यूपी में पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा हुआ आसान, अब सिर्फ 5 हजार रुपये में सुलझ जाएंगे विवाद, जानिए कैसे

यूपी सरकार ने पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला किया है. अब सिर्फ पांच हजार रुपये के स्टाम्प पेपर से पारिवारिक प्रॉपर्टी के पुराने विवाद सुलझ जाएंगे. इसके अलावा यूपी सरकार ने प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री के लिए ई-रजिस्ट्री की व्यवस्था भी लागू करने का फैसला किया है.

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योगी सरकार ने संपत्ति बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला लागू किया (फाइल फोटो) योगी सरकार ने संपत्ति बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला लागू किया (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 07 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पारिवारिक संपत्ति बंटवारे को लेकर बड़ा फैसला लागू कर दिया है. अब पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर हिस्सेदारों के बीच विवाद नहीं होगा. सरकार ने उन लोगों को बड़ी राहत दी है, जिनके बीच पैतृक संपत्ति को लेकर सालों से विवाद चल रहा है. अब वो सिर्फ पांच हजार रुपये में उन विवादों को सुलझा पाएंगे.

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उत्तर प्रदेश में सालाना लगभग 40 लाख रजिस्ट्री होती हैं. रजिस्ट्री और संपत्ति बंटवारे में अक्सर ये देखा जाता है कि विवाद की स्थिति रहती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि परिवार के बीच संपत्ति के बंटवारे और जिंदा शख्स की ओर से प्रॉपर्टी परिजनों के नाम करने पर पांच हजार रुपये का स्टाम्प शुल्क तय किया जाए. इससे पहले संपत्ति को ब्‍लड र‍िलेशन वालों के नाम करने पर भी सरकार की ओर से बड़ी सहूलियत दी गई थी. 

लोगों को कैसे होगा फायदा? 

उदाहरण से समझिए, अगर संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये है तो उस पर सात फीसदी स्टांप शुल्क यानी सात लाख रुपये देना होता है, लेकिन पैतृक संपत्ति के बंटवारे में 30 फीसदी की छूट मिलती है. यानी एक करोड़ रुपये की संपत्ति पर चार लाख 90 हजार रुपये स्टांप शुल्क देना होगा. इस शुल्क को लेकर आपस में विवाद के चलते मामले फंस जाते हैं. इन सभी समस्याओं को खत्म करने के लिए पैतृक संपत्ति के सभी हिस्सेदार एकसाथ आकर तहसीलदार के सामने सहमति देंगे. आपस में ही लिखित बंटवारे का फॉर्मूला देंगे और केवल पांच हजार स्टाम्प शुल्क देकर इसी फॉर्मूले को लागू कर दिया जाएगा. 

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वर्तमान में बंटवारे की क्या व्यवस्था है? 

यूपी में फिलहाल पैतृक संपत्ति के बंटवारे के लिए तहसील में कुटुंब रजिस्टर बनता है, जिसमें संपत्ति के सभी हिस्सेदारों के नाम चढ़ते हैं. फिर तहसीलदार के सामने सहमति पत्र दिया जाता है. इसमें लंबा समय लग जाता है. दूसरी प्रक्रिया के तहत हिस्सेदार अदालत चले जाते हैं, जिसके निपटारे में कई-कई साल लग जाते हैं. तीसरी प्रक्रिया के तहत पैतृक संपत्ति के सभी हिस्सेदार एक साथ आते हैं और सहमति पत्र देते हैं. 

स्टाम्प मंत्री रवींद्र जायसवाल ने क्या कहा? 

यूपी के स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि परिवार में प्यार और एकता का वातावरण बनाने में यह प्रस्ताव मील का पत्थर साबित होगा. विभाजन दस्तावेज में सभी पक्षकार विभाजित संपत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं और बंटवारा उनके बीच होता है. 

यूपी में अब 5 हजार रुपये में होगा प्रॉपर्टी का बंटवारा, योगी सरकार ने लागू किया फैसला

संपत्ति की खरीद-बिक्री की होगी ऑनलाइन रजिस्ट्री 

यूपी सरकार ने संपत्ति की खरीद और बिक्री के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्री करने की व्यवस्था भी लागू करने का फैसला किया है. ऑनलाइन आवेदन करने पर रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प फीस भी डिजिटली जमा होगी. ई-मेल से आवंटी तक डीड पहुंचेगी. पूरी प्रक्रिया और उसकी जांच डिजिटली हो सकेगी. हालांकि रजिस्ट्रेशन ऑफिस टाइमिंग में ही होगा. इस फैसले के साथ ही यूपी ई-रजिस्ट्री वाला देश का दूसरा राज्य होगा. अभी तक ई-रजिस्ट्री की सुविधा सिर्फ महाराष्ट्र में ही थी. इससे रजिस्ट्रेशन कार्यालय में भीड़ का दबाव भी कम होगा.  

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लाखों परिवारों को मिलेगी राहत  

योगी सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी. इससे संपत्ति विवाद में कमी आने की उम्मीद है. यूपी के मुख्यमंत्री ने खास तौर पर उसके लिए निर्देश दिए थे. इससे पहले यूपी में कारोबार करने वालों को ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत कारोबार करने में आसानी के लिए कई कदम उठाए गए थे. अब ईज ऑफ लिविंग के तहत लोगों का जीवन स्तर बेहतर बनाने और उनको सहूलियत देने के लिए स्टाम्प और पंजीकरण विभाग द्वारा ये कदम उठाए गए हैं. 

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