अपने संबोधन में अफगानी राष्ट्रपति ने कहा कि मैं काबुल में रहता तो कत्लेआम मच जाता. सुरक्षा कारणों की वजह से अफगानिस्तान से दूर हूं. जो मुझे नहीं जानते हैं वो फैसला ना सुनाएं. तालिबान से बातचीच का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था.
अफगानी राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने अपने मुल्क के लोगों को खूनी जंग से बचाया है. मैं अपने सुरक्षाबलों और सेना का शुक्रिया अदा करता हूं. उन्होंने कहा कि पैसे लेकर भागने की जो बातें कहीं जा रही हैं वो बेबुनियाद हैं. मुझे मेरी इच्छा के खिलाफ देश से बाहर भेजा गया. सुरक्षा अधिकारियों की सलाह के बाद देश छोड़ा हूं क्योंकि कोई अनहोनी हो सकती थी.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ने के बाद पहली बार दुनिया के सामने आकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं काबुल में रहता तो कत्लेआम मच जाता. सुरक्षा कारणों की वजह से अफगानिस्तान से दूर हूं. जो मुझे नहीं जानते हैं वो फैसला ना सुनाएं. तालिबान से बातचीच का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था. उन्होंने कहा कि भगोड़ा कहने वाले मेरे बारे में नहीं जानते हैं. मैं शांति से सत्ता सौंपना चाहता था. गनी UAE से अपने राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं.
Reuters के मुताबिक, तालिबान के सत्ता में आने के बाद अब अफगानिस्तान में एक सत्तारूढ़ परिषद का शासन हो सकता है. वहीं, तालिबान सैनिकों, पायलटों और सीनियर मेंबर्स तक पहुंचेगा.
जलालाबाद में तालिबान की ओर से की गई फायरिंग में तीन की मौत और दर्जन से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं.
जलालाबाद में अफगानी झंडा फहरान की मांग कर रहे लोगों पर हुई फायरिंग में मारे गए एक शख्स की पहचान जाहिदुल्लाह के रूप में हुई है. इस घटना को लेकर तालिबान ने कहा है कि वो जांच करेंगे.
अफगानिस्तान संकट को लेकर 20 अगस्त को NATO विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक होगी. ये जानकारी ट्वीट करके NATO के सेक्रटरी जनरल ने दी है.
UAE सरकार का कहना है कि उसने "मानवीय विचारों" को देखते हुए अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार को शरण दी है. हालांकि अबू धानी में वो कहां पर हैं, इसकी जानकारी नहीं दी गई है. बता दें कि तालिबान के कब्जे के बाद अशरफ गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अबू धाबी में हैं. इसकी पुष्टि UAE सरकार ने की है. अशरफ गनी और उनके परिवार को भी वहां शरण मिल गई है.
जलालाबाद में तालिबान की फायरिंग में अब तक तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, जबकि 6 लोग घायल बताए जा रहे हैं.
अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद वहां फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए भारतीय वायु सेना का एक विमान अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहा है और भारत लौटना चाहता है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि अफगानिस्तान से और भारतीयों को वापस लाने के लिए वायु सेना और कमर्शल विमान दोनों स्टैंडबाय पर हैं.
बताया जा रहा है कि जलालाबाद में तालिबान की ओर से की गई फायरिंग में प्रदर्शन कर रहे एक शख्स की मौत हो गई है, जबकि 6 लोग घायल है.
तालिबान ने अपने न्यूज चैनल पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में सभी समुदाय के लोग सुरक्षित हैं. तालिबान सभी अफगानों की सुरक्षा का आश्वासन देता है, भले ही उनकी धार्मिक आस्था कुछ भी हो. यहां अफगान सिख सुरक्षित हैं और उन्हें कोई खतरा नहीं है. शरीयत के तहत सभी की रक्षा करना अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात का कर्तव्य है.
काबुल में तालिबानी नेता अनस हक्कानी ने हिज़्ब-ए-इस्लामी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार से मुलाकात की.
ताजिकिस्तान में अफगान दूतावास ने इंटरपोल के जरिए अशरफ गनी, हमदुल्ला मोहिब और फजलुल्लाह महमूद फाजली को गबन के आरोप में हिरासत में लेने को कहा है.
पाकिस्तान सरकार ने तालिबान के सक्रिय सदस्य मुल्ला मोहम्मद रसूल को रिहा कर दिया है. वो पिछले पांच साल से जेल में बंद था. तालिबान से अलग होने और एक नया गुट बनाने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब वह तालिबान के पाले में लौट आया है.
बुधवार को काबुल में ही तालिबानी नेताओं ने हामिद करजई से मुलाकात की. तालिबान की ओर से अनस हक्कानी ने इस बैठक की अगुवाई की. जबकि हामिद करजई के अलावा अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह भी बैठक में मौजूद रहे. तालिबान ने हामिद करजई को दोहा में होने वाली बैठक में बुलाया है, जहां पर सरकार बनाने को लेकर चर्चा होगी.
अफगानिस्तान के जलालाबाद में तालिबानी लड़ाकों द्वारा सड़क पर ओपन फायरिंग की गई है. यहां पर लोगों द्वारा अफगानिस्तान का राष्ट्रीय झंडे के दफ्तरों पर लगाए रखने की मांग की जा रही थी, इसी को लेकर हो रहे प्रदर्शन में सड़क पर भीड़ इकट्ठा हुई. और इन्हें तीतर-बीतर करने के लिए तालिबान ने लोगों पर फायरिंग कर दी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हामिद करजई (Hamid Karzai) दोहा में होने वाली तालिबान के साथ बैठक में शामिल होंगे, जिसमें आने वाली सरकार के गठन को लेकर चर्चा होगी. इस बैठक में अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह समेत अन्य कई नेता भी शामिल होंगे.
भारतीय दूतावास (Indian Embassy) आने वाले दिनों में काबुल में पूरी तरह से काम करेगा. अभी जिन कर्मचारियों को निकाला गया है, उसमें अधिकतर भारतीय थे. लेकिन काबुल एम्बेसी में काम करने वाला लोकल स्टाफ वहां पर पूरी तरह से एक्टिव रहेगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिकी एजेंसी Association of Wartime Allies के डायरेक्टर किम स्टेफिरी के हवाले से लिखा है कि तालिबान के लड़ाके काबुल में घर-घर जाकर लोगों को उठा रहे हैं और उसके बाद उन लोगों को कुछ पता नहीं लग रहा है.
इसके अलावा कई अन्य पूर्व सैनिकों ने अपील की है कि अमेरिका को अफगानियों को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए. वर्ल्ड रिलीफ के वाइस प्रेसिडेंट जेनी यांग का कहना है कि एक भी अफगानी को उस ज़मीन पर छोड़ना काफी मुश्किल होगा.
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान द्वारा सलीमा मजारी को पकड़ लिया गया है. सलीमा अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर हैं, जिन्होंने पिछले कुछ समय में तालिबान के खिलाफ आवाज़ बुलंद की है.
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काबुल एयरपोर्ट पर अभी भी हालात जैसे के तैसे बने हुए हैं. टोलो न्यूज़ के मुताबिक, बड़ी संख्या में लोग काबुल एयरपोर्ट और उसके आस-पास के इलाके में इकट्ठा हैं. बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और अन्य लोग देश छोड़ने की आस में यहां पर बैठे हैं.
जानकारी के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट पर भीड़ के कारण मची भगदड़ की वजह से करीब 40 लोगों की मौत हो गई है. एयरपोर्ट के पास कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास ना वीज़ा है और ना ही पासपोर्ट लेकिन वो किसी भी तरह देश से बाहर जाना चाहते हैं.
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भारत ने बीते दिन काबुल से अपने करीब 120 लोगों को वापस लाने का काम किया, अबतक करीब 150 लोगों को वापस लाया जा चुका है. इनमें अफगानिस्तान में मौजूद भारत के राजदूत भी शामिल हैं. अब भारत का फोकस वहां पर फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने पर है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीते दिन सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई. प्रधानमंत्री ने भारतीयों को सुरक्षित निकालने के निर्देश दिए हैं, साथ ही अफगान के लोगों की मदद करने को कहा है. काबुल में अभी तक करीब 1650 भारतीय हैं, जिन्होंने दूतावास में मदद की गुहार लगाई है.