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आपबीती: बहाने से नाबालिग को कैंप में ले गया तालिबान, Suicide Bomber की देने लगे ट्रेनिंग

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 31 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST
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तालिबान (Taliban) के कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान (Afghanistan) में हालात बेहद खराब हैं. हजारों लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. ऐसे में एक अफगानी युवक जो अभी ब्रिटेन में है, उसे वतन वापसी का डर सता रहा है. युवक जब महज 13 साल का था तब वो देश छोड़कर निकल गया था, क्योंकि तालिबान उसे आत्मघाती हमलावर (Suicide Bomber) बनाना चाहता था. ऐसे में युवक ने तालिबान की जुल्म की कहानी कुछ ऐसे बयां की.. (फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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अफगानी युवक साजिद अभी 24 साल का है. वो ब्रिटेन में रह रहा है. लेकिन 13 साल की उम्र में जब साजिद अफगानिस्तान में था, तालिबान ने उसे आत्मघाती हमलावर बनाने की भरपूर कोशिश की थी. साजिद अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं एक दिन आतंकवादी उसके स्कूल में पहुंचे और मांग की कि उन्हें सबसे होनहार छात्रों के एक ग्रुप को सौंप दिया जाए. 

 

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साजिद को तालिबानी एक प्रशिक्षण शिविर में ले गए. उन्होंने लड़कों को बेहतर शिक्षा देने का वादा किया लेकिन जल्द ही उनकी बदनीयत सामने आ गई. दरअसल, तालिबानी चाहते थे कि साजिद एक हत्यारा बने, आत्मघाती हमलावर बने. 

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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अफगानी युवक साजिद ने मिरर वेबसाइट को बताया कि मुझसे कहा गया था कि अगर उसने भागने की कोशिश की तो उसे और उसके परिवार को मार दिया जाएगा. हमलावर बनने को मजबूर करने के लिए तालिबान ने उसे जमकर पीटा और धमकाया. 

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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साजिद के मुताबिक, जब यह बात उसके घर वालों को पता चली तो पिता ने जान बचाने के लिए उसे दूसरे देश भेज दिया. इसके लिए उसने अपनी जमीन तक बेच दी ताकि पैसे जुटाकर बेटे को देश से बाहर भेज सके. साजिद 13 साल की उम्र में अकेले ब्रिटेन आया था. उसे पता नहीं है कि उसका परिवार अब कहां है, रेड क्रॉस द्वारा उन्हें खोजने की कोशिश की गई थी, लेकिन साजिद के माता-पिता का पता नहीं चल सका. 

 

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अब साजिद को डर है कि उसे अपने वतन वापस जाने के लिए मजबूर किया जा सकता है, क्योंकि उसकी ब्रिटेन में शरण का आवेदन ठुकरा दिया गया है. 24 वर्षीय साजिद ने कहा, "होम ऑफिस मुझे वापस अफगानिस्तान भेजना चाहता था. मैंने कहा कि मेरा कोई परिवार नहीं है, रेड क्रॉस उन्हें खोजने की कोशिश कर रहा है. तालिबान के साथ मेरा बहुत बुरा अनुभव था, वे बेहद क्रूर हैं, बच्चों को प्रताड़ित करते हैं."

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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साजिद ने तालिबान की हकीकत को बयां करते हुए कहा कि आतंकियों ने हमें बताया कि वे हमें उच्च शिक्षा के लिए स्कूल से ले जा रहे हैं, लेकिन जब मैं वहां गया तो वह मूल रूप से बम और बंदूकों के साथ एक प्रशिक्षण शिविर चला रहे थे. 

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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साजिद के मुताबिक, "वे हमेशा जिहाद और अमेरिका के बारे में बात कर रहे थे कि हम उन्हें कैसे मारेंगे. मुझे एहसास हुआ कि वे हमारा ब्रेनवॉश करने की कोशिश कर रहे थे, वे चाहते थे कि मैं एक आत्मघाती हमलावर बन जाऊं."

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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साजिद ने कहा, "मैं हमेशा रोता रहता था, वे मुझे धमका रहे थे और मार रहे थे. मैंने देखा कि वे लोगों को आत्मघाती हमलावर बनने के लिए भेज रहे थे." उन्हें सिखाया गया था कि बंदूक कैसे पकड़ी जाती है और विस्फोटक जैकेट कैसे पहनी जाती है. "जब उन्होंने मुझे पिस्तौल दी मेरे हाथ कांप रहे थे, मैंने अपने जीवन में ऐसा कुछ पहले नहीं देखा था." 

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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"मुझे बताया गया था कि अगर मैंने ये नहीं किया तो वे मुझे गोली मार देंगे. उन्होंने कहा कि यदि इस प्रशिक्षण शिविर से बचने की कोशिश करोगे तो हम तुम्हारे पूरे परिवार को ढूंढकर मार डालेंगे." हालांकि, धमकियों के बावजूद साजिद ने अपने मौके का फायदा उठाया और वहां से भाग निकला. जिसके बाद उसके पिता ने उसे देश से बाहर भेज दिया. 

(फ़ाइल फोटो- गेटी) 

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