दिल्ली ब्लास्ट के बाद अब जांच एजेंसियों के हाथ कई अहम सुराग लग चुके हैं. हर दिन के साथ कई कहानियां सामने आ रही हैं. आरोपियों के परिजनों से ATS की पूछताछ के बाद अब इस कहानी का केंद्र बना है फरीदाबाद की अल फलह यूनिवर्सिटी. यहीं की बिल्डिंग नंबर 17 का रूम नंबर 13, जहां से आतंक की पूरी पटकथा लिखी गई बताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक यहीं साजिश रचने के प्रमाण मिले हैं.
इस साजिश की एक प्रमुख किरदार हैं डॉ. शाहीन अंसारी, जिनकी गिरफ्तारी ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है. शाहीन फरीदाबाद से विस्फोटक सामग्री के साथ पकड़ी गई थीं. शुरुआती पूछताछ में उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन अब एटीएस (ATS) और खुफिया एजेंसियों की पूछताछ में कई परतें खुलने लगी हैं.
डेढ़ साल से नहीं था संपर्क
शाहीन के पिता सईद अंसारी, जो खंदारी बाजार में रहते हैं और वन विभाग से सेवानिवृत्त हैं, ने बताया कि उनकी बेटी डेढ़ साल से परिवार से बिल्कुल संपर्क में नहीं थी. उन्होंने कहा, तीन बच्चे हैं – शोएब, शाहीन और परवेज़. उनका कहना है कि शाहीन पहले बहुत सीधी-सादी थी. 2013 में अचानक मेडिकल कॉलेज की नौकरी छोड़ दी और फिर कभी ठीक से संपर्क नहीं हुआ. शाहीन पहले कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थीं. वर्ष 2013 में उन्होंने बिना कोई नोटिस दिए नौकरी छोड़ दी. बाद में उनकी शादी महाराष्ट्र के जफर हयात से हुई, लेकिन 2015 में दोनों के बीच विवाद हुआ और रिश्ता टूट गया.
नौकरी, विवाद और फिर गायब होने की कहानी
2021 में GSVM मेडिकल कॉलेज ने अनुपस्थिति के कारण उसकी सेवा समाप्त कर दी. इसके बाद वह फरीदाबाद चली गईं. वहीं उनकी मुलाकात डॉ. मुजम्मिल से हुई, जिसने उन्हें अल फलह यूनिवर्सिटी से जोड़ा. जांच एजेंसियों का मानना है कि यहीं से शाहीन का संपर्क उस नेटवर्क से हुआ जो आगे चलकर आतंक की राह पर मुड़ गया. बिल्डिंग नंबर 17 के रूम नंबर 13 से मिले दस्तावेज, डिजिटल डाटा और सीसीटीवी फुटेज अब इस शक को लगभग पुख्ता कर रहे हैं कि इसी कमरे में ब्लास्ट की साजिश रची गई थी.
ATS की पकड़ में आई कड़ियां
ATS के सूत्रों के अनुसार, शाहीन की गिरफ्तारी के बाद उसके भाई परवेज़ अंसारी पर भी निगाहें टिकीं. लखनऊ की IIM रोड पर स्थित उनके घर पर देर रात छापा मारा गया. घर बंद मिला, जिसके बाद टीम ने ताला तोड़कर तलाशी ली.
घर से लैपटॉप, मोबाइल, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क जब्त की गईं. बाहर खड़ी एक कार पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पास मिला. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुष्टि की कि परवेज़ ने एक हफ्ता पहले ही मेडिसिन विभाग में सीनियर रेजिडेंट पद से “व्यक्तिगत कारणों” का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. ATS को शक है कि परवेज़ अपनी बहन शाहीन से लगातार संपर्क में था और दोनों किसी साझा मिशन पर काम कर रहे थे.
मुजम्मिल की कार से बरामद हुई AK-47, खुलासा बड़ा हुआ
पूरी कहानी में अहम किरदार डॉ. मुजम्मिल भी हैं, जिनकी कार से AK-47 बरामद हुई. पूछताछ में उन्होंने डॉ. शाहीन का नाम लिया, जिससे जांच एजेंसियां चौकन्नी हो गईं. शाहीन और मुजम्मिल की मुलाकात अल फलह यूनिवर्सिटी में हुई थी. मुजम्मिल वही व्यक्ति है जिसने शाहीन को वहां जॉब से जोड़ने में मदद की थी. ATS का कहना है कि शाहीन के डिजिटल रिकॉर्ड्स में कुछ संदिग्ध ईमेल्स और विदेशी संपर्कों के सबूत मिले हैं.
भाई परवेज की गुत्थी भी उलझी
ATS ने परवेज़ से पूछताछ में कई सवाल दागे जैसे क्या शाहीन से तुम्हारा हाल में संपर्क था? पहले उसने इंकार किया हालांकि, एजेंसी को मिले साक्ष्य बताते हैं कि दोनों के बीच कुछ सप्ताह पहले तक लगातार बातचीत होती रही थी. यही नहीं, शाहीन की गिरफ्तारी के बाद परवेज़ ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया और घर से फरार हो गया. कई घंटे की खोज के बाद ATS ने आखिरकार उसे हिरासत में ले लिया.
सहारनपुर कनेक्शन और फर्जी रजिस्ट्रेशन
पूछताछ में एक और हैरान करने वाला पहलू सामने आया. शाहीन के पास से बरामद कार का रजिस्ट्रेशन लखनऊ का था, लेकिन नंबर प्लेट सहारनपुर की लगी हुई थी. जब यह सवाल पूछा गया तो उसने गोलमोल जवाब दिया. सूत्र बताते हैं कि परवेज़ ने कुछ महीनों तक सहारनपुर के चौक इलाके में क्लीनिक भी चलाया था. यह वही दौर था जब शाहीन का विदेश जाने का जिक्र परिवार में चला था, लेकिन कोई नहीं जानता था कि वह वास्तव में कहां थी.
परिवार सदमे में, पिता बोले- यकीन नहीं होता
शाहीन की गिरफ्तारी के बाद परिवार सदमे में है. पिता सईद अंसारी ने कहा, हमें खबर पुलिस से मिली. यकीन नहीं होता कि शाहीन किसी गलत रास्ते पर जा सकती है. वह बचपन से डॉक्टर बनना चाहती थी, इंसानियत की सेवा उसका मकसद था. उन्होंने बताया कि शाहीन अक्सर अपने विचारों में खोई रहती थी. तलाक के बाद वह मानसिक रूप से बहुत तनाव में आ गई थी और धीरे-धीरे परिवार से दूर होती चली गई.
ATS की जांच से सामने आए कई नए एंगल
एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या शाहीन, मुजम्मिल और परवेज़ किसी बड़े संगठन से जुड़े थे या यह किसी स्थानीय नेटवर्क की साजिश थी. जांच एजेंसियों ने अब जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर शाहीन और परवेज़ के पुराने संपर्कों की सूची तैयार की है. कई नंबरों की ट्रैकिंग चल रही है.
आशीष श्रीवास्तव / समर्थ श्रीवास्तव