गोरखपुर के रामडीह गांव में रेबीज संक्रमित गाय की मौत से दहशत फैल गई है. कुछ दिन पहले एक धार्मिक अनुष्ठान में इसी गाय के कच्चे दूध का पंचामृत बनाकर लगभग 200 ग्रामीणों ने आस्था से ग्रहण किया था. गाय की मौत के बाद चिकित्सकों ने सभी को रेबीज का इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी है, जिसके बाद अब तक 170 से ज्यादा लोग टीका लगवा चुके हैं.
दहशत में 200 ग्रामीण
आपको बता दें कि यह घटना गोरखपुर के उरुवा ब्लॉक के रामडीह गांव में हुई. गांव के लगभग 200 ग्रामीण दहशत में हैं. दरअसल, गांव में आयोजित एक धार्मिक अनुष्ठान में रेबीज संक्रमित गाय के कच्चे दूध से बना पंचामृत लोगों ने ग्रहण किया था. दो दिन पहले संक्रमित गाय की मौत हो गई. तीन महीने पहले गाय को एक आवारा कुत्ते ने काटा था. चिकित्सकों ने सभी लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने की सलाह दी.
जानकारी के मुताबिक, सुशील गौड़ की गाय को करीब तीन महीने पहले एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था. गौड़ ने जागरूकता दिखाते हुए गाय को तुरंत एंटी रेबीज वैक्सीन दिलवाई, लेकिन बाद में जानकारी के अभाव में इलाज नहीं कराया. धीरे-धीरे गाय में रेबीज के लक्षण दिखने लगे और वह अजीबोगरीब हरकतें करने लगी. दो दिन पहले रेबीज संक्रमण के कारण गाय की मौत हो गई, जिसके बाद ग्रामीणों में दहशत फैल गई.
धार्मिक आयोजन बना खतरे की घंटी
रामडीह गांव में राजीव गौड़ और सोनू विश्वकर्मा के घर एक धार्मिक आयोजन था. इसमें पंचामृत बनाने के लिए धर्मेंद्र गौड़ की गाय का कच्चा दूध इस्तेमाल किया गया था. धार्मिक आस्था के चलते लगभग 150 से 200 ग्रामीणों ने श्रद्धापूर्वक यह पंचामृत ग्रहण किया. जब गाय के रेबीज संक्रमित होने की जानकारी सामने आई, तो पूरे गांव में खतरे की घंटी बज गई. जजमान के घरवाले और रिश्तेदार भी पंचामृत का सेवन करने वालों में शामिल थे.
170 से अधिक लोगों को लगा टीका
इस घटना के बाद उरुवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. चिकित्सक डॉ. एपी सिंह ने बताया कि एहतियात के तौर पर पंचामृत ग्रहण करने वाले हर व्यक्ति को रेबीज वैक्सीन की तीन डोज दी जाएगी. अब तक 170 से अधिक ग्रामीण पीएचसी पहुंचकर वैक्सीन की पहली डोज ले चुके हैं. लोग बेहद चिंतित हैं क्योंकि संक्रमण का खतरा सीधे जीवन से जुड़ा हुआ है.
गजेंद्र त्रिपाठी