कानपुर: कभी अपराधियों में था नाम का खौफ, कैसे 100 करोड़ के करप्शन में फंसे ऋषिकांत शुक्ला? पढ़िए इनसाइड स्टोरी

मुंबई के दया नायक, प्रदीप शर्मा और कानपुर के ऋषिकांत शुक्ला जैसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अपने करियर के अंतिम दौर में भ्रष्टाचार के आरोपों का शिकार क्यों होते हैं? रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडे के अनुसार, पुलिस बड़ी सूचनाओं के लिए मुखबिरों (छोटे अपराधियों) को पालती है, जो ताकत होते हैं. लेकिन लालच में कुछ पुलिसकर्मी उन्हीं अपराधियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के दलदल में फंस जाते हैं, जिससे उनका करियर खत्म हो जाता है.

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कानपुर के निलंबित डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला (फाइल फोटो) कानपुर के निलंबित डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला (फाइल फोटो)

संतोष शर्मा

  • कानपुर ,
  • 07 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:52 PM IST

बड़े-बड़े गैंगस्टर, अंडरवर्ल्ड डॉन, माफिया के गैंग को खत्म करने वाले एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का आखिर करियर के आखिरी दौर में भ्रष्टाचार कैसे एनकाउंटर कर देता है. क्या अपराधियों के आसपास रहते-रहते एनकाउंटर स्पेशलिस्ट 'करप्शन स्पेशलिस्ट' हो जाते हैं? मायानगरी मुंबई को अंडरवर्ल्ड से मुक्त करने वाले दया नायक हों, प्रदीप शर्मा हों या फिर कानपुर के D2 गैंग को खत्म करने वाले ऋषिकांत शुक्ला. क्यों हुए ये सभी करप्शन के एनकाउंटर का शिकार? पढ़िए यह रिपोर्ट...

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दया नायक, प्रदीप शर्मा और अब ऋषिकांत शुक्ला... यह वह नाम हैं जो अपराधियों के बीच कभी खौफ का नाम थे. विभाग में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाते थे. लेकिन जिंदगी भर अपराध और अपराधियों के खिलाफ की गई मोर्चेबंदी पर एक दिन सवाल खड़े हो जाते हैं और भ्रष्टाचार इनके करियर का एनकाउंटर कर देता है? 

इस सवाल पर उत्तर प्रदेश के सबसे खतरनाक गैंगस्टर श्री प्रकाश शुक्ला को मार गिराने वाली एसटीएफ के फाउंडर मेंबर रहे रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडे कहते हैं- 'पुलिस में बड़े अपराधी की मुखबिरी के लिए छोटे अपराधी की मदद ली जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो बड़ी सूचना के लिए उनको पुलिस वाला पालता है. यही मुखबिर तंत्र उस अफसर का और पुलिस की ताकत भी होती है. जिसका जितना अच्छा मुखबिर तंत्र वो उतना अच्छा अफसर. लेकिन कई बार लालच में फंसकर कुछ पुलिसकर्मी ऐसे अपराधियों के साथ मिल भी जाते हैं.  लेकिन वह विभाग में चिन्हित हो जाते हैं. लंबा नहीं चलते हैं. कई बार वो खुद ही नौकरी तक छोड़ देते हैं.' 

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बकौल राजेश पांडे- 'कई बार जिस अपराधी को पुलिस अफसर पकड़ता है, जेल भेजता है या उसके परिवार गैंग के किसी व्यक्ति का एनकाउंटर करता है तो वो उससे रंजिश मान लेते हैं और फिर कई साल बाद मौका मिलते ही भ्रष्टाचार का आरोप लग जाता है. ऐसे में आरोप की जांच होना बेहद जरूरी है. प्रदीप शर्मा, दया नायक इसके उदाहरण हैं जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और आज तो दया नायक मुंबई पुलिस का एक अहम हिस्सा हैं.'

तो क्या ऋषिकांत शुक्ला भी कनपुरिया अपराधियों की साजिश में फंसे?

यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि मैनपुरी में तैनात रहे डिप्टी एसपी ऋषिकांत शुक्ला को भ्रष्टाचार से 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति जुटाने के मामले में सस्पेंड किया गया तो 'आज तक' से बातचीत में ऋषिकांत शुक्ला ने सारे आरोपों को नकारते हुए कहा कि उनके पास ऐसी कोई बेनामी संपत्ति नहीं है. जो भी है उनकी वैध संपत्ति है. जिस व्यक्ति ने आरोप लगाया उसको उन्होंने कई बार जेल भेजा है. 

अब सवाल कौन है ऋषिकांत शुक्ला का दुश्मन?

90 के दशक में जब मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का राज चलता था तो औद्योगिक नगरी कानपुर पर D2 गैंग का सिक्का चलता था. D2 गैंग 6 भाइयों का गैंग था. सबसे बड़ा अतीक फिर शफीक, रफीक, तौफीक, बाले और अफजाल. इन 6 भाइयों के गैंग में 15 से 20 सदस्य थे. D2 गैंग सुपारी किलिंग, टेनरी व्यापारियों से वसूली, अपहरण, कब्जा, हत्या जैसी घटनाओं को बेखौफ अंजाम दे रहा था. 

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अगस्त 2004 में कानपुर के माल रोड पर यूपी एसटीएफ की टीम ने अतीक और रफीक को गिरफ्तार करने की कोशिश की तो एसटीएफ के सिपाही धर्मेंद्र चौहान की गोली मारकर हत्या कर दी. एसटीएफ के सिपाही की दिनदहाड़े बीच बाजार में गोली मारकर कर दी गई. हत्या के बाद से शहर में D2 गैंग का खौफ और फैल गया. वहीं, पुलिस की साख पर सवाल खड़े होने लगे. 

D2 गैंग के पीछे ऋषिकांत

सिपाही की हत्या के बाद कानपुर पुलिस की एसओजी इंचार्ज रहे इंस्पेक्टर रहे ऋषिकांत शुक्ला को इस गैंग के पीछे लगाया गया. नतीजा ऋषिकांत ने 7 महीने लगातार सिपाही की हत्या आरोपी रफीक का पीछा किया और 30 मार्च 2005 को कोलकाता के एंटली थाना क्षेत्र के छातू बाबू लेन के एक अपार्टमेंट में छिपकर रह रहे एक लाख के ईनामी रफीक को गिरफ्तार किया. 

बाद में कानपुर के दूसरे गैंगस्टर परवेज ने रफीक की हत्या कर दी. रफीक की पुलिस कस्टडी में हत्या हुई तो वही बिल्लू और तौफीक का 2004 में बर्रा में ऋषिकांत शुक्ला ने पहले ही एनकाउंटर कर दिया था. इसके साथ ही D2 गैंग के दूसरे सदस्य संजय गुप्ता, अमजद बच्चा, अनीस पूसी का भी एनकाउंटर किया गया. 

गैंग का दाऊद इब्राहिम से सीधा कनेक्शन

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D2 गैंग का अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से सीधा कनेक्शन था. शफीक ने जहां 1985 से लेकर 2005 तक डी कंपनी के लिए मुंबई में कई सुपारी किलिंग की घटना को अंजाम दिया तो वही किडनैपिंग किंग कहे जाने वाले बबलू श्रीवास्तव के गैंग मेंबर फजलुर रहमान फजलु के साथ इसने पुणे के एक व्यापारी का भी अपहरण कर करोड़ों की फिरौती वसूली थी.  

इस D2 गैंग के सरगना अतीक पहलवान को साल 2007 में दिल्ली पुलिस और कानपुर पुलिस ने एजाज लकड़वाला के कहने पर व्यापारी से 2 करोड़ की फिरौती मांगने के केस में गिरफ्तार किया. दिल्ली पुलिस के साथ कानपुर पुलिस की जो टीम इस ऑपरेशन में शामिल थी. उसको लीड ऋषिकांत ही कर रहे थे. पुलिस रिमांड पर अतीक पहलवान को कानपुर लाया गया. उसके केस में चार्जशीट लगाई गई और जून 2024 में अतीक पहलवान की आगरा जेल में ही मौत हो गई. 

हथियार सप्लायर नेटवर्क से भी कनेक्शन

इस D2 गैंग का अंतरराष्ट्रीय हथियार सप्लायर नेटवर्क से भी कनेक्शन था. साल 2005 में पुलिस ने पाकिस्तान से मुंबई और मुंबई से कानपुर भेजी 560 चाइनीज पिस्टल के साथ इनके भाई बाले को गिरफ्तार किया था. जबकि, अतीक पहलवान और रफीक फरार हो गए थे. 

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साल 2008 में कानपुर में दो ज्वेलर्स के घर में 5 बावरिया ने डकैती और महिलाओं के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया. एक दिन में दो डकैती की घटना से कानपुर थर्रा गया. इस घटना को अंजाम देने वाले बावरिया गैंग के सभी पांच डकैतों का ऋषिकांत और उनकी टीम ने एनकाउंटर कर दिया उसके बाद कानपुर शहर में बावरिया गैंग ने अब तक किसी घटना को अंजाम नहीं दिया.  

इतना ही नहीं मुन्ना बजरंगी गैंग के दो शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी उर्फ अनु और अमित उर्फ चिंटू एक व्यापारी की हत्या कर दूसरे व्यापारी की हत्या की साजिश रच रहे थे तब अमित उर्फ चिंटू और उसके साथी को किदवई नगर में एनकाउंटर किया था. साल 2006 में निर्भय गुर्जर के लिए किडनैपिंग करने वाले मयंक निगम, देवेंद्र और रिजवान का एनकाउंटर किया. 

अपराधियों पर की गई कार्रवाई के चलते ही ऋषिकांत शुक्ला को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर और डिप्टी एसपी बनाया गया.   ऋषिकांत शुक्ला ने अब तक 50,000 से लेकर 1 लाख के 22 बड़े बदमाशों को ढेर किया है. 

ऋषिकांत शुक्ला पर गंभीर आरोप 

अब ऋषिकांत शुक्ला चर्चा में है क्योंकि कानपुर के मनोहर शुक्ला ने आरोप लगाया है कि ऋषिकांत ने उनका एनकाउंटर करने की धमकी दी और अपराधियों से सांठगांठ कर 100 करोड़ की संपत्ति बनाई है. 

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'आज तक' को दी सफाई में ऋषिकांत शुक्ला का कहना है कि मनोहर शुक्ला को मैंने जेल भेजा था. उसने साल 2012 में कानपुर में सभासद राजीव बंगाली की हत्या की थी. रायपुरवा इलाके में की गई इस हत्या में मनोहर फरार चल चल रहा था, जिसे उन्होंने उन्नाव में रहते हुए गिरफ्तार किया था. मनोहर शुक्ला पर हत्या, अपहरण, गैंगस्टर एक्ट की कई गंभीर धाराओं में 18 मुकदमे दर्ज हैं. बबलू शुक्ला हत्या व अपहरण कांड में सजायाफ्ता है, उसके आरोप बेबुनियाद हैं. 

फिलहाल, कभी कानपुर के अपराधियों में खौफ का नाम रहे ऋषिकांत शुक्ला अब खुद कानून के खौफ में हैं. विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें सस्पेंड कर दिया है. विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए गए हैं. 

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