'मैं जीवित हूं, मुझे मृत दिखाया...', डेथ सर्टिफिकेट लेने नगर पालिका पहुंचा शख्स

कोलकाता के बर्धमान जिले में पूर्ण साहा को चुनाव आयोग की ड्राफ्ट मतदाता सूची में मृत दिखाया गया. जीवित होने के बावजूद उन्हें डेथ सर्टिफिकेट लेने के लिए नगरपालिका जाना पड़ा. परिवार का आरोप है कि बीएलओ ने फॉर्म में गलती की. मामला राजनीतिक बवाल का कारण बन गया है. प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है.

Advertisement
पूर्ण साहा मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे.(Photo: Screengrab) पूर्ण साहा मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे.(Photo: Screengrab)

अनुपम मिश्रा

  • बर्धमान,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:15 PM IST

पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. पूर्वी बर्धमान के कालना नगरपालिका वार्ड नंबर 12 के निवासी पूर्ण साहा को चुनाव आयोग की ड्राफ्ट मतदाता सूची में मृत दिखाया गया. पूरी बात का पता चलते ही पूर्ण साहा खुद डेथ सर्टिफिकेट लेने नगरपालिका पहुंचे.

उन्होंने बताया कि मतदाता सूची में उनके नाम के आगे 'मृत' शब्द लिखा होने से उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. पूर्ण साहा ने कहा, 'मैं जीवित हूं, लेकिन मुझे मृत दिखाया गया है. यही वजह है कि मैं अपना डेथ सर्टिफिकेट लेने आया हूं.'

Advertisement

यह भी पढ़ें: ‘मंत्रियों की गिरफ्तारी हो', कोलकाता में मेसी के इवेंट में अव्यवस्था पर शुभेंदु अधिकारी का TMC पर निशाना

बीएलओ की लापरवाही और परिवार की दलील

पूर्ण साहा के अनुसार, उन्होंने समय पर एसआईआर जनगणना फॉर्म जमा किया था. लेकिन उनका आरोप है कि बीएलओ ने फॉर्म रिसीव करने के बजाय उन्हें मृत घोषित कर दिया. फॉर्म भरने के दौरान उनकी पत्नी निरबी साहा वहां गई थीं. निरबी का कहना है कि उन्होंने फॉर्म ठीक से नहीं देखा और अंग्रेज़ी पढ़ना न जानने की वजह से यह गलती अनजाने में हो गई.

बीएलओ ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि जीवित व्यक्ति को उनके पास लाया जाए. इस मामले ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है. पूर्वी बर्धमान जिले के तृणमूल कांग्रेस आईएनटीटीयूसी अध्यक्ष संदीप बसु ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग वैध मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश रच रहा है और इसके पीछे भाजपा का हाथ है.

Advertisement

अधिकारियों की प्रतिक्रिया और जांच

कालना उपमंडल के प्रशासक अहिंसा जैन ने मामले पर कहा कि उन्हें यह मामला पता चला है और इसकी जांच चल रही है. प्रशासन इस बात की पुष्टि कर रहा है कि सूची में हुई गलती को ठीक किया जाएगा और किसी भी मतदाता के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी.

यह घटना मतदाता सूची में तकनीकी या मानव त्रुटियों के गंभीर परिणाम को उजागर करती है और यह सवाल उठाती है कि ऐसे मामलों में समय रहते सुधार कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement