सीरिया में अब विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के हाथ सत्ता, जानें किस किरदार का क्या था रोल?

सीरिया में लगभग डेढ़ दशक से चल रहे गृहयुद्ध के बाद आखिरकार विद्रोहियों को जीत मिल गई है. विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है और राष्ट्रपति बशर अल-असद परिवार समेत देश छोड़कर जा चुके हैं. इस गृहयुद्ध में कई देशों ने अलग-अलग किरदार निभाए.

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सीरिया में विद्रोहियों की एक तस्वीर सीरिया में विद्रोहियों की एक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST

सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जे के बाद अब विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया है.  सीरिया में कई स्थानों पर हिंसा जारी है.  सेना ने घोषणा कर दी है कि मुल्क अब असद के राज से आजाद हो गया है. इस बीच राष्ट्रपति असद के राजधानी दमिश्क छोड़ने की खबर आ रही है. सेना के अधिकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति असद दमिश्क छोड़कर किसी अज्ञात जगह पर चले गए हैं. 

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दमिश्क में अफरातफरी का माहौल है और सुबह बड़ी संख्या में लोग ज़रूरी सामान एकत्र करने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े हैं. कई दुकानों में तो सामान तक खत्म हो चुका है. सीरिया बीते एक दशक से भी अधिक समय से गृह युद्ध देख रहा है लेकिन दमिश्क में आज तक ऐसे हालात नहीं हुए.  सीरिया में पिछले एक दशक से जो हालात हैं उसमें केवल विद्रोही ग्रुप और सरकार ही नहीं बल्कि कई देश और संगठन भी जिम्मेदार हैं.

तो आइए नजर डालते हैं कि सीरिया में लंबे समय से चल रहे गृह युद्ध के प्रमुख किरदार कौन-कौन रहे-

सीरियाई सरकार

राष्ट्रपति राष्ट्रपति बशर अल-असद के नेतृत्व वाली सीरियाई सरकार 2011 में शुरू हुए लंबे और विनाशकारी गृह युद्ध का केंद्र रही है. कई वर्षों के युद्ध के बाद, असद सरकार ने ईरान, रूस और लेबनान के हिजबुल्लाह की मदद से विद्रोही गुटों से गंवाए अधिकांश क्षेत्र को वापस ले लिया.

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हयात तहरीर अल-शाम

हयात तहरीर अल-शाम (HTAS) का गठन सीरिया के गृहयुद्ध की शुरुआत में तब हुआ था, जब जिहादियों ने सैकड़ों विद्रोही और आत्मघाती हमलों के साथ असद समर्थक सुरक्षाबलों से लड़ने के लिए अल नुसरा फ्रंट का गठन किया था. इसके शुरुआती संबंध इस्लामिक स्टेट (IS) और फिर अल कायदा से थे. 2016 के मध्य तक, यह संगठन पूरी तरह से सक्रिय हो गया था. नुसरा फ्रंट ने अन्य गुटों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम की स्थापना की.

अमेरिका
ओबामा प्रशासन ने शुरू में सरकार के खिलाफ़ विद्रोह में शामिल विपक्षी समूहों का समर्थन किया, उन्हें सीमित प्रभाव के साथ हथियार और प्रशिक्षण तक की सुविधाएं मुहैया कराई. 2014 में इस्लामिक स्टेट के आने के बाद, अमेरिकी सेना ने हवाई हमलों और कुर्दिश बलों की सहायता से आतंकवादी समूह से जंग लड़ी. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2019 में उनमें से कई सुरक्षा बलों को वापस बुला लिया, लेकिन अभी भी सीरिया में अमेरिका के 900 सैनिक हैं. गौर करने वाली बात ये है कि असद सरकार कुर्दिश के खिलाफ रही है.

तुर्की
तुर्की की सेना ने सीरिया की सीमा के अंदर जाकर कई सैन्य ऑपरेशन किए, जिनमें से अधिकतर सीरियाई कुर्दिश नेतृत्व वाली सेनाओं के खिलाफ रहे हैं. तुर्की अब भी सीरिया की उत्तरी सीमा पर प्रभावी रूप से नियंत्रण रखता है.

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रूस
सीरिया के गृहयुद्ध के दौरान, रूस असद के सबसे वफादार विदेशी समर्थकों में से एक रहा है. असद को समर्थन देने के लिए पुतिन ने वहां पर रूसी सैनिकों को भेजा. इसके अलावा सेना की मदद के लिए रुस ने दुश्मनों पर बमबारी के लिए जेट विमान भी दिए.रूसी सैनिक आज भी सीरिया में मौजूद हैं और उसके सीरिया में हवाई और नौसैनिक अड्डे भी हैं.

ईरान और हिज़्बुल्लाह

सीरिया ईरान की "प्रतिरोध की धुरी" का एक प्रमुख हिस्सा है, जो कुछ देशों और समूहों का एक नेटवर्क है जिसमें हिजबुल्लाह, हमास और यमन के हूती शामिल हैं.  ये संगठन इजरायल को नष्ट करना और क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को कम करना चाहते हैं.

इजरायल
सीरिया में इजरायल की सैन्य गतिविधियां मुख्य रूप से हिजबुल्लाह और ईरानी ठिकानों, विशेष रूप से वरिष्ठ सैन्य कर्मियों, हथियार उत्पादन सुविधाओं और ट्रांसपोर्ट कोरिडोर के खिलाफ हवाई हमलों पर केंद्रित रही हैं, जिसका उपयोग ईरान हिजबुल्लाह को हथियार भेजने के लिए करता है.

कुर्दिश सेना
सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में कुर्दिश सेना अमेरिका की मुख्य स्थानीय साझेदार बनी रही है. कुर्द लड़ाके अभी भी अपने पुराने दुश्मन तुर्की से जूझ रहे हैं, जिन्हें तुर्की कुर्द अलगाववादी विद्रोह से जुड़ा मानता है.

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