बांग्लादेश की नवगठित नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) ने आगामी आम चुनावों के लिए जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने का औपचारिक ऐलान कर दिया है. इस गठबंधन का ऐलान रविवार को जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर रहमान ने किया, जिसकी पुष्टि बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स में हुई है.
एनसीपी की शुरुआत इसी साल की गई थी और इस पार्टी का गठन उन छात्र नेताओं ने किया था, जिन्होंने पिछले साल शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन की अगुवाई की थी. हालांकि, एनसीपी का इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने का फैसला पार्टी के भीतर गहरी दरार पैदा कर रहा है.
पार्टी के कई बड़े चेहरे नाराज
इस फैसले के बाद छात्र नेतृत्व वाली इस नई पार्टी के कई बड़े चेहरे नाराज हो गए हैं और खास तौर पर महिला नेताओं ने विरोध में इस्तीफे देने शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में शनिवार को पार्टी की प्रमुख चेहरों में शामिल डॉ. तसनीम जारा ने एनसीपी से अलग होने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि वह पार्टी छोड़कर आगामी चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ेंगी.
जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन के फैसले को लेकर एनसीपी में इस्तीफों का दौर जारी है. नाहिद इस्लाम के नेतृत्व में पार्टी के कई नेताओं ने इस फैसले के विरोध में एनसीपी से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, पार्टी के भीतर इस चुनावी समझौते के समर्थन में भी बड़ी संख्या में नेता सामने आए हैं.
एनसीपी में लगी इस्तीफों की झड़ी
ढाका ट्रिब्यून की रविवार की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपी की केंद्रीय समिति के 30 नेताओं ने नाहिद इस्लाम को पत्र लिखकर जमात के साथ किसी भी तरह के चुनावी गठबंधन का विरोध किया. वहीं, डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीपी की केंद्रीय समिति के 170 से ज्यादा नेताओं ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन के फैसले का समर्थन किया है.
रविवार को एनसीपी की संयुक्त संयोजक ताजनुवा जबीन ने भी इस्तीफा दे दिया. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा कि पार्टी की नीतिगत प्रक्रिया और जमात से गठबंधन की दिशा को लेकर वह गहरी निराशा में हैं. इससे पहले 25 दिसंबर को एनसीपी के वरिष्ठ नेता और जमात विरोधी गुट के प्रमुख मीर अर्शादुल हक ने भी इस्तीफा दिया था. पिछले एक हफ्ते में पार्टी में इस्तीफों की झड़ी लगी हुई है.
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