सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की हत्या का मामला 33 दिनों तक सस्पेंस में रहा. लोगों की निगाहें पुलिस की जांच पर टिकी थीं. 8 मार्च को हुई इस जघन्य हत्या के बाद लगातार सवाल उठते रहे कि आखिर राघवेंद्र की हत्या के पीछे वजह क्या थी और इसके पीछे कौन लोग शामिल थे. पुलिस ने 10 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस हाई प्रोफाइल मामले का खुलासा किया, जिसमें आरोपी पुजारी विकास मिश्रा उर्फ विकास राठौर उर्फ शिवानंद और उसके दो साथियों को गिरफ्तार करने की जानकारी दी गई. लेकिन मामला खुलते ही अब एक नया मोड़ आ गया.
खुलासे के कुछ ही घंटों के भीतर पत्रकार की पत्नी रश्मि और मां रजनी ने एक वीडियो जारी कर पुलिस की पूरी विवेचना पर सवाल उठाते हुए कई गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना था कि पुलिस की थ्योरी में कई विरोधाभास बातें हैं और जिस तरह से पहले पत्रकार पर कुकर्म का आरोप लगाया गया और अब ब्लैकमेलिंग की बात कही जा रही है, वह उन्हें समझ में नहीं आ रही. परिवार ने यह भी कहा कि पुलिस सिर्फ आरोपियों को पकड़ने की जल्दबाजी में है, जबकि असली सच अब भी छिपा है. मृतक की पत्नी रश्मि ने अपने वीडियो बयान में स्पष्ट तौर पर कहा कि उन्हें अब तक की विवेचना से संतोष नहीं है. उनका मानना है कि उनके पति को साजिशन फंसाया गया और फिर जान से मार दिया गया. उन्होंने पुलिस से सीबीआई जांच की मांग भी की. इसी वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही चर्चाओं का दौर शुरू हो गया.
सामने आया आरोपी बाबा का कबूलनामा
परिवार के आरोपों से घिरी पुलिस ने चंद घंटों में जवाबी मोड में आते हुए आरोपी बाबा शिवानंद का एक वीडियो सार्वजनिक कर दिया, जिसमें वह हत्या की साजिश कबूल करता दिख रहा है. वीडियो में बाबा खुद कह रहा है कि राघवेंद्र ने उसकी आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया था. बीस लाख रुपये की मांग की गई थी, कुछ पैसे दिए भी गए लेकिन राघवेंद्र ने पैसे बढ़ाने का दबाव बनाया. जिससे परेशान होकर बाबा ने दो लोगों को सुपारी देकर पत्रकार की हत्या करवा दी.
बाबा के इस वीडियो में उसका कहना है: मेरा नाम शिवानंद है. मैं पिछले पाँच वर्षों से कार्यदेव मंदिर में रह रहा हूँ. वहीं राघवेंद्र वाजपेई से मेरी मुलाकात हुई. दोस्ती हुई और फिर एक दिन उन्होंने मेरी कुछ आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लीं. इसके बाद मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. बीस लाख रुपये मांगे. कुछ रुपये दिए भी, बाकी जोड़ने की बात की तो उन्होंने मना कर दिया और पूरी रकम की मांग की. इससे परेशान होकर मैंने एक युवक से संपर्क किया और उसे चार लाख रुपये की सुपारी देकर राघवेंद्र को रास्ते से हटाने को कहा. पांच मार्च को राघवेंद्र का एक्सीडेंट हुआ और बाद में मुझे खबर मिली कि उनकी हत्या हो गई है.
अरविंद मोहन मिश्रा