कोलकाता एयरपोर्ट के अंदर मस्ज‍िद पर BJP ने उठाए सवाल, जा‍न‍िए- इसका इत‍िहास और क्यों छ‍िड़ी बहस?

सैकड़ों साल पुरानी बैंकड़ा मस्जिद, जो कोलकाता एयरपोर्ट के सेकेंडरी रनवे से कुछ सौ मीटर दूर है, राजनीतिक विवाद का कारण बन गई है. BJP नेताओं ने मस्जिद को लेकर सुरक्षा और सेफ्टी से जुड़े सवाल उठाए हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि एयरपोर्ट के अंदर मस्जिद आई कैसे?

Advertisement
बोर्ड बदला, अर्थ बदल गया! कोलकाता एयरपोर्ट पर मस्जिद को लेकर फिर बवाल (File Image) बोर्ड बदला, अर्थ बदल गया! कोलकाता एयरपोर्ट पर मस्जिद को लेकर फिर बवाल (File Image)

सुशीम मुकुल

  • नई दिल्ली ,
  • 03 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:32 PM IST

कोलकाता के बाहर रहने वाले बहुत से लोग शायद ये नहीं जानते कि शहर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के अंदर एक मस्जिद मौजूद है. ये बैंकड़ा मस्जिद, जो सेकेंडरी रनवे से 300 मीटर से भी कम दूरी पर है, कई सालों से सुरक्षा को लेकर बहस का विषय रही है. बुधवार को मामला फिर इसलिए उठा क्योंकि BJP के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य के सवाल और नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) का एक जवाब सामने आया. 

Advertisement

ये जवाब उन्होंने संसद में पूछे सवाल में दिया था. उनके लिखित जवाब में MoCA ने मस्जिद की मौजूदगी को स्वीकार किया. ये जवाब जब चर्चा में आया तो BJP IT सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसे और उछाला. उन्होंने दावा किया कि MoCA के मुताबिक मस्जिद 'सुरक्षित विमान संचालन में बाधा डालती है' और 'जरूरी स्थिति में रनवे के उपयोग को प्रभावित करती है'.

कई दशकों से, राज्य और केंद्र की सरकारें मस्जिद को एयरपोर्ट परिसर से बाहर किसी नजदीकी स्थान पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव देती रही हैं. मस्जिद 1890 के दशक में बनी थी, लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इन प्रस्तावों को मंजूूर  नहीं किया.  BJP नेताओं द्वारा उठाई जा रही नई चिंता के बीच फिर से वही सवाल सामने आ गया है कि आखिर एयरपोर्ट के अंदर मस्जिद आई कैसे?

पहले कौन बना, मस्जिद या दमदम एयरपोर्ट?

Advertisement

इस सवाल से पहले देखते हैं कि समिक भट्टाचार्य ने क्या पूछा और मंत्रालय ने क्या जवाब दिया, और BJP नेताओं ने उसे कैसे पेश किया.

(फोटो कैप्शन: समिक भट्टाचार्य का संसद प्रश्न और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री का लिखित जवाब.)

BJP नेता मस्जिद को 'प्रॉब्लम' क्यों बता रहे हैं?

अमित मालवीय ने X पर लिखा, 'नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि मस्जिद सेकेंडरी रनवे के पास है. ये सुरक्षित संचालन में बाधा डालती है और रनवे थ्रेशोल्ड को 88 मीटर खिसकाना पड़ा. इससे रनवे का उपयोग प्रभावित होता है, खासकर जब प्राथमिक रनवे उपलब्ध न हो. यात्रियों की सुरक्षा तुष्टीकरण की राजनीति के नाम पर कुर्बान नहीं की जा सकती. ममता बनर्जी को ये समझना चाहिए.'

ये पहला मौका नहीं है जब बैंकड़ा मस्जिद पर विवाद हुआ हो. इस साल की शुरुआत में विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने एयरपोर्ट की बाउंड्री को तुरंत सील करने की मांग की थी. उन्होंने कहा, 'कोलकाता एयरपोर्ट में सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर समस्या है. ग्राउंड पर नमाज पढ़ी जा रही है. एयरपोर्ट की बाउंड्री सील नहीं है…'

उन्होंने एयरपोर्ट विस्तार में देरी पर कहा कि मस्जिद को सेकेंड रनवे से हटाने की वजह दी जाती है, 'ये ऐसे नहीं चल सकता…' मस्जिद की लोकेशन न सिर्फ रनवे ऑपरेशन बल्कि एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिहाज से भी संवेदनशील है, क्योंकि एयरपोर्ट देश की महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर लिस्ट में आता है.

Advertisement

मस्जिद एयरपोर्ट के अंदर कैसे आई?

नेटाजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के अंदर स्थित यह 'बैंकड़ा मस्जिद' वास्तव में एयरपोर्ट से कई दशक पुरानी है. रिपोर्टों के अनुसार मस्जिद उन्नीसवीं सदी के अंत यानी 1890 के दशक से मौजूद है. ये उस समय की बात है जब यहां कोई एयरफील्ड भी नहीं था.

1890 के दशक में जहां आज सेकेंडरी रनवे है, वह एक गांंव था, मस्जिद उसी का हिस्सा थी. 1924 में ब्रिटिश सरकार ने दमदम में एयरड्रोम बनाया, लेकिन उस वक्त भी मस्जिद के आसपास बसी आबादी वहीं थी.  साल 1950-60 के दशक में एयर ट्रैफि‍क बढ़ने पर एयरपोर्ट का विस्तार हुआ और सेकेंडरी रनवे बनाया गया. इसी दौरान कई गांव हटाए गए और लोग जेसोर रोड के पार नई जगह बसाए गए.

...मगर मस्जिद वहीं बनी रही.

1962 में जब राज्य सरकार ने ये जमीन AAI को सौंपी तो माना जाता है कि मस्जिद को संरक्षित रखने की शर्त रखी गई थी.

(फोटो कैप्शन: बैंकड़ा मस्जिद कोलकाता एयरपोर्ट के सेकेंडरी रनवे से 300 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित है.)

समय बीतता गया, मस्जिद का उपयोग जारी रहा हालांकि वो एयरपोर्ट के ऑपरेशनल एरिया में आ चुकी थी.  The Times of India की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद का जि‍क्र एयरपोर्ट की लैंड डीड में भी दर्ज है. एयर ट्रैफि‍क बढ़ने और सेफ्टी मानक कड़े होने के साथ-साथ मस्जिद की स्थिति अधिक विवादित होती गई.

Advertisement

मस्जिद को शिफ्ट करने की कोशिशें क्यों असफल हुईं?

2003 में तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री शहनवाज हुसैन और बंगाल के सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य की बैठक हुई. इसमें तय हुआ कि मस्जिद को हटाने की बजाय रनवे को थोड़ा मोड़ दिया जाए. TOI के मुताबिक मस्जिद की वजह से रनवे के विस्तार और टैक्सीवे बनाने में बाधा आती है.

50-60 लोग रोज मस्जिद आते हैं, शुक्रवार को संख्या 200-250 तक पहुंचती है, ये रमजान में और ज्यादा होती है. साल 2019 में AAI ने मस्जिद तक एक सुरंग बनाने का प्रस्ताव दिया था ताकि ऊपर की जमीन टैक्सी ट्रैक के लिए मिल सके लेकिन सुरक्षा मंज़ूरी नहीं मिली.

(एक कंटेंट क्रिएटर एयरपोर्ट बाउंड्री से बैंकड़ा मस्जिद की ओर इशारा करता हुआ. Credit: RFA Digital World With Vlogs/YouTube)

साल 2023 में AAI ने मस्जिद तक पहुंचने के लिए 225 मीटर लंबा रास्ता पार कर बस सेवा शुरू की. ये रास्ता एयरपोर्ट के टैक्सीवे से ओवरलैप करता है. 1940-60 के दशक में कोलकाता एशिया–यूरोप के बीच ट्रांजिट हब था. Air France, KLM, Pan Am, Aeroflot जैसी एयरलाइंस यहां रुकती थीं. कभी देश के टॉप 3 एयरपोर्ट में रहने वाला कोलकाता एयरपोर्ट आज 2024-25 में छठे स्थान पर है.

मस्जिद पहले थी, वहां की बस्ती पहले थी. एयरपोर्ट बाद में आया. 1960 में जमीन अधिग्रहण के समय गांव तो हटा दिए गए पर मस्जिद नहीं हटाई गई.

Advertisement
(फोटो कैप्शन: 1949 में कोलकाता के लिए Scandinavian Airlines की पहली उड़ान. Credit: SAS Scandinavian Airlines)

2018 में तस्लीमा नसरीन ने The Print में लिखा, 'मस्जिद की वजह से सुरक्षा क्षेत्र में किसी बाहरी का प्रवेश आसान हो जाता है.
अगर अधिकारी मस्जिद को छूने से डरते हैं तो मुस्लिम नेताओं को आगे आकर समाधान निकालना चाहिए.' 

वहीं बीजेपी नेता कह रहे हैं कि मस्जिद ऐतिहासिक है लेकिन करोड़ों यात्रियों की सेफ्टी और एयरपोर्ट विस्तार की जरूरतों में ये बड़ी बाधा है. 60 साल पहले लिया गया फैसला आज एक जटिल स्थिति बना चुका है जहां 130 साल पुरानी मस्जिद एक बढ़ते अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के अंदर मौजूद है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement