चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती और उनकी अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) एक्टिव मोड में आ गई है. बसपा संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर मायावती की पार्टी आज लखनऊ में बड़ी रैली कर रही है. इस रैली को संबोधित करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इस स्थल पर मरम्मत का कार्य नहीं होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से मान्यवर कांशीराम की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित नहीं कर पा रहे थे.
मायावती ने योगी सरकार का आभार जताया और कहा कि यूपी की वर्तमान सरकार सपा जैसी नहीं है. योगी सरकार ने पूरा का पूरा पैसा इस स्थल के मरम्मत के कार्य पर खर्च किया. उन्होंने कहा कि सपा की सरकार में इन स्थलों की हालत जर्जर हो गई थी. मायावती ने कहा कि सपा सरकार ने एक पैसा भी इन स्थलों के रख-रखाव पर खर्च नहीं किया.
मायावती ने कहा कि हमने सरकार में रहते ऐसा सिस्टम बनाया था कि इन स्थलों को देखने आने वाले लोगों से लिया गया टिकट का पैसा इनके रख-रखाव पर खर्च किया जाएगा. सपा की सरकार में टिकट का एक भी पैसा खर्च नहीं किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार आई, तब हमने मुख्यमंत्री को इसे लेकर पत्र लिखा. हमने आग्रह किया कि टिकट का पैसा जो भारी मात्रा में सरकार के पास इकट्ठा हो गया है, उससे इन स्थलों की मरम्मत कराई जाए. मायावती ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने इसे दिखवाया और मरम्मत कराई.
उन्होंने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब ये सरकार में रहते हैं, तब इनको हमारे गुरु, संत और महापुरुष याद नहीं आते. आज जब ये विपक्ष में हैं, तब इनको पीडीए याद आ रहा है. मायावती ने पूछा कि सत्ता में रहते इनको पीडीए क्यों नहीं याद रहा. आज इनको हमारे गुरु, संत और महापुरुष याद आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से पूछना चाहती हूं कि हमने कासगंज जिला बनाकर उसका नाम मान्यवर कांशीराम के नाम से रखा था. सत्ता में आते ही सपा ने उसका नाम बदल दिया.
सत्ता में रहते अपने महापुरुषों को दिया पूरा सम्मान- मायावती
बसपा प्रमुख ने कहा कि हमने सत्ता में रहते हुए महात्मा ज्योतिबा फुले, नारायणा गुरु समेत अपने संतों और गुरुओं को पूरा सम्मान दिया है. ये जातिवादी पार्टियों को रास नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि सपा अब पीडीए के नाम पर बरगलाने का काम कर रही है. सपा के शासन में इन वर्गों का बहुत ज्यादा शोषण और उत्पीड़न हुआ है. बसपा प्रमुख ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को कोट करते हुए कहा कि वह कहते थे सत्ता एक ऐसी मास्टर चाबी है, जिसके माध्यम से इन वर्गों के लोग अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, खुशहाली और स्वाभिमान का जीवन व्यतीत कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि बाबा साहब के सपने को पूरा करने के लिए मान्यवर कांशीराम ने अपना पूरा जीवन खपा दिया. यूपी में कई बार सरकार बनाकर, आसपास के राज्यों में भी विधायक-सांसद जिताकर बाबा साहब का कारवां आगे बढ़ाया है. मायावती ने कहा कि कांशीराम की दिली तमन्ना थी कि दलित और अन्य उपेक्षित वर्गों की आबादी बहुत अधिक है, इन वर्गों को एकजुट होकर अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी होगी. तभी पूरे स्वाभिमान के साथ जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि दुख की बात ये है कि कांशीराम के जीते जी यह सपना साकार नहीं हो सका था.
मायावती ने कहा कि उनके निधन के बाद उनकी एकमात्र उत्तराधिकारी ने इसे पूरा भी किया है और हमने 2007 में पहली बार अकेले ही पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है. उन्होंने इससे पहले अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि आप सभी लोग अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ते हुए इतनी बड़ी संख्या में मान्यवर कांशीराम को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे है.
कांशीराम के निधन पर नहीं घोषित किया एक दिन का भी शोक- मायावती
मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पिछली सरकार ने गलत मामलों में फंसाकर छवि धूमिल करने का पूरा प्रयास किया है. हमें कोर्ट जाना पड़ा, जहां न्याय मिला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग भी आज संविधान की कॉपी लेकर नौटंकी कर रहे हैं. डॉक्टर आंबेडकर को भारत रत्न की उपाधि से वंचित रखा. कांशीराम के निधन पर एक दिन के लिए राष्ट्रीय शोक, सपा की सरकार ने राजकीय शोक नहीं घोषित किया था.
उन्होंने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट भी कांग्रेस ने लागू नहीं किया था. बसपा के अथक प्रयासों से वीपी सिंह की सरकार ने ये रिपोर्ट लागू की थी. मायावती ने कहा कि बीजेपी की सरकार में भी इन वर्गों का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ है. घोषणाएं, शिलान्यास बहुत किए जाते हैं, लेकिन इनसे जनता को लाभ नहीं मिलना. ये कागजी ज्यादा होते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमने सत्ता में आकर कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया, जिसे आज भी लोग याद करते हैं. यह तब की जरूरत थी.
दलित वोट बांटने की साजिश कर रहे विरोधी दल- मायावती
मायावती ने कहा कि हमने रोजी-रोजगार के मौके भी हर जाति को उपलब्ध कराए. वर्तमान सरकार की तरह फ्री राशन देकर गुलाम नहीं बनाया था. उन्होंने कहा कि सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय वाली अपनी पार्टी को मजबूत कर केंद्र और राज्यों की सत्ता में लाना जरूरी है. जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां भी इन सभी पार्टियों को दरकिनार कर बसपा की सरकार बनाना जरूरी है. मायावती ने कहा कि जातिवादी पार्टियां तरह-तरह के षड़यंत्र करके इसे रोकने का पूरा प्रयास करेंगी. 2007 में यूपी में अकेले पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की नीति के कारण बढ़ती लोकप्रियता को देख सभी दलों ने अंदर ही अंदर एकजुट होकर बसपा को सत्ता में नहीं आने दिया है.
उन्होंने कहा कि इनको ये डर था कि बसपा को आगे बढ़ने से नहीं रोका गया तो यह पार्टी केंद्र की सत्ता तक पहुंच सकती है. इससे घबराकर केंद्र की सत्ता में आने से रोकने के लिए ऐसा हुआ. मायावती ने विरोधी दलों पर दलित वोट बांटने की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि इसी समाज में से बिकाऊ लोगों को लेकर कई संगठन बनवा दिए हैं. जिससे इनको दलित वोट बांटने में कुछ मदद मिलती रहे. उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव और अन्य राज्यों के चुनाव और आम चुनाव में भी अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए ऐसे बिकाऊ लोगों से बचकर रहना है.
बीजेपी ने लटकाया प्रमोशन में आरक्षण बिल- मायावती
मायावती ने आरक्षण पर कहा कि इन वर्गों को आरक्षण का लाभ भी सही से नहीं मिल पा रहा है. जातिवादी पार्टियों की सरकारों ने आरक्षण के मुद्दे पर कोर्ट में सही से पैरवी नहीं की है. उन्होंने 2027 में फिर से यूपी में पूर्ण बहुमत की बसपा सरकार बनवाने का आह्वान किया और बीजेपी पर प्रमोशन में आरक्षण बिल संसद में लटकाने का आरोप लगाया और कहा कि सपा को तो इतनी नफरत थी, कि इस बिल की कॉपी ही फाड़ दी थी. मायावती ने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में मुस्लिम और अन्य धर्म के लोगों का उत्थान तो दूर की बात, जान-माल भी सुरक्षित नहीं रहा.
उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट भी दरकिनार कर दी गई है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकांश कार्य फाइलों में ही सिमट कर रह जाते हैं. मायावती ने कहा कि ये जातिवादी पार्टियां सत्ता में आने के लिए लुभावने वादे करती हैं, लेकिन आधे भी लागू नहीं करती हैं. अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए ये पार्टियां किस्म किस्म के हथकंडे इस्तेमाल करती रहती हैं. उन्होंने सत्ताधारी और विपक्षी दलों पर बाबा साहब के संविधान को बदलकर पुरानी जातिवादी व्यवस्था बहाल करने की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि बसपा ऐसा कभी नहीं करने देगी. चाहे इसके लिए कितना भी संघर्ष क्यों ना करना पड़े.
2027 चुनाव के लिए मायावती ने दिया यह मंत्र
मायावती ने सभी वर्गों के बसपा के झंडे तले एकजुट होने को जरूरी बताते हुए कहा कि इसको सत्ता में लाना जरूरी है. यही एकमात्र पार्टी है, जो बाबा साहब के बनाए संविधान को सुरक्षित रख दबे-कुचले वर्गों को अपने पैरों पर खड़ा कर सकती है. उन्होंने कहा कि ये सब आपने चार बार रही सरकार के समय देखा है. फिर से बसपा की सरकार बनानी होगी. मायावती ने 2007 के चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि 2027 के चुनाव में बसपा की सरकार बनाने के लिए उसी तर्ज पर छोटी-छोटी बैठकों के जरिये सर्व समाज को बसपा की सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की नीतियों के संबंध में बताना है. अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताना है.
बसपा का दावा- जुटे पांच लाख कार्यकर्ता
बसपा का दावा है कि रैली में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के पांच लाख से अधिक कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं. इस रैली के लिए मायावती ने अलग योजना तैयार की है. मायावती करीब तीन घंटे तक मंच पर मौजूद रहेंगी और रैली को संबोधित भी करेंगी. मंच पर मायावती के साथ ही छह और लोग होंगे. कार्यक्रम के मुख्य मंच पर सात कुर्सियां लगाई गई हैं.
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मंच पर मायावती के साथ उनके भाई आनंद कुमार, भतीजे आकाश आनंद और वरिष्ठ नेता सतीशचंद्र मिश्र भी होंगे. कार्यक्रम की शुरुआत थोड़ी देर में होनी है. इस रैली को ऐतिहासिक बनाने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है. चारबाग रेलवे स्टेशन पर पार्टी ने पहली बार कार्यकर्ता सहायता शिविर लगाया है.
इस शिविर में युवा नेता-कार्यकर्ता प्रदेश के अलग-अलग स्थानों से रैली में शामिल होने आ रहे लोगों की सहायता कर रहे हैं. गौरतलब है कि चार साल पहले यानी 2021 बसपा प्रमुख मायावती ने 9 अक्तूबर को ही कांशीराम स्मारक स्थल में रैली की थी. तब कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने थे. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा महज़ एक सीट पर ही जीत सकी थी.
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मायावती ने इस बार भी रैली के लिए वही मौका, वही तारीख और वही स्थान चुना है. बसपा की रणनीति अपनी राजनीतिक ताकत दिखाकर 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले खुद को मजबूत विकल्प के रूप में जनता के सामने पेश करने की है. खिसकती राजनीतिक जमीन बचाने की जद्दोजहद में जुटी बसपा और इसकी प्रमुख मायावती की कोशिश छिटके कोर वोटर को फिर से अपने पाले में लाने की है.
समर्थ श्रीवास्तव