15 हजार महीना कमाने वाले को 34 करोड़, जूस बेचने वाले को 8 करोड़ का इनकम टैक्स विभाग का नोटिस

अलीगढ़ में तीन लोगों को इनकम टैक्स के करोड़ों रुपये के नोटिस मिले, जबकि उनकी कमाई बेहद मामूली है. जांच में पता चला कि धोखेबाजों ने उनके आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल करके फर्जी कंपनियों के नाम पर करोड़ों का कारोबार दिखाया.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • अलीगढ़,
  • 02 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST

अलीगढ़ में तीन लोगों को इनकम टैक्स विभाग से करोड़ों के नोटिस मिले, जिससे वे हैरान और परेशान हो गए. इनमें एक 15,000 रुपये महीना कमाने वाले को 33.88 करोड़ रुपये का, 8,500 रुपये कमाने वाले को 3.87 करोड़ रुपये का और एक जूस बेचने वाले को 7.79 करोड़ रुपये का नोटिस मिला.

इन मामलों की जांच में पता चला कि कुछ धोखेबाजों ने इन लोगों के आधार और पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल करके बड़ी-बड़ी फर्जी कंपनियां चला दीं और करोड़ों का कारोबार दिखाया.

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फर्जी कंपनियों के जरिए हुआ गड़बड़झाला
एसबीआई खैर ब्रांच में ठेके पर काम करने वाले करण कुमार (34) को जब 29 मार्च को 33.88 करोड़ रुपये का नोटिस मिला, तो उनके होश उड़ गए. बाद में पता चला कि 'महावीर एंटरप्राइजेज' नाम की एक कंपनी ने उनके आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल करके दिल्ली में पेट्रोलियम और स्टील के धंधे में करोड़ों के लेन-देन दिखाए.

इसी तरह, मोहित कुमार एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मामूली काम करते हैं, उन्हें 3.87 करोड़ रुपये का नोटिस मिला. उनके वकील ने बताया कि 'एमके ट्रेडर्स' नाम की फर्म उनके आधार कार्ड पर कारोबार कर रही थी. मोहित को यह नोटिस 28 मार्च को मिला, जिसके बाद से वे बेहद तनाव में हैं.

2020 में नौकरी के लिए जमा किए थे दस्तावेज
मोहित ने बताया कि 2020 में उन्होंने दिल्ली में एक नौकरी के लिए आवेदन किया था और अपने डॉक्यूमेंट दिए थे, जिसके बाद से ही उनके नाम पर यह गड़बड़झाला हुआ.

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जूस बेचने वाले को भी मिला करोड़ों का नोटिस
रईस अहमद, सिविल कोर्ट के पास जूस की दुकान चलाते हैं और रोजाना 500-600 रुपये कमाते हैं, उन्हें 22 मार्च को 7.79 करोड़ रुपये का नोटिस मिला. इनकम टैक्स अधिकारियों का कहना है कि ये नोटिस दिल्ली से भेजे गए हैं, इसलिए स्थानीय स्तर पर ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता.

फर्जीवाड़े की बड़ी साजिश
अलीगढ़ के वरिष्ठ टैक्स वकीलों के मुताबिक, यह 'डिजिटल धोखाधड़ी' का मामला है, जहां लोगों के डिजिटल पहचान पत्रों का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल किया गया है. इस मामले ने प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

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