहुई. कुछ किस्मत, कुछ अपनी मेहनत और कुछ परिस्थितियां. बाई तियानहुई कामयाबी की सीढ़ियां धीरे-धीरे चढ़ता गया. 

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लेकिन इस कामयाबी के साथ उसके मन में लालच की बीज जन्म ले चुका था. 

जनरल मैनेजर बाई ने ऐसे बनाया पैसा

Huarong International हांगकांग में काम करता था. यह यानी चीनी कानून से थोड़ा बाहर था लेकिन चीनी स्टेट के रेंज से बाहर नहीं था. 

बाई को यह पोज़िशन बेहद सूट कर गई. वह इस कंपनी का जनरल मैनेजर बन चुका था. बाई ने 2014 से 2018 तक इस पद पर काम किया, जब चीन की अर्थव्यवस्था में बैड डेब्ट की समस्या चरम पर थी और सरकारी कंपनियां आक्रामक रूप से निवेश और अधिग्रहण कर रही थीं. 

बाई को विदेशी फंडिंग को मंजूरी देने का अधिकार था. वह निर्णय ले सकता था कि किस प्रोजेक्ट को अरबों युआन दिए जाएं. बाई ने   2014 से 2018 के बीच अपनी विभिन्न उच्च पदों का दुरुपयोग कर प्रोजेक्ट अधिग्रहण और कॉर्पोरेट फाइनेंसिंग में लाभ पहुंचाने के नाम पर कई कंपनियों / संस्थाओं को मदद दी. इसके बदले में उसने तगड़ी रिश्वत ली.  

उदाहरण के लिए बाई निवेशकों या कंपनियों को प्रोजेक्ट्स में फेवर देने के बदले में नकद या अन्य लाभ लेता था. यह रकम इतनी बड़ी थी कि अदालत ने इसे "अत्यधिक विशाल" करार दिया, और कहा कि इससे राज्य और जनता के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचा. 

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बाई के बॉस को पहले ही हो चुकी है फांसी

यह भ्रष्टाचार Huarong ग्रुप के व्यापक घोटाले का हिस्सा था, जहां पहले ही उनके पूर्व बॉस लाई शियाओमिन को 2021 में 2.7 अरब युआन के घूस के लिए फांसी दी जा चुकी थी. 

चीन के अखबार साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट का कहना है कि चीनी अदालतों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी पाए गए सरकारी कर्मचारियों को मौत की सज़ा देना दुर्लभ है. लेकिन यहां अपराध का वोल्यूम अत्यधिक था. 

बाई भ्रष्टाचार के लिए मौत की सजा पाने वाला हुआरोंग का दूसरा सीनियर एग्जीक्यूटिव था.

कहा जा सकता है कि Huarong International चीन के करप्ट अधिकारियों के लिए लूट का अड्डा था. यहां अधिकारियों ने अरबों रुपये बनाए. 

चीन की वित्तीय दुनिया में रिश्वत अचानक होने वाली घटना नहीं है

चीन की वित्तीय दुनिया में रिश्वत किसी अचानक होने वाली घटना की तरह नहीं आती. यह एक संस्कृति की तरह बढ़ती है. पहले फेवर दिया जाता है, फिर एहसान लिया जाता है और तब शुरू होता है स्टेट को चूना लगाने का काम. 

बाई ने अपने पद का दुरुपयोग करके 2014 से 2018 के बीच कुल 1.1 अरब युआन (लगभग 155-156 मिलियन डॉलर) के घूस लिए.

कैसे पकड़ा गया बाई

बाई को पकड़ना चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दशक भर पुराने एंटी-करप्शन अभियान का हिस्सा था, जिसे सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन द्वारा चलाया जाता है. 

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यह अभियान वित्त क्षेत्र पर केंद्रित है, जहां 2025 में ही 54 से अधिक वरिष्ठ बैंकरों और रेगुलेटर को गिरफ्तार किया गया. 

हुआरोंग ग्रुप पर 2020 से जांच चल रही थी, इसी दौरान लाई की गिरफ्तारी हुई. बाई की जांच इसी सीरिज का हिस्सा थी. उनके बॉस के मामले ने पूरे संगठन की गड़बड़ियों को उजागर कर दिया था.  CCDI ने सबूत इकट्ठा किए, जिसमें घूस की रकम, लेन-देन के रिकॉर्ड और गवाहों के बयान शामिल थे. बाई को 2023 में गिरफ्तार किया गया, लेकिन विस्तृत जांच के बाद मई 2024 में मुकदमा चला और उसे मौत की सजा सुनाई गई. 9 दिसंबर 2025 को उसे मौत की सजा दी गई है. 

साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट के अनुसार उसे मौत की सजा कैसे दी गई है इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आ पाई है. लेकिन सजा देने से पूर्व उसे अपने नजदीकियों से मिलने दिया गया. 

कोर्ट ने क्या कहा

बाई को पिछले साल मई में तियानजिन की दूसरी इंटरमीडिएट पीपल्स कोर्ट ने दोषी ठहराया और सज़ा सुनाई थी. इसके बाद मौत की सज़ा की समीक्षा की गई और सुप्रीम पीपल्स कोर्ट ने इसे मंजूरी दे दी.

कोर्ट ने मंगलवार को कहा, "बाई तियानहुई द्वारा ली गई रिश्वत की रकम बहुत ज़्यादा थी, अपराध के हालात बहुत गंभीर थे और इसका सामाजिक असर भी बहुत बुरा था."

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इसमें यह भी कहा गया कि बाई के अपराध ने देश और चीनी लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाया है और "उसे कानून के अनुसार कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए".

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि मामले के तथ्य "साफ" थे और बाई के खिलाफ सबूत "निर्णायक और पर्याप्त" थे इसलिए उसकी सज़ा "उचित" थी.

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