कानपुर में आयोजित मजलिस तहफ़्फुज़ ख़त्मे नबूव्वत कॉन्फ्रेंस में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बाजारों में 'आई लव मोहम्मद' लिख देना सच्ची मोहब्बत नहीं है. उन्होंने कहा, 'अगर मोहब्बत है तो अल्लाह की सीरत को अपने दिल में उतारो.'
मदनी ने मंच से देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति पर चिंता जताते हुए कहा, 'हमारे मुल्क के अंदर फिरकापरस्ती का नाच चल रहा है. मुसलमान के साथ नफरत का बीज पहले बोया गया, अब तो नफरत के बड़े-बड़े दरख्त खड़े हो गए हैं.'
'अजान की आवाज कम की जा रही'
उन्होंने कहा कि आज फिरकापरस्त ताकतें इस्लाम को जंग का मजहब बताने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इस्लाम की असली तालीम मोहब्बत, इंसाफ और अमन की है. मैं कहता हूं, कोई अपने मजहब की इतनी पाकीजा तस्वीर पेश करके दिखाए, जैसी तस्वीर इस्लाम की तालीम में है.
सरकार के बुलडोजर एक्शन और मस्जिदों पर की जा रही कार्रवाई पर भी उन्होंने नाराजगी जताई. मदनी बोले, 'जगह-जगह बुलडोजर चल रहे हैं, मस्जिदें गिराई जा रही हैं, अजान की आवाज कम की जा रही है. इसका मुकाबला कुरान और हदीस की तालीम से ही किया जा सकता है.'
'आपका किरदार इस्लाम की सही तस्वीर पेश कर सकता है'
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे अपने किरदार और आचरण से इस्लाम की सच्ची तस्वीर दुनिया के सामने रखें. उन्होंने कहा, 'जो लोग नफरत का बाजार सजा रहे हैं, उनके पास ताकत है. आपके पास ताकत नहीं, लेकिन आपका किरदार इस्लाम की सही तस्वीर पेश कर सकता है.'
मौलाना मदनी ने आखिर में कहा कि हिंदू और मुसलमानों की मोहब्बत ही इस मुल्क की पहचान थी. आज नफरत की सियासत को देखो और उस पर थूक दो. प्यार और मोहब्बत की तालीम ही इस देश की जान थी.
सिमर चावला