दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम ब्लास्ट की जांच अब प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राजकीय मेडिकल कॉलेज तक पहुंच गई है. गिरफ्तार डॉ. शाहीन सईद उर्फ शाहीन शाहिद का नाम इस कड़ी में सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियां अब उसके पुराने शैक्षणिक रिकॉर्ड और कॉलेज के साथियों तक पहुंच रही हैं. शाहीन ने यहीं से डॉक्टर बनने की शुरुआत की थी लेकिन वही सफर अब उसे एक आतंकी नेटवर्क की संदिग्ध सदस्य बना चुका है.
छात्रा से आतंक के शक तक
साल 1996 में शाहीन ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज में एमबीबीएस में दाखिला लिया था. कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल में रहकर उसने साल 2002 में एमबीबीएस की डिग्री पूरी की. इसके बाद यहीं से फार्माकोलॉजी में एमडी किया और 2006-07 में यूपी लोक सेवा आयोग (UPPSC) के माध्यम से गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुई. बताया जा रहा है कि वह शांत स्वभाव की, लेकिन महत्वाकांक्षी छात्रा थी. एमडी के दौरान उसकी मेहनत और लगन के कई किस्से कॉलेज के शिक्षकों के बीच आज भी चर्चा में हैं. मगर, किसी ने कल्पना नहीं की थी कि एक दिन यही छात्रा देश की सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर होगी.
जांच की दिशा प्रयागराज तक
दिल्ली ब्लास्ट केस के बाद जब एटीएस और खुफिया एजेंसियों ने शाहीन के नेटवर्क को खंगालना शुरू किया, तो उन्हें कई पुराने कनेक्शन प्रयागराज तक मिले. एजेंसियां अब मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के रिकॉर्ड, उसके दाखिले के दस्तावेज और पुराने हॉस्टल रजिस्टर की पड़ताल कर रही हैं. सुरक्षा एजेंसियां शाहीन के कई बैचमेट्स और फैकल्टी सदस्यों से संपर्क साधने की तैयारी में है. कुछ डॉक्टरों ने बताया कि शाहीन से आखिरी बार 2006 में संपर्क हुआ था, जब वह कानपुर में जॉइन करने की बात बता रही थी.
डॉक्टर की टूटी हुई कहानी
डॉ. शाहीन की निजी ज़िंदगी 2015 में पूरी तरह बदल गई. महाराष्ट्र के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जफर हयात से तलाक के बाद वह अकेली रहने लगी. इसी दौर में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे डॉ. मुजम्मिल शकील से उसकी मुलाकात हुई. दोनों की नज़दीकी बढ़ी, और शाहीन धीरे-धीरे एक ऐसे धार्मिक नेटवर्क के संपर्क में आई जिसने उसकी पूरी सोच और दिशा को प्रभावित किया. एजेंसियों के अनुसार, इसी दौरान वह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े महिला विंग जमात-उल-मोमिनात के संपर्क में आई. इस संगठन ने मेडिकल पहचान की आड़ में कई डॉक्टरों को अपने नेटवर्क में शामिल किया था. शाहीन भी धीरे-धीरे इसी जाल में फंस गई.
फरीदाबाद कनेक्शन और संदिग्ध सफर
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी के दौरान शाहीन ने मेडिकल फैकल्टी के रूप में काम किया. इसी दौरान वह जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और हरियाणा के बीच अक्सर सफर करने लगी. एजेंसियों का कहना है कि वह मेडिकल सेमिनार और हेल्थ कैंप के नाम पर कई बार ऐसे इलाकों में गई, जहां पहले से संदिग्ध गतिविधियां पाई जा चुकी थीं. उसकी हर यात्रा अब जांच के दायरे में है किससे मिली, किन नंबरों से संपर्क में रही, और किन ठिकानों पर ठहरी.
भाई परवेज पर भी शक
डॉ. शाहीन का भाई, डॉ. परवेज अंसारी, लखनऊ के इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर था. हाल ही में उसने अचानक इस्तीफा दे दिया. एटीएस को शक है कि उसने यह कदम एजेंसियों की जांच से पहले उठाया, क्योंकि उसे भनक लग गई थी कि अब सुरक्षा एजेंसियां उस तक पहुंचने वाली हैं. पुलिस ने उसके घर से लैपटॉप, टैबलेट, हार्ड डिस्क और कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए हैं. इनमें मिले डेटा से उसके जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल से जुड़ाव की आशंका और गहरी हो गई है.
घर से जब्त हुईं संदिग्ध वस्तुएं
11 नवंबर को एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने लखनऊ के लालबाग स्थित उसके घर पर छापा मारा. उसके पिता सईद अंसारी जो हेल्थ डिपार्टमेंट से रिटायर अधिकारी हैं मौजूद थे. पुलिस को वहां से कई अहम दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कुछ संदिग्ध नोट्स मिले. हालांकि पिता ने साफ कहा कि मेरी बेटी निर्दोष है, उसने हमेशा मरीजों की सेवा की है. लेकिन एजेंसियों को शाहीन की कार से एके-47, पिस्टल और कारतूस मिलने के बाद अब किसी शक की गुंजाइश नहीं दिख रही.
कॉलेज दोस्तों से पूछताछ शुरू
एजेंसियों ने प्रयागराज मेडिकल कॉलेज के कई पूर्व छात्रों से संपर्क करने की तैयारी में है जो शाहीन के साथ 1996 से 2002 के बीच पढ़े थे. उनसे यह पूछा जा रहा है कि क्या शाहीन ने उस समय किसी खास विचारधारा या समूह से जुड़ाव दिखाया था. अब तक किसी ने उसके उस दौर में कट्टरपंथी झुकाव की पुष्टि नहीं की है.
मेडिकल नेटवर्क के नाम पर आतंक की डोर
दिल्ली ब्लास्ट की जांच ने मेडिकल प्रोफेशन में छिपे आतंकी मॉड्यूल की पोल खोल दी है. शाहीन और उसके संपर्क में आए डॉक्टरों का नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ था. अब तक छह डॉक्टरों की गिरफ्तारी हो चुकी है जिनमें फरीदाबाद, सहारनपुर, श्रीनगर और लखनऊ से संबंध रखने वाले डॉक्टर शामिल हैं. एजेंसियों को संदेह है कि यह नेटवर्क धर्म और पेशे के नाम पर ब्रेनवॉश कर युवाओं को आतंक की राह पर ले जा रहा था. शाहीन इसमें महिला कमांडर की भूमिका निभा रही थी जो फंडिंग, लॉजिस्टिक और गुप्त ट्रांजेक्शन की जिम्मेदारी संभालती थी.
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