उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के दौरान झोपड़ी में लगी आग की चपेट में आकर मां-बेटी की मौत हो गई. इस मामले में कानूनगो, एसडीएम समेत 9 लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई. इस घटना ने कानपुर देहात जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं?
आइए जानते हैं कि इस घटना की शुरुआत कैसे हुई थी? मड़ौली गांव में ही रहने वाले दोनों पक्षों के बीच विवाद क्यों हुआ, जिसके चलते ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे को हटवाने के दौरान हादसा हुआ, जिसमें प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा की मौत हो गई, जबकि कृष्ण गोपाल दीक्षित बुरी तरह से झुलस गए हैं.
तीन दीक्षित परिवारों के बीच विवाद
रूरा थाना क्षेत्र के मड़ौली गांव में ही पीड़ित कृष्ण गोपाल दिक्षित का परिवार और आरोपी दीक्षित परिवार रहते हैं. एफआईआर में मड़ौली गांव के दो दीक्षित परिवार के लोग नामजद किए गए. सिपाही लाल के बेटे अशोक दीक्षित और अनिल दीक्षित और गेंदालाल के दीक्षित के बेटे विशाल दीक्षित को नामजद किया गया.
पीड़ित कृष्ण गोपाल दीक्षित के दोनों ही दीक्षित परिवार पड़ोसी हैं. गांव में आसपास ही घर है. एसडीएम मैथा और डीएम कानपुर देहात को विशाल दीक्षित ने ही ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा कर निर्माण करने की शिकायत की थी और लेखपाल की रिपोर्ट के बाद 14 जनवरी को जिला प्रशासन ने कृष्ण गोपाल दीक्षित के बनाए गए मकान को बुलडोजर से गिरा दिया था.
0.657 हेक्टेयर की जमीन पर कब्जे की लड़ाई
मड़ौली गांव में जिस जगह पर कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी और बेटी की जलकर मौत हुई है. यह गांव का बाहरी हिस्सा है. दस्तावेजों में यह गाटा संख्या 1642 पर दर्ज है और जिसका क्षेत्रफल 0.657 हेक्टेयर है. इसमें से लगभग 0.600 हेक्टेयर कृष्ण गोपाल दीक्षित और उसके परिवार का कब्जा है. करीब 100 साल से कृष्ण गोपाल परिवार का इस जमीन पर कब्जा है.
कृष्ण गोपाल के पूर्वजों ने यहां पेड़ लगाए थे. कृष्ण गोपाल को जरूरत हुई तो उन पेड़ को काटकर खेत में मकान बना लिया था. इसी जगह के पीछे आरोपी विशाल दीक्षित का भी खेत है. पूर्वजों के जमाने से चले आ रहे इस कब्जे के बाद अब जब जमीन की कीमतें बढ़ने लगी हैं तो विशाल ने आसपास के खेतों के दस्तावेज खंगालना शुरू किया तो पता चला जिस जगह पर कृष्ण गोपाल दीक्षित का परिवार का बसा है, वह ग्राम समाज की जमीन है जिसपर कब्जा कर मकान बनवाया गया है.
विशाल ने डीएम कानपुर देहात से शिकायत की और 14 जनवरी को कृष्ण गोपाल दीक्षित के मकान को गिरा दिया गया. 14 जनवरी को की गई कार्रवाई के बाद 27 जनवरी को विशाल दीक्षित ने फिर एक लिखित शिकायत की कि सरकारी जमीन पर किया गया अतिक्रमण पूरी तरह से नहीं हटा है. वहां 18 जनवरी को चबूतरा बनाकर शिवलिंग स्थापित कर दिया गया है और निर्माण कार्य हो रहा है.
क्यों जमीन खाली करवाना चाहता था विशाल?
विशाल दीक्षित की इसी शिकायत पर 13 फरवरी को ही एसडीएम मैथा ने सरकारी जमीन पर कब्जे को पुलिस फोर्स के साथ हटाने का आदेश दिया गया. दरअसल, विशाल दीक्षित चाहता था कि सड़क किनारे अगर यह सरकारी जमीन खाली हो जाएगी तो उसके ठीक पीछे का उसका खेत सड़क के सबसे नजदीक होगा और जिसकी कीमत बढ़ जाएगी.
अशोक दीक्षित ने बहन के नाम पर करा दिया था पट्टा
वहीं दूसरी तरफ आरोपी बनाए गए दूसरे सिपाही लाल दीक्षित के परिवार से भी इसी सरकारी जमीन को लेकर मनमुटाव था. दरअसल अशोक दीक्षित ने लेखपाल की मिलीभगत से अपनी बहन के नाम पर इसी सरकारी जमीन पर एक पट्टा करवा लिया था. पट्टा तो करीब 10 साल पहले हुआ था लेकिन अब अशोक अपनी बहन को बसाने के लिए उस सरकारी पट्टे पर निर्माण कराना चाहते थे, लेकिन इस सरकारी जमीन के एक बड़े हिस्से पर कृष्ण गोपाल के परिवार का कब्जा था.
लगभग 4 महीने पहले इस सरकारी जमीन पर पट्टे को लेकर दोनों परिवारों के बीच मनमुटाव शुरू हुआ, जिसकी वजह से जब विशाल ने सरकारी जमीन खाली कराने के लिए लिखा पढ़ी शुरू की तो अशोक भी उसमें मदद करने लगे थे. कानपुर देहात में हुई इस घटना में सरकारी जमीन के लिए दोनों पक्षों के बीच मनमुटाव और फिर झगड़ा शुरू हुआ था.
संतोष शर्मा