पाकिस्तान में जन्मीं मां-बेटी अब भारत की नागरिक, बोलीं- पहलगाम हमला दिल दहलाने वाला, हमें हिंदुस्तान से मोहब्बत है

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया. अधिकतर को समय सीमा के भीतर वापस भेजा जा चुका है. ऐसे माहौल में बरेली की रहने वाली एक मां-बेटी चर्चा में हैं, जिनका जन्म पाकिस्तान में हुआ, लेकिन अब वे भारतीय नागरिक हैं. इन दोनों ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस घटना से बेहद दुख पहुंचा है.

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शबाना और महक. शबाना और महक.

कृष्ण गोपाल राज

  • बरेली,
  • 02 मई 2025,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश हुआ है, वहीं बरेली में रहने वाली महक और उनकी मां शबाना पाकिस्तान में जन्मी थीं. इन दोनों को भारत की नागरिकता मिल चुकी है. दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का आभार जताया. साल 1947 के विभाजन के समय पाकिस्तान में जन्मी यह मां-बेटी अब भारत में सुरक्षित और खुशहाल जीवन जी रही हैं. उनका परिवार कई सालों से भारतीय नागरिकता की प्रक्रिया में था, और 2017 में उन्हें यह अधिकार मिला.

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जानकारी के अनुसार, थाना किला क्षेत्र स्थित मलूकपुर में रह रहीं महक और उनकी मां शबाना का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. अब इन दोनों को भारत की नागरिकता मिल गई है. परिवार ने बताया कि महक के पिता भारत के नागरिक हैं, मगर मां पाकिस्तान की नागरिक थीं. दोनों की शादी के बाद महक का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. इस वजह से महक को पाकिस्तान की नागरिकता मिली हुई थी. अब दोनों को भारत की नागरिकता मिल गई है तो परिवार में खुशी का माहौल है.

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महक ने बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उनको डर सता रहा था कि शायद अब भारत छोड़ना पड़ेगा. कई सालों की भागदौड़ के बाद साल 2017 में मोदी सरकार की बदौलत बरेली में शबाना और महक को भारतीय नागरिकता मिली. परिवार के लोगों ने बताया कि 31 साल तक अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े. नागरिकता के लिए मोदी सरकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का आभार जताया. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर महक और शबाना ने गहरा दुख जताया.

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शबाना के पति यूसुफ अली खां ने बताया कि 1947 के बंटवारे में उनका परिवार बिखर गया था. उनके मामा, मौसी और चाचा पाकिस्तान चले गए थे. शबाना, उनकी मौसी की बेटी हैं. परिवार को जोड़ने के लिए ही यूसुफ की शादी शबाना से 24 अगस्त 1986 में कर दी गई थी.‌ शादी के बाद उनके चार बच्चे हैं, जिनमें से सिर्फ महक का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन अब उसकी भी शादी हो चुकी है.

शादी के बाद महक की तीन संतानें हुईं, जिनमें 15 वर्षीय सुहाना, 12 वर्षीय फिरजा और 5 वर्षीय बानिया है. महक ने कहा कि मुझे पाकिस्तान कभी अच्छा नहीं लगा. मुझे हिंदुस्तान से मुहब्बत है. यहीं मेरी परवरिश हुई, यहीं मेरा घर है. नागरिकता मिलने के बाद सुकून है. अब यह परिवार बरेली के किला थाना क्षेत्र के मलूकपुर में सुकून की जिंदगी बिता रहा है. यूसुफ ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत हमारा देश है. यहां सब मिल-जुलकर रहते हैं.

महक ने कहा कि हमें बहुत खुशी है कि भारत की नागरिकता मिल गई. इससे पहले भी एक बार हमें देश छोड़ना पड़ गया था तो बहुत तकलीफ हुई थी. बच्चे यहां रह गए थे. जिन लोगों को देश छोड़कर जाना पड़ रहा है, बहुत परेशानी हो रही है. फिलहाल हमें भारत की नागरिकता मिल गई, बहुत खुशी है. शबाना ने कहा कि हमें खुशी कि भारत की नागरिकता मिल गई. मेरा जन्म पाकिस्तान में हुआ था. मेरी बेटी का जन्म भी पाकिस्तान में हुआ था. पहलगाम में हुए टेरर अटैक से बहुत ज्यादा दुख पहुंचा है.

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