बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की अवामी लीग पर लगाया बैन

यूनुस कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि, “यह निर्णय देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के हित में लिया गया है. प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक अवामी लीग और इसके नेताओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) में चल रहे मुकदमे पूरे नहीं हो जाते.”

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मोहम्मद युनुस और शेख हसीना (फाइल फोटो) मोहम्मद युनुस और शेख हसीना (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:14 AM IST

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शनिवार शाम को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगाने का बड़ा फैसला लिया. यह निर्णय मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सलाहकार परिषद (कैबिनेट) की बैठक में लिया गया. 

यूनुस कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि, “यह निर्णय देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के हित में लिया गया है. प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक अवामी लीग और इसके नेताओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) में चल रहे मुकदमे पूरे नहीं हो जाते.”

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बयान में यह भी कहा गया कि यह कदम जुलाई 2024 के जनविद्रोह में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं, शिकायतकर्ताओं और गवाहों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. इसी विद्रोह के कारण अवामी लीग की सरकार को अपदस्थ किया गया था.

ICT कानून में संशोधन

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण अधिनियम (ICT Act) में संशोधन किया जाएगा, जिससे अब किसी भी राजनीतिक दल, उसकी सामने की इकाइयों और सहयोगी संगठनों पर मुकदमा चलाया जा सकेगा.

अवामी लीग का इतिहास

1949 में गठित अवामी लीग ने दशकों तक पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों की स्वायत्तता की मांग का नेतृत्व किया और 1971 के मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई. यही पार्टी बांग्लादेश की स्वतंत्रता की राजनीतिक धुरी रही है. हालांकि, हाल के वर्षों में इस पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं जिनमें मानवाधिकार उल्लंघन, सत्ता के दुरुपयोग और दमनकारी नीतियां शामिल हैं.

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राजनीतिक माहौल में भारी उथल-पुथल

इस निर्णय से बांग्लादेश में पहले से ही अस्थिर राजनीतिक स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई है. एक ओर अवामी लीग के समर्थक इस फैसले को लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, वहीं अंतरिम सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न कह रही है.

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