पुलिस उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग, मोबाइल दुकानदार ने अस्पताल में तोड़ा दम

मुज़फ्फरनगर में पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाकर खुद को आग लगाने वाले 22 साल के मोबाइल दुकानदार अनस की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई. घटना से जुड़ा उनका वीडियो वायरल होने के बाद तीन पुलिसकर्मियों सब-इंस्पेक्टर राम अवतार, हेड कांस्टेबल भूपेंद्र और कांस्टेबल विकास को निलंबित कर दिया गया है. परिवार ने आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है. मामले की उच्च स्तरीय जांच जारी है.

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युवक की हुई मौत (Photo: Representational) युवक की हुई मौत (Photo: Representational)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाकर खुद को आग लगाने वाले 22 साल के मोबाइल दुकानदार अनस की बुधवार शाम दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. 

अनस मुजफ्फरपुर के कला गांव का निवासी था. उसने 19 नवंबर को कथित रूप से आत्मदाह का प्रयास किया था. गंभीर हालत में उसे दिल्ली रेफर किया गया, जहां आठ दिनों तक चले उपचार के बाद उसने दम तोड़ दिया.

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तीन पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज

अनस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वह आरोप लगाते दिख रहा था कि स्थानीय पुलिसकर्मियों की प्रताड़ना और अवैध दबाव के चलते उसे यह कदम उठाना पड़ा. वीडियो वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ गया और पुलिस प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई की.

अनस के परिजनों ने बताया कि पुलिसकर्मियों की लगातार दबंगई, धमकी और झूठे आरोपों से परेशान होकर वह मानसिक रूप से टूट चुका था. परिजन कहते हैं कि उसने कई बार पुलिस की हरकतों को लेकर शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. परिजनों का कहना है कि उसकी मौत पुलिस की ज्यादती का नतीजा है.

वरिष्ठ अधिकारी करेंगे मामले की जांच

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) संजय कुमार ने शुरुआती जांच के आधार पर तीन पुलिसकर्मियों सब-इंस्पेक्टर राम अवतार, हेड कांस्टेबल भूपेंद्र, और कांस्टेबल विकास को निलंबित कर दिया है. SSP ने कहा कि यह कार्रवाई प्रथमदृष्टया लापरवाही और कर्तव्यहीनता पाए जाने के आधार पर की गई है. आगे की जांच उच्चाधिकारियों की निगरानी में जारी रहेगी.

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घटना के बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है. अनस का शव गुरुवार दोपहर उसके गांव पहुंचेगा, जहां पुलिस प्रशासन किसी भी संभावित स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सतर्क है. स्थानीय लोग भी पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि पूरे प्रकरण की मजिस्ट्रेट जांच होनी चाहिए.
 

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