'मुसलमान अपनी परेशानियों के लिए खुद जिम्मेदार...', देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा ने क्यों कही ये बात?

देवबंदी उलेमा ने कहा कि मुसलमानों के घरों से तिलावत और जिक्र का माहौल खत्म होता जा रहा है. घरों में उनकी जगह म्यूज़िक, नाच-गाना और बेतहाशा आतिशबाजी ने ले ली है. उन्होंने इसे अल्लाह की रहमत को दूर कर देने वाली सबसे बड़ी वजह बताया.

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देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा का बयान.(Photo:ITG) देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा का बयान.(Photo:ITG)

राहुल कुमार

  • सहारनपुर,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

UP News: सहारनपुर में देवबंदी उलेमा और जमीयत दावातुल मुस्लिमीन के संरक्षक कारी इसहाक गोरा ने एक दिल को झकझोर देने वाला बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के घरों में बढ़ती बदसुकूनी, बेचैनी और बरकत के खत्म होने की असली वजह बाहर नहीं, बल्कि घरों के भीतर फैल रहा शोर-शराबा और नाफरमानी का माहौल है.

कारी साहब का कहना है कि आज घरों में तिलावत और जिक्र की जगह म्यूजिक, नाच-गाना और बेतहाशा आतिशबाजी ने ले ली है, जो अल्लाह की रहमत को दूर कर देने वाली बड़ी वजह है.

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उन्होंने कहा कि मुसलमान अक्सर बाहर की शिकायत करते हैं, लेकिन हालात बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण उनकी अपनी जिंदगी के अंदर पैदा हुई खुराफातें हैं.

शादियों में बैंड-बाजा, डीजे, तेज गाने और रातभर चलने वाली आतिशबाजी न सिर्फ फिजूलखर्ची है, बल्कि राहगीरों, बीमारों, बच्चों और यहां तक कि परिंदों तक को तकलीफ पहुंचाती है.

कारी इसहाक गोरा ने साफ कहा, ''जब घर का माहौल ही अल्लाह की नाफरमानी से भर जाए, तो रहमत की उम्मीद किस तरह की जा सकती है.''

उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि शिकायतें छोड़कर सबसे पहले अपने अंदर झांकें. घरों से नाच–गाना, शोर और फिजूल की रस्में पूरी तरह निकाल दें, तभी रूहानियत और सुकून वापस लौटेगा. 

कारी साहब का कहना है कि इस्लाह की शुरुआत हमेशा अपने दिल और अपने घर से होती है. अगर कौम खुद को बदल ले, तो अल्लाह उसकी तकदीर भी बदल देता है.

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कारी साहब का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है और इसे समय की कड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है.

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