साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज गैंगरेप मामले में पीड़िता के वकील ने आजतक से बात करते हुए चौंकाने वाला दावा किया है. उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ सबसे पहले कॉलेज के यूनियन रूम में छेड़छाड़ की गई थी. इसके बाद उसे जबरदस्ती घसीट कर सिक्योरिटी गार्ड के कमरे में ले जाकर बेरहमी से गैंगरेप किया गया.
पीड़िता के वकील अरिंदम कांजीलाल ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा, जो कॉलेज का पूर्व छात्र है और अब तृणमूल छात्र परिषद (TMCP) का स्थानीय नेता है, वह राजनीतिक पहुंच के कारण बेहद प्रभावशाली है. उसकी पॉलिटिकल पावर इतनी है कॉलेज परिसर में सुरक्षा के बावजूद उसने ऐसा घिनौना अपराध कर डाला.
अरिंदम ने कहा कि पीड़िता आरोपियों के सामने रो रही थी, गिड़गिड़ा रही थी, मदद की गुहार लगा रही थी. लेकिन आरोपियों ने उसकी एक न सुनी. उन्होंने कहा कि बंगाल में ऐसा हो रहा है. एक लड़की सड़क पार करते कॉलेज जाती है और वहां उसका गैंगरेप हो जाता है. ये बंगाल की हकीकत है.
वकील ने कहा कि जिसने इस वारदात को अंजाम दिया है, वो आऱोपी बहुत पावरफुल है. साथ ही कहा कि जिन लोगों ने ये अपराध किया वो टीएमसी से जुड़े हुए हैं. लेकिन जो ये सोचता है कि मैं टीएमसी से जुड़ा हूं तो बहुत पावरफुल हूं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप जो चाहें वो कर सकते हैं. और ये आपको किसी का रेप करने की परमिशन नहीं देता है. चाहे वह महिला हो या पुरुष.
पीड़िता के वकील ने कहा कि मनोजीत मिशा ताकतवार शख्स है. वो बुरा आदमी नहीं था, वो अच्छा आदमी था, जो जरूरतमंद लोगों की मदद करता था. लेकिन पता नहीं क्यों उसने इस वारदात को अंजाम दिया. हालांकि ये बात सच है कि अपराध हुआ है, और मुझे पूरा भरोसा है कि जब उसने ये अपराध किया है तो उसे सजा जरूर मिलेगी.
मेडिकल जांच पूरी, पीड़िता का बयान अदालत में दर्ज
गैंगरेप के मामले में मेडिको-लीगल जांच पूरी हो चुकी है. पीड़िता की जांच कोलकाता मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में कराई गई, जहां चिकित्सकों ने बलपूर्वक यौन संबंध के प्रमाण मिलने की पुष्टि की. इसके साथ ही मानसिक परामर्श (काउंसलिंग) भी एक अधिकृत काउंसलर द्वारा पीड़िता को प्रदान किया गया, ताकि उसे मानसिक रूप से सहायता मिल सके. वहीं, पीड़िता का गोपनीय बयान कोलकाता की अलीपुर अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) के समक्ष दर्ज किया गया है. ये बयान भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 183 के तहत दर्ज किया गया, जो संवेदनशील मामलों में पीड़िता की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए लागू की जाती है.
राजेश साहा