अयोध्या की पावन रामनगरी एक बार फिर ऐतिहासिक पल की साक्षी बनने जा रही है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है. 3 जून से 5 जून तक राम दरबार सहित अन्य देवालयों की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया जा रहा है. इस धार्मिक महोत्सव का समापन 5 जून को अभिजीत मुहूर्त में भगवान श्रीराम के दरबार की प्रतिष्ठा के साथ होगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा का शेड्यूल
3 जून को सुबह 6:30 बजे से अनुष्ठान की शुरुआत होगी, जो शाम 6:30 बजे तक चलेगा. इसी प्रकार 4 जून को भी दिनभर अनुष्ठान चलते रहेंगे. 5 जून को सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक अनुष्ठान होंगे, जिसके बाद दोपहर 1:25 से 1:40 बजे के बीच अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से की जाएगी. इसके साथ-साथ सूर्य मंदिर, जानकी माता मंदिर और हनुमान मंदिर की मूर्तियों की भी स्थापना की जाएगी.
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वैदिक आचार्यों द्वारा सम्पन्न होगा अनुष्ठान
प्राण प्रतिष्ठा का यह अनुष्ठान चंदौली जिले के प्रसिद्ध पंडित जयप्रकाश की अगुवाई में 101 वैदिक आचार्यों द्वारा संपन्न कराया जाएगा. कार्यक्रम पूरी तरह वैदिक विधियों के अनुसार होगा और इसमें रामनगरी के प्रमुख संतों व आचार्यों की सहभागिता भी रहेगी.
कलश यात्रा से प्रारंभ, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
2 जून को सरयू तट से कलश यात्रा निकाली, जिसमें 400 महिलाएं भाग लीं. वे सरयू जल से भरे कलशों को श्रीरामलला के चरणों में समर्पित कीं. राम जन्मभूमि परिसर की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है. हर कोने पर पुलिस बल तैनात है और सीसीटीवी कैमरों से पूरे क्षेत्र की निगरानी की जा रही है.
दर्शन व्यवस्था
रामलला के नियमित दर्शन जारी हैं, हालांकि प्रथम तल जहां प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, वह आम श्रद्धालुओं के लिए फिलहाल नहीं खोला गया है. बताया गया है कि इस हिस्से को दर्शन के लिए खुलने में कुछ महीने लगेंगे.
भविष्य का भव्य कार्यक्रम
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी शरद तिवारी ने बताया कि यह आयोजन फिलहाल संक्षिप्त रूप में हो रहा है. नवंबर या दिसंबर में एक और बड़ा आयोजन प्रस्तावित है, जिसमें भव्य स्तर पर उत्सव मनाया जाएगा.
स्वर्ण शिखर के साथ पहला राम मंदिर
यह भारत का पहला ऐसा राम मंदिर होगा जिसका शिखर स्वर्ण से सुशोभित किया गया है. भगवान श्रीराम, जो वर्षों तक टेंट में रहे, अब भव्य मंदिर में विराजेंगे. स्वर्ण शिखर सनातन परंपरा में समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है.
समर्थ श्रीवास्तव