यूपी में घरौनी कानून को मिलेगी मंजूरी, अब गांव में घर बनाने के लिए मिल सकेगा बैंक लोन, नामांतरण भी होगा आसान

UP Vidhan Sabha Winter Session 2025: उत्तर प्रदेश में ग्रामीण संपत्ति से जुड़े विवादों को खत्म करने और गांवों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. यूपी विधानसभा में घरौनी कानून यानी उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक, 2025 पेश किया गया है. ये बिल पास होने के बाद अब बैंक आसानी से गांवों की जमीन पर घर बनाने के लिए लोन दे सकेंगे.

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यूपी की योगी सरकार घरौनी को स्थायी कानूनी दर्जा देने जा रही है. (File Photo- PTI) यूपी की योगी सरकार घरौनी को स्थायी कानूनी दर्जा देने जा रही है. (File Photo- PTI)

समर्थ श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 24 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2025 में योगी सरकार ने ग्रामीण इलाकों के लिए एक अहम कानून पेश किया है. भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन तकनीक से तैयार किए गए ‘घरौनी' को स्थायी कानूनी ढांचा देने के लिए उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक–2025 सदन में रखा गया. इसके लागू होने से गांवों में रहने वाले लोग अपनी संपत्ति के पक्के कागजात के आधार पर बैंक से लोन और अन्य आर्थिक सुविधाएं ले सकेंगे.

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यूपी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह ने सदन में बताया कि यह विधेयक ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के स्वामित्व अभिलेखों को कानूनी मान्यता देने के लिए लाया गया है. अब ड्रोन सर्वे से बनी घरौनी का संरक्षण, समय-समय पर अपडेट और कानूनी प्रबंधन संभव हो सकेगा. उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों में सही सर्वे कर लोगों को उनकी जमीन और मकान के पक्के दस्तावेज देना है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें.

घरौनी से कैसे मिलेगा गांवों को लोन?

मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि घरौनी मिलने के बाद ग्रामीण अपनी संपत्ति के आधार पर बैंक लोन ले सकेंगे. इसके साथ ही संपत्ति कर तय करने, भूमि के सही रिकॉर्ड तैयार करने और ग्राम पंचायतों की विकास योजनाएं बनाने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि जीआईएस आधारित नक्शों से गांवों की योजना बनाना ज्यादा आसान और पारदर्शी होगा.

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ड्रोन सर्वे पूरा, अब अपडेट को मिलेगा कानूनी आधार

मंत्री ने बताया कि स्वामित्व योजना को लेकर भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एमओयू किया गया है. प्रदेश के 1,10,344 गांव इस योजना के तहत अधिसूचित किए गए हैं. गैर-आबाद गांवों को छोड़कर 90,573 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है. 9 मई 2025 तक करीब 1 करोड़ 6 लाख से ज्यादा घरौनियां तैयार की गईं, जिनमें से 1 करोड़ 1 लाख से अधिक घरौनियां ग्रामीणों को वितरित की जा चुकी हैं.

नामांतरण, विरासत और बिक्री की अब होगी स्पष्ट व्यवस्था

जयवीर सिंह ने कहा कि घरौनी बनने के बाद समय के साथ विरासत, उत्तराधिकार, बिक्री और अन्य कारणों से उनमें नाम बदलने और संशोधन की जरूरत पड़ती है. अब तक इसके लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं थे. इसी कमी को दूर करने के लिए राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर यह विधेयक लाया गया है, जिससे नामांतरण और संशोधन की प्रक्रिया तय होगी.

विधेयक में क्या-क्या प्रावधान

विधेयक के मुताबिक...

- ग्रामीण आबादी का अभिलेख ‘घरौनी’ कहलाएगा. इसमें स्वामी का नाम-पता, भूखंड का विवरण, क्षेत्रफल, रेखाचित्र और स्थानिक जानकारी दर्ज होगी.
- किसी गांव की सभी घरौनियों का संकलन ‘घरौनी रजिस्टर’ होगा. एक अलग आबादी मानचित्र भी तैयार किया जाएगा.
- सर्वेक्षण अधिकारी, अभिलेख अधिकारी और अधिसूचना जारी करने की स्पष्ट प्रक्रिया तय की गई है.

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विवाद कम होंगे, पारदर्शिता बढ़ेगी

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने से ग्रामीण इलाकों में संपत्ति विवादों में कमी आएगी. अभिलेखों में पारदर्शिता बढ़ेगी और कराधान व्यवस्था ज्यादा प्रभावी होगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार मानती है कि यह कानून ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला कदम साबित होगा और गांवों के योजनाबद्ध विकास को मजबूती देगा.

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