वकील का भेष और कोर्ट परिसर में 6 राउंड फायरिंग... पुलिस के सामने ऐसे हुआ संजीव जीवा का कत्ल

लखनऊ के सिविल कोर्ट में हुए संजीव जीवा हत्याकांड की तस्वीरें पूरे देश में तेजी से फैल गईं. कोर्ट परिसर में हथियार लेकर हमलावर आए, पहले एक गोली मारी, फिर कोर्टरूम में भागे, फिर कोर्टरूम में ही गेट पर गोली मारी. इस तरह संजीव जीवा को कुल छह गोलियां मारी गईं. 

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कोर्ट परिसर में संजीव जीवा को मारी गईं 6 गोलियां कोर्ट परिसर में संजीव जीवा को मारी गईं 6 गोलियां

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बुधवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब सबसे बड़े इस राज्य में कानून व्यवस्था की मजबूती के दावे करके सुरक्षा देने में फेल पुलिस व्यवस्था की नाकामी सबके सामने आ गई. लखनऊ में आज शाम कोर्टरूम के भीतर मुख्तार अंसारी के पुराने करीबी माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या कर दी गई. यह हमलावर वकील के रूप में आया था और इस हत्याकांड को लखनऊ पुलिस सिर्फ देखती रह गई.

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इस हत्याकांड की तस्वीरें भी सामने आईं. कोर्ट परिसर में हथियार लेकर हमलावर आए, पहले एक गोली मारी, फिर कोर्टरूम में भागे, फिर कोर्टरूम में ही गेट पर गोली मारी. इस तरह संजीव जीवा को कुल छह गोलियां मारी गईं. 

आम हत्याकांड नहीं है जीवा का मर्डर!

इस हत्याकांड को देखकर यह तो साफ कहा जा सकता है कि संजीव जीवा की हत्या सिर्फ एक माफिया की हत्या नहीं बल्कि अदालत में घुसकर उत्तर प्रदेश में पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर के सारे दावों को छलनी किया गया है. क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास से सिर्फ 7 किमी दूर, डीजीपी ऑफिस से 10 किमी दूर, कार्यवाहक सीपी पीयूष मोर्डिया के दफ्तर 5.5 किमी दूर, ज्वाइंट सीपी लॉ एंड ऑर्डर उपेंद्र अग्रवाल के दफ्तर से तो बमुश्किल 10 मिनट की दूरी पर ही कोर्टरूम के भीतर तक दौड़ाकर गोली मारी गई है. 

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आखिर कौन था ये संजीव जीवा?

आपको बता दें कि संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा 90 के दशक तक मुजफ्फरनगर में एक क्लीनिक पर कंपाउंडर का काम करता था. कंपाउंडर के नाम पर वो वहां सिर्फ दवा की पुड़िया बनाता था. फिर बताते हैं कि संजीव जीवा ने क्लीनिक के मालिक को ही अगवा कर लिया था. संजीव जीवा का पहली बार बड़ा नाम आया जब इसने नब्बे के दशक में ही कोलकाता के व्यापारी के बेटे को अगवा करके दो करोड़ फिरौती मांगी. फिर 1997 में संजीव जीवा बीजेपी के बड़े नेता और मायावती को गेस्ट हाउस कांड में बचाने वाले ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल रहा.

2003 में ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उससे पहले साल 2000 में माफिया मुन्ना बजरंगी के जरिए संजीव जीवा मुख्तार अंसारी का भी करीबी बन गया. इसके अलावा 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्तार के साथ जीवा भी शामिल था, लेकिन इस केस में ये दोनों बरी हो गए थे. 

यह भी पढ़ें- कैसे हुआ ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड, जिसके दोषी संजीव जीवा का लखनऊ कोर्ट में हुआ कत्ल

इस हत्याकांड की अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जांच के लिए तीन सदस्यों की एसआईटी बना दी है. सात दिन में इस टीम को ना सिर्फ ये बताना होगा कि कैसे जिस कानून व्यवस्था की तारीफ सरकार सबके सामने करती है, उसको चुनौती दी गई. बल्कि ये भी बताना होगा सात दिन में बड़े बड़े अफसर जो अपनी वाहवाही का ढिढोरा पिटवाते हैं, हकीकत में उनके जिम्मे ना जनता सुरक्षित है, ना वकील ना कानून. 

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19 वर्षीय लड़के ने दिया इस हत्याकांड को अंजाम

शूटर ने वकील के भेष में आकर दिया हत्याकांड को अंजाम

गौरतलब है कि यूपी के पुलिस महकमे में हड़कंप मचाने वाले इस शूटर का नाम विजय यादव है. इसी 19 साल के शूटर ने कोर्टरूम में घुसकर संजीव जीवा की हत्या कर दी. यह विजय यादव जब संजीव को मारने आया तो ये वकील के भेष में था. 

पुलिस के घेरे में हुई फायरिंग तो उठे सवाल

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मुख्तार के साथी माफिया जीवा को मारने का प्लान हो सकता है? क्या जानबूझकर जीवा को कोर्ट में पेश करने के दौरान सुरक्षा में चूक रखी गई? क्या माफिया के कोर्ट में कत्ल से पहले जानबूझकर उसे बुलेटफ्रूफ जैकेट नहीं पहनाकर लाया गया?  इससे पहले संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को पेशी के लिए लाया जाता था तो उसे बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनाई जाती थी.

पुलिस के घेरे में कई मर्डर

प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि पुलिस की सुरक्षा में इस तरह का हत्याकांड पहला मामला नहीं है. इससे कुछ दिन पहले भी प्रयागराज में वकील उमेश पाल को पुलिस की सुरक्षा में ही मार दिया गया. इसके बाद अतीक-अशरफ पुलिस के सामने मारे गए. अब संजीव जीवा पुलिस के सामने मारा गया. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है. 

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क्या यह न्याय है?

इस हत्याकांड पर लोगों की मिलीजुली राय है. कुछ का कहना है कि ये मारा जाने वाला माफिया संजीव माहेश्वर उर्फ जीवा है. मारा जाने वाला संजीव जीवा कोई आम आदमी नहीं ये तो माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी था. माफिया संजीव जीवा ने दो-दो बीजेपी विधायकों की हत्या की थी. जबकि न्याय तो वो होना चाहिए कि माफिया को सजा कानून दे. आजीवन कारावास की सजा काटते संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव को एक शूटर ने ही सैकड़ों वकीलों, ना जाने कितने पुलिसवालों के सामने ही कोर्ट के भीतर गोली मार दी.

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