'JCB ड्राइवर ने गिराई झोपड़ी, लेखपाल ने लगाई आग.. SDM ने कहा- कोई बचने न पाए', मां-बेटी की मौत पर FIR

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में बुलडोजर चलाने की कार्रवाई के दौरान मां-बेटी की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. एक झोपड़ी को गिराने के लिए प्रशासन बुलडोजर लेकर पहुंचा, लेकिन उसमें मौजूद मां-बेटी की परवाह तक नहीं की. झोपड़ी को बुलडोजर से गिराया गया, फिर उसी वक्त झोपड़ी में आग लग गई और मां-बेटी की मौत हो गई.

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हादसे के वक्त मौके पर पहुंचे एडीजी हादसे के वक्त मौके पर पहुंचे एडीजी

सूरज सिंह

  • कानपुर देहात,
  • 14 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

कानपुर देहात में प्रशासन की मनमर्जी और लापरवाही भरे रवैये ने दो जिंदगियों को खत्म कर दिया. एक झोपड़ी को गिराने के लिए प्रशासन बुलडोजर लेकर पहुंचा, लेकिन उसमें मौजूद मां-बेटी की परवाह तक नहीं की. उसी वक्त झोपड़ी में आग लग गई और दूसरी तरफ से आंखों पर पट्टी बांधे अधिकारियों ने बुलडोजर चलाने का आदेश दे दिया.

बुलडोजर चलाए जाने की वजह से मां-बेटी मलबे में ही दब गईं और आग के हवाले हो गईं. इस घटना के बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया. परिजनों ने मौके से डेड बॉडी उठाने से मना कर दिया है. बेटे शिवम का कहना है कि जबतक मुख्यमंत्री या डिप्टी सीएम नहीं आयेंगे, तब तक हम शव नहीं उठायेंगे. एडीजी से लेकर तमाम अफसर मौके पर हैं.

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SDM-लेखपाल समेत कई लोगों पर FIR

इस मामले में एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह, एसओ दिनेश गौतम समेत कई पुलिसकर्मियों और अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है. शिकायतकर्ता शिवम दीक्षित के मुताबिक, जिस जमीन को लेकर विवाद है उस पर 100 साल से हमारे बुजुर्ग ने बगीचा बनाया और मां-पिता 20 साल से पक्का मकान बनाकर रहे हैं.

शिवम की जुबानी, हादसे की कहानी

शिवम दीक्षित ने पूरे घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा, 'सोमवार को एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह, एसएचओ दिनेश कुमार गौतम अपने 12-15 पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे. इस दौरान मेरी मां और बहन अपनी झोपड़ी में आराम कर रहे थे और वहां पर 22 बकरियां भी थी.'

कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी प्रमिला और बेटी नेहा की मौत

शिवम ने आगे कहा, 'दीपक जेसीबी ड्राइवर ने सुनियोजित तरीके से फुस्स की झोपड़ी को बिना मां-पिता और बहन को सूचित किए हुए गिरवा दी और लेखपाल अशोक सिंह ने आग लगा दी. इस दौरान एसडीएम मैथा ने कहा कि आग लगा दो, झोपड़ी में कोई बचने न पाए... किसी तरह मैं झोपड़ी के बाहर निकला तो एसएचओ दिनेश गौतम और पुलिसकर्मियों ने मुझे पीटा और आग में फेंकने की कोशिश की.'

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क्या है पूरा मामला

कानपुर देहात के रूरा थाने के मड़ौली गांव में जो झोपड़ी गिराई गई. उसमें कृष्ण गोपाल दीक्षित अपने परिवार के साथ रहते थे. उनके खिलाफ अवैध कब्जे की शिकायत की गई थी. वही कब्जा हटाने प्रशासन की टीम बुलडोजर के साथ पहुंची थी. 
बताया जाता है कि दीक्षित और उनके परिवार का बुलडोजर दस्ते से कहासुनी हुई और फिर झोपड़े को गिरने से बचाने के लिए मां-बेटी ने खुद को उसमें बंद कर लिया.

आरोप है कि बुलडोजर टीम ने पहले नल और मंदिर को गिराया और फिर छप्पर गिरा दिया, छप्पर गिरते उसमें आग लग गई. झोपड़ी में मौजूद कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला और उनकी 23 साल की बेटी नेहा की आग की चपेट में आने से जलकर मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कृष्ण गोपाल गंभीर रूप से झुलस गए. हालांकि आग कैसे लगी? इसका खुलासा नहीं हो पाया है, लेकिन परिवार का आरोप है कि एसडीएम के कहने पर लेखपाल ने आग लगाई थी.

चूंकि मृतक महिला का बड़ा बेटा शिवम बजरंग दल में सह संयोजक हैं, लिहाजा दर्जनों की तादाद में बजरंग दल के कार्यकर्ता भी वहां पहुंच गए. भीड़ ने मौके से बुलडोजर टीम को खदेड़ दिया. इस दौरान ग्रामीणों ने मौके पर खड़ी लेखपाल की गाड़ी को पलट दिया. गांव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ पीएसी भी तैनात कर दी गई है. खबर मिलते ही कानपुर कमिश्नर ADG और आईजी भी मौके पर पहुंच गए.

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घटना की जानकारी होने पर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी मौके पर पहुंच गई. सवाल उठता है कि जब मां-बेटी ने खुद को झोपड़े में बंद कर लिया था तो फिर बुलडोजर कैसे चल गया? क्या मौके की नजाकत को बुलडोजर टीम नाकाम रही? मामला बेहद संवेदनशील है और सरकार सख्त कार्रवाई करने के मूड में है.

 

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