बृजभूषण को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे संजय सिंह, साक्षी मलिक को लेकर कही ये बात

बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के जन्मदिन पर संजय सिंह नंदनी नगर महाविद्यालय पहुंचे. जन्मदिन की बधाई देने के बादकहा कि जो एडहॉक कमेटी बनी है, उसको नहीं मानते. 16 तारीख को हमारी एग्जीक्यूटिव बॉडी की मीटिंग है. इसमें लिया गया निर्णय सबको मान्य होगा. 

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जभूषण शरण सिंह और संजय सिंह (फाइल फोटो) जभूषण शरण सिंह और संजय सिंह (फाइल फोटो)

अंचल श्रीवास्तव

  • गोंडा,
  • 08 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:01 PM IST

कुश्ती संघ के निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह सोमवार को बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के जन्मदिन पर नंदनी नगर महाविद्यालय पहुंचे. मिठाई खिलाकर जन्मदिन की बधाई. इसके बाद कहा कि जो एडहॉक कमेटी बनी है, उसको नहीं मानते. हम अपना सारा काम कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने साक्षी मलिक को लेकर भी प्रतिक्रिया दी.

संजय सिंह ने कहा कि 16 तारीख को हमारी एग्जीक्यूटिव बॉडी की मीटिंग है. इसमें लिया गया निर्णय सबको मान्य होगा. इसके साथ ही जूनियर पहलवानों के धरने पर कहा कि पहलवान तो बात कर ही रहे हैं कि किसकी वजह से नुकसान हो रहा है.

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'देश लाठी तंत्र और धरना तंत्र से नहीं चलता'

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी खेल मंत्रालय ने हमें हमारे पत्र का जवाब नहीं दिया है. अगर, जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाऊंगा. साक्षी मालिक के आरोपों पर कहा कि वो अपनी मर्जी की मालिक हैं. हमारा देश लोकतांत्रिक है, जो कि लाठी तंत्र और धरना तंत्र से नहीं चलता है. उन पहलवानों से राय लीजिए, जिनका नुकसान हो रहा है.

बताते चलें कि दिसंबर में भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव हुए थे. इसमें बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को जीत मिली थी. पहलवान अनीता श्योराण की हार हुई थी. इसके बाद महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया था. 

उन्होंने कहा था कि बृजभूषण जैसा ही कोई दूसरा अब कुश्ती संघ का अध्यक्ष बन गया है. इसके अलावा संजय सिंह के चुने जाने के बाद बजरंग पूनिया ने भी प्रधानमंत्री आवास के सामने अपना पद्मश्री रख दिया था और एक चिट्ठी भी लिखी थी. इसी बीच नए कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया गया.

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खेल मंत्रालय ने कुश्ती संघ को रद्द करते हुए संजय सिंह द्वारा लिए गए सभी फैसलों पर भी रोक लगा दी. खेल मंत्रालय ने अगले आदेश तक किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी. WFI को लेकर दिए गए निर्देश में कहा गया कि ऐसा लगता है मानो पुराने पदाधिकारी ही सभी फैसले ले रहे हैं.

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