नोएडा के निठारी में गायब बच्चों के मानव अवशेष मिलने के 20 साल बाद, मामले के सह-आरोपी रहे सुरेंद्र कोली को आखिरकार रिहाई मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को उसे जेल से बाहर निकाल दिया गया. अदालत ने उसकी क्यूरेटिव पिटिशन स्वीकार करते हुए सभी पुराने फैसले रद्द कर दिए. कोर्ट ने 15 फरवरी 2011 और 28 अक्टूबर 2014 के उन आदेशों को भी निरस्त कर दिया, जिनमें कोली की सजा को बरकरार रखा गया था और पुनर्विचार याचिका खारिज की गई थी.
16 मामलों में चला मुकदमा, मौत की सजा भी हुई थी तय
सुरेंद्र कोली पर हत्या, रेप और अमानवीय कृत्यों के 16 मामले दर्ज थे. इन सभी मामलों में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी. दिसंबर 2006 में जब निठारी कांड सामने आया था, तब नोएडा के सेक्टर-31 स्थित कुख्यात D-5 कोठी से कई बच्चों के अवशेष मिले थे. इस वारदात ने पूरे देश को हिला दिया था. कोली उस समय एक साधारण बैरक में रहता था और एक साल पहले ही उसे लुक्सर जेल में शिफ्ट किया गया था.
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पीड़ित परिवारों ने जताया गहरा विरोध
हालांकि इस फैसले से पीड़ित परिवार बेहद दुखी हैं. एक मृत बच्ची ज्योति की मां सुनीता ने कहा कि दोनों को बरी नहीं करना चाहिए था. कोली ने खुद थाने में माफी मांगी थी और कहा था कि उसी ने मेरी बच्ची की हत्या की थी.
मुख्य आरोपी पंढेर पहले ही बरी, अब कोली भी आजाद
गौरतलब है कि इस मामले के मुख्य आरोपी मुनेन्द्र सिंह पंढेर को पहले ही सभी मामलों में बरी किया जा चुका था. अब सुरेंद्र कोली के आखिरी मामले में भी क्यूरेटिव पिटिशन स्वीकार होने के बाद उसकी रिहाई हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद निठारी कांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.
भूपेन्द्र चौधरी