विदेश भेजने के नाम पर लाखों ठगने वाले गैंग का भंडाफोड़, तैयार करते थे जाली मार्कशीट भी

पीलीभीत में जाली मार्कशीट के जरिए युवाओं को विदेश भेजने का वादा करके कथित तौर पर ठगने वाले गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. ये लोगों से विदेश भेजने के नाम पर 5 सालों से ठगी कर रहे थे.

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aajtak.in

  • पीलीभीत,
  • 18 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:13 AM IST

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जाली मार्कशीट के जरिए युवाओं को विदेश भेजने का वादा करके कथित तौर पर ठगने वाले गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विक्रम दहिया ने यहां संवाददाताओं से कहा,'यह गैंग मुख्य रूप से पूरनपुर और माधोटांडा इलाकों के युवाओं को निशाना बनाता था.उनसे विदेश यात्रा का वादा करके बड़ी रकम वसूली जाती थी. पुलिस ने गिरोह के सदस्यों से सात मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, एक कार, 60 से अधिक फर्जी एजुकेश्नस सर्टिफिकेट्स और नकदी बरामद की है.'

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विदेश भेजने के लिए 20 लाख रुपये की मांग

दरअसल, गांव वीरखेड़ा निवासी गुरप्रीत सिंह ने माधोटांडा थाने में चार लोगों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है. सिंह के मुताबिक जालसाजों ने उनके छोटे भाई पवनदीप सिंह को विदेश भेजने के लिए 20 लाख रुपये की मांग की थी.उन्होंने बताया कि उन्होंने शुरू में जरूरी दस्तावेजों के साथ अग्रिम राशि के रूप में 5 लाख रुपये का भुगतान किया था.

पैसे देना बंद किया तो बंदूक की नोंक पर लिए 8 लाख

सिंह ने आरोप लगाया कि गिरोह ने पवनदीप को स्नातक की फर्जी मार्कशीट भी उपलब्ध कराई थी, जबकि पवन ने केवल 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी. ऐसे में संदेह होने पर, सिंह ने अपने भाई को विदेश न भेजने का फैसला किया. 14 फरवरी को, आरोपी कथित तौर पर उसके घर पहुंचे, उसे बंदूक की नोक पर धमकी दी और बाकी के 8 लाख रुपये की उगाही की.

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छापेमारी में पकड़े गए 7
 
जांच के बाद,एएसपी के नेतृत्व में पुलिस टीमों ने पूरनपुर और माधोटांडा पुलिस स्टेशनों से जुड़े कई स्थानों पर छापेमारी की और नरेंद्र पांडे, सिमरनजीत सिंह, मलकीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरसिमरन सिंह, रवींद्र सिंह और एम सिंह के रूप में पहचाने गए सात आरोपियों को गिरफ्तार किया.उन्हें अदालत में पेश किया गया और बाद में जेल भेज दिया गया.

पूछताछ के दौरान, आरोपी ने कथित तौर पर पिछले पांच सालों से रैकेट में शामिल होने, वीजा मंजूरी की सुविधा के लिए फर्जी मार्कशीट और अन्य जाली दस्तावेज तैयार करने और इच्छुक छात्रों, विशेष रूप से हिंदी-माध्यम पृष्ठभूमि या सीमित शिक्षा वाले छात्रों को धोखा देने की बात स्वीकार की.

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