'दंगाई गेट तोड़कर घुसे, मेरे पिता को मार डाला...', संभल पहुंचे पीड़ित ने सुनाई 46 साल पुरानी आपबीती

पीड़ित विनीत गोयल ने कहा कि मेरे पिता के साथ सभी लोग ऊपरी मंजिल पर चले गए थे, क्योंकि दंगाइयों ने ट्रैक्टर से हमारा लोहे का गेट तोड़ दिया था, इसके बाद कुछ लोग अंदर घुस आए और देखा कि नीचे कोई नहीं हैं तो वो ऊपर आ गए. दंगाई उन सभी लोगों को ऊपर से नीचे ले आए और गद्दी पर टायर-पेट्रोल डालकर लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी.

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46 साल पुरानी संभल हिंसा के पीड़ित विनीत गोयल. 46 साल पुरानी संभल हिंसा के पीड़ित विनीत गोयल.

aajtak.in

  • संभल,
  • 19 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:23 PM IST

उत्तर प्रदेश के संभल में खग्गू सराय में एक मंदिर मिला है. खग्गू सराय में जहां मंदिर मिला, वहां कई हिंदू परिवार रहते थे जो 1978 के दंगे के बाद घर छोड़कर चले गए थे. आजतक उसी परिवार के पास पहुंचा और ये जानने की कोशिश की कि आखिर 46 साल पहले दंगे वाले दिन संभल में क्या हुआ था,कैसे संभल में दंगा भड़काकर हिंदू परिवारों को निशाना बनाया गया, कैसे एक अफवाह को हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का हथियार बनाया गया.

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संभल हिंसा के पीड़ित विनीत गोयल ने कहा कि उस दिन सुबह 11 बजे का समय था, शहर में ये अफवाह उड़ा दी गई कि मौलवी जी का जामा मस्जिद में मर्डर हो गया है, हालांकि मर्डर तो हुआ था लेकिन ये गलत अफवाह उड़ गई कि एक हिंदू ने उनका मर्डर कराया, जबकि उनकी हत्या लोकल पॉलिटिक्स में आपस में हुई थी. कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने ज्यादा अफवाह फैला दी थी, यहां पहले एक हाता था, जिसमें हमारा बिजनेस करीब 5000 मीटर में फैला था, उसमें मेरे पिता थे और स्टाफ था. साथ ही गांव के कुछ लोग भी आ गए थे, उन्हें लगा कि ये जगह सुरक्षित है, क्योंकि बाहर आगजनी हो रही थी.

टायर-पेट्रोल डालकर निर्ममता से हत्या की

पीड़ित विनीत गोयल ने कहा कि मेरे पिता के साथ सभी लोग ऊपरी मंजिल पर चले गए थे, क्योंकि दंगाइयों ने ट्रैक्टर से हमारा लोहे का गेट तोड़ दिया था, इसके बाद कुछ लोग अंदर घुस आए और देखा कि नीचे कोई नहीं हैं तो वो ऊपर आ गए. दंगाई उन सभी लोगों को ऊपर से नीचे ले आए और गद्दी पर टायर-पेट्रोल डालकर लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी. हैरानी की बात ये है कि जिस परिवार के साथ ये जघन्यता हुई, आसपास के इलाके में उनकी काफी इज्जत थी, बिना धर्म जाति देखे दंगाइयों ने उन्हें भी नहीं बख्शा. वो हिंदू-मुसलमान- सभी की मदद करते थे.

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'मेरे पिता का पहले हाथ काटा फिर पैर...'

पीड़ित विनीत गोयल ने कहा कि हमारा एक रसोइया था हरिद्वारी लाल. वो हिंसा के वक्त वहीं मौजूद था, वो ड्रम के अंदर छिप गया. उसने बताया कि दंगाइयों ने मेरे पिता का सबसे पहले हाथ काटा, फिर पैर काटा, वो लगातार चीख रहे थे, वो दंगाइयों से कह रहे थे कि मुझे भले ही गोली मार दो, लेकिन ऐसा मत करो. उन्होंने कहा कि मेरे पिता सभी की मदद करते थे. कभी हिंदू या मुसलमान का विवाद होता था तो सभी उन्हीं को विवाद सुलझाने के लिए बुलाते थे.

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