फेक डिग्री रैकेट पर बड़ा एक्शन... लखनऊ ED का 15 ठिकानों पर छापा, माफियाओं और संस्थानों पर शिकंजा

लखनऊ से लेकर दिल्ली और हरियाणा तक अचानक कई शहरों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों ने धावा बोला. ईडी के निशाने पर वे माफिया और संस्थान थे, जो फर्जी डिग्री मामले में शामिल रहे. मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज केस में ED अब उन दस्तावेजों, बैंक खातों और नेटवर्क की पड़ताल कर रही है, जिसने हजारों युवाओं के करियर के साथ खिलवाड़ किया और करोड़ों की काली कमाई की.

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लखनऊ ईडी का 15 ठिकानों पर छापा. (Photo: Representational) लखनऊ ईडी का 15 ठिकानों पर छापा. (Photo: Representational)

अरविंद ओझा

  • लखनऊ/नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST

फर्जी डिग्री प्रमाणपत्र बनाने और बेचने वाले गिरोहों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है. मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज किए गए मामले में बुधवार सुबह से ही देश के कई राज्यों में एकसाथ छापेमारी की जा रही है. यह कार्रवाई फर्जी डिग्री माफिया और उनसे जुड़े शिक्षण संस्थानों पर शिकंजा कसने के उद्देश्य से की गई है.

ईडी की टीमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के 15 ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं. जिन प्रमुख जगहों पर यह कार्रवाई चल रही है, उनमें हापुड़ की Monad University, उन्नाव में सरस्वती मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, हरियाणा के साथ ही दिल्ली और नोएडा क्षेत्र शामिल हैं.

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हापुड़ स्थित Monad University और इसके चेयरमैन विजेंद्र हुड्डा के घर, दफ्तर और अन्य ठिकानों पर भी तलाशी जारी है. विजेंद्र हुड्डा इस फर्जी डिग्री रैकेट का प्रमुख सरगना है.

यह भी पढ़ें: दिल्ली के फ्लैट में छिपी थी फर्जी डिग्री गैंग की 'खिलाड़ी' संगीता, भतीजा बाहर से कर जाता था लॉक, बिजली चेक के बहाने अंदर घुसी ATS

विजेंद्र हुड्डा ने वर्ष 2024 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) से चुनाव भी लड़ा था. फर्जी डिग्री घोटाले के मामले में उत्तर प्रदेश एसटीएफ पहले ही हुड्डा को गिरफ्तार कर चुकी है. अब ईडी यह जांच कर रही है कि फर्जी डिग्री बेचकर कमाई गई रकम कहां और कैसे इनवेस्ट की गई.

ईडी ने इस पूरे मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज किया है. आरोप है कि बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री और सर्टिफिकेट तैयार किए जाते थे. इन्हें देशभर में छात्रों, नौकरी चाहने वालों और विदेश जाने वालों को बेचा जाता था. इस गैरकानूनी कमाई को रियल एस्टेट और अन्य कारोबार में लगाया गया.

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जांच जारी, एक्शन और गिरफ्तारी की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, कई संदिग्ध दस्तावेज, कंप्यूटर, डिजिटल रिकॉर्ड और करोड़ों रुपये की लेन-देन से जुड़े सबूत बरामद हुए हैं. ED की टीमें दस्तावेज सील कर रही हैं और आगे गिरफ्तारी की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा. यह छापेमारी सिर्फ एक यूनिवर्सिटी या व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार और संगठित अपराध के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

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