कनाडा के इमरजेंसी विभागों में बढ़ती भीड़, स्टाफ की कमी और लंबे इंतज़ार ने संकट के हालात पैदा कर दिए हैं. 2024 में करीब पांच लाख लोग डॉक्टर से मिले बिना ही अस्पताल से चले गए. ये एक ऐसा आंकड़ा है जो सिस्टम पर भारी दबाव और मरीजों में बढ़ती निराशा को साफ दिखाता है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और बिगड़ सकती है.
ताज़ा रिपोर्ट से पता चलता है कि 2024 में लगभग पांच लाख कनाडाई मरीज इमरजेंसी विभाग में पहुंचे, लेकिन डॉक्टर से मिलने से पहले ही अस्पताल से वापस लौट गए. विशेषज्ञों के मुताबिक यह संख्या इससे भी अधिक हो सकती है.
PEI में सबसे अधिक, ओंटारियो में सबसे कम प्रतिशत
2024 के लिए मिले आंकड़ों के अनुसार, मरीजों के लौटने का प्रतिशत कनाडाई प्रांत प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI) में सबसे ज्यादा लगभग 14% रहा. इसके बाद मैनिटोबा में लगभग 13% और न्यू ब्रंसविक में लगभग 12% मरीज बिना जांच करवाए लौटे. ओंटारियो में यह संख्या देश में सबसे कम रही, जहां केवल लगभग 5% मरीज ही डॉक्टर से मिले बिना चले गए.
2019 में यह आंकड़ा ज्यादातर प्रांतों में 10% से भी कम था, लेकिन अब यह लगातार बढ़ता जा रहा है. न्यूफ़ाउंडलैंड और लैब्राडोर जैसे प्रांतों में तो यह संख्या दोगुनी हो गई है. 2024 में यहां 35,000 से अधिक लोग इलाज से पहले ही अस्पताल से चले गए.
लंबा इंतज़ार बना सबसे बड़ी समस्या
न्यू ब्रंसविक के इमरजेंसी चिकित्सक और कैनेडियन एसोसिएशन ऑफ इमरजेंसी फिजिशियन (CAEP) के बोर्ड निदेशक, डॉ. फ्रेज़र मैके कहते हैं कि लंबे इंतजार की वजह से लोग हार मानकर वापस चले जाते हैं. "अक्सर ऐसा होता है कि मरीज एक दिन पहले आए थे, इंतज़ार नहीं कर सके और चले गए. जब दोबारा आते हैं तो हालत और बदतर हो चुकी होती है."
रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर से पहली बार मिलने का इंतज़ार और इमरजेंसी में बिताया जाने वाला कुल समय दोनों लगातार बढ़ रहे हैं. स्टाफ की कमी, पारिवारिक डॉक्टरों की कमी, और “बोर्डेड मरीजों” का दबाव यानी वे मरीज जो अस्पताल में भर्ती तो हो चुके होते हैं, लेकिन बिस्तर खाली होने तक इमरजेंसी में फंसे रहते हैं—इन सबका सीधा असर इमरजेंसी सेवाओं पर पड़ रहा है.
मरीजों की परेशानियां भी बढ़ीं, कई मामलों में हालत गंभीर हुई
न्यू ब्रंसविक की 51 वर्षीय सुज़ैन गॉर्डन इस समस्या का उदाहरण हैं. जून में तेज़ पेट दर्द और उल्टी के साथ अस्पताल पहुंचीं, लेकिन अव्यवस्थित और भीड़भाड़ वाले वेटिंग रूम में तीन घंटे से ज्यादा इंतज़ार के बाद घर लौट गईं. कुछ हफ्तों बाद उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जहां उनकी अपेंडिक्स की तत्काल सर्जरी की गई. उन्होंने कहा, “अब समझ में आता है कि मैंने खुद को खतरे में डाल दिया था. लगता है कि हमारी व्यवस्था टूट चुकी है.”
एक और दर्दनाक मामला: 16 वर्षीय फिनले की मौत
ओंटारियो के ओकविल में 16 वर्षीय फिनले वैन डेर वर्केन को तेज पेट दर्द के बाद इमरजेंसी में लाया गया था. उसे “लेवल 2” यानी तत्काल देखभाल की श्रेणी में रखा गया, जहां डॉक्टर को 15 मिनट के भीतर जांच करनी चाहिए थी लेकिन फिनले को 8 घंटे 22 मिनट तक इंतजार करना पड़ा. इस दौरान उसकी स्थिति बिगड़ती रही और उसे निमोनिया से सेप्सिस हो गया. उसके अंग फेल होने लगे और अंततः उसकी मौत हो गई. उसका परिवार अब अस्पताल नेटवर्क पर मुकदमा कर रहा है और कहता है कि समय पर इलाज मिलता तो उसकी जान बच सकती थी.
बदलाव की मांग: 'फिनले कानून'
फिनले का परिवार चाहता है कि ओंटारियो सरकार “फिनले लॉ” लाए, जिसमें बच्चों के लिए इमरजेंसी विभाग में अधिकतम वेटिंग टाइम तय किया जाए. उनकी ऑनलाइन याचिका पर अब तक 30,000 से अधिक हस्ताक्षर हो चुके हैं. हालांकि स्वास्थ्य मंत्री सिल्विया जोन्स ने परिवार से मुलाकात की है.
प्रांतों की प्रतिक्रिया
PEI, मैनिटोबा और न्यू ब्रंसविक सहित कई प्रांतों ने कहा है कि वे स्टाफ बढ़ाने, अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने और मरीजों को फैमिली डॉक्टर्स व वर्चुअल केयर से जोड़ने पर काम कर रहे हैं. ओंटारियो के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सरकार पिछले तीन सालों में स्वास्थ्य सेवाओं में “रिकॉर्ड निवेश” कर चुकी है, और भी सुधार किए जा रहे हैं.
लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ाई जारी
फिनले के माता–पिता का कहना है कि वे अपने बेटे की याद में बदलाव लाने के लिए लड़ते रहेंगे. हेज़ल वैन डेर वर्केन कहती हैं, “वह बहुत शानदार बच्चा था. अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि उसकी आवाज़ बनें और सिस्टम को बेहतर बनाने की कोशिश करें.”
हुमरा असद