पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अवैध घुसपैठियों और रोहिंग्या शरणार्थियों को रखने के लिए डिटेंशन सेंटर की तैयारी हो रही है. इसका पहला मॉडल सार्वजनिक किया गया है. इस मॉडल में डिटेंशन सेंटर की सुरक्षा व्यवस्था, क्षमता और तकनीकी सुविधाओं का पूरा डेमो दिखाया गया है.
जानकारी के अनुसार, इस डिटेंशन सेंटर का डिजाइन 15 हजार लोगों को रखने की क्षमता वाला है. पश्चिमी यूपी के कमिश्नर ने इसे सरकार को भेजा है और गृह विभाग को इसकी समीक्षा के लिए निर्देशित किया गया है. मॉडल में सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है.
त्रिस्तरीय सुरक्षा कवच, बायोमेट्रिक सिस्टम और सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की गई है. फेस रिकॉग्निशन और थंब इंप्रेशन के जरिए ही किसी व्यक्ति को डिटेंशन सेंटर में प्रवेश की अनुमति मिलेगी, जिसे कंट्रोल रूम से जारी किए जाने वाले ग्रीन सिग्नल से सुनिश्चित किया जाएगा.
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सुरक्षा के लिहाज से मंडलायुक्त ने केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की सिफारिश की है और डिटेंशन सेंटर में 50 केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों की स्थायी नियुक्ति करने की योजना बनाई गई है. मॉडल में पुरुष और महिलाओं को एक ही परिसर में रखने की व्यवस्था दिखाई गई है, लेकिन उनकी अलग-अलग सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जाएगी.
गृह विभाग द्वारा डेमो मॉडल की जांच और मंजूरी के बाद प्रदेश के 17 नगर निकायों में डिटेंशन सेंटर बनाने की योजना है. इसके अलावा, घुसपैठियों की संख्या अधिक होने पर किसी नगर निकाय में एक से अधिक सेंटर स्थापित किए जा सकते हैं. पश्चिमी यूपी में यह पहला कदम माना जा रहा है, जो अवैध प्रवासियों और शरणार्थियों की संख्या को नियंत्रित करने और उनकी निगरानी सुनिश्चित करने में मदद करेगा. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के सेंटर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे.
आशीष श्रीवास्तव