बारात आई, जयमाला हुई, फेरे भी हुए! बदायूं की पिंकी ने कान्हा से रचाई शादी

बदायूं के ब्यौर कासिमाबाद गांव में 28 वर्षीय पिंकी शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा से विवाह कर भक्ति का अद्भुत उदाहरण पेश किया. प्रसाद में सोने की अंगूठी मिलने को उन्होंने दिव्य संकेत माना. गांव ने पारंपरिक रीति से विवाह कराया. शादी के बाद पिंकी वृंदावन में सेवा व भक्ति में जीवन बिताना चाहती हैं. परिवार ने पूरा सहयोग दिया.

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परिवार लंबे समय से पिंकी की शादी के लिए वर तलाश रहा था. (Photo: ITG) परिवार लंबे समय से पिंकी की शादी के लिए वर तलाश रहा था. (Photo: ITG)

अंकुर चतुर्वेदी

  • बदायूं,
  • 07 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:14 PM IST

भक्ति और आस्था का एक अनूठा उदाहरण बदायूं जिले के इस्लामनगर थाना क्षेत्र के गांव ब्यौर कासिमाबाद में देखने को मिला, जहां 28 वर्षीय पिंकी शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को अपना जीवनसाथी चुनकर विवाह रचा लिया. पोस्ट ग्रेजुएट पिंकी की यह अनोखी शादी शनिवार को संपन्न हुई और रविवार को उनकी विदाई हुई. पूरे गांव ने इस आयोजन में घराती की भूमिका निभाई और पिंकी के जीजा इंद्रेश शर्मा बाराती की भूमिका में थे. परिवार ने भी बेटी की खुशी के लिए विवाह की सभी पारंपरिक रस्में पूरी कीं. पिंकी ने श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गोद में लेकर सात फेरे लिए. घर में मंडप सजा, बारात आई, जयमाल हुआ और गांव के सामने सात फेरे भी लिए गए.

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प्रसाद में मिली सोने की अंगूठी
पिंकी ने आज तक से भविष्य की योजनाओं और जीवन में आए बदलावों के बारे में विस्तार से बताया. तीन महीने पहले पिंकी वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर गई थीं, जहां प्रसाद में उन्हें सोने की अंगूठी मिली. इसे भगवान का इशारा मानकर उन्होंने अपना जीवन श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया. पिंकी का कहना है कि शादी के बाद वे वृंदावन में रहना चाहती हैं और उन्हीं की सेवा में जीवन बिताना चाहती हैं.

उन्होंने कहा कि उनके खर्चों को लेकर परिवार या किसी व्यक्ति पर निर्भरता नहीं होगी, सब कुछ श्रीकृष्ण की कृपा से ही होगा. पिंकी बताती हैं कि अब उनका जीवन पूजा, ध्यान और प्रार्थना में बीतेगा और सांसारिक चीज़ों से उन्होंने खुद को मुक्त कर लिया है. नाम बदलने की बात पर भी उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है और पिंकी शर्मा ही कहलाती रहेंगी.

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शादी के सवाल पर क्या बोलती थी पिंकी
पिंकी के पिता सुरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि वे लंबे समय से पिंकी की शादी के लिए वर तलाश रहे थे, लेकिन पिंकी हमेशा कहती थी कि जब बांके बिहारी की इच्छा होगी तभी विवाह होगा. परिवार वृंदावन में गहरी आस्था रखता है और पिंकी लगभग हर महीने दर्शन के लिए जाती थीं. तीन महीने पहले प्रसाद में सोने की अंगूठी मिलने के बाद उन्होंने विवाह की इच्छा जताई, जिसे परिवार ने भक्ति का संकेत मानकर स्वीकार कर लिया. दस दिन पहले वे अपने दामाद इंद्रेश शर्मा के साथ वृंदावन गए, जहां से श्रीकृष्ण की प्रतिमा लेकर आए, और वहीं इंद्रेश ने वर पक्ष की रस्में भी पूरी कीं.

वृंदावन में पिंकी के लिए घर की व्यवस्था होगी 
शुरुआत में परिवार को यह निर्णय अजीब लगा, लेकिन बेटी की भक्ति और आस्था देखकर उन्होंने समर्थन किया. पिंकी के पिता का कहना है कि उनकी इच्छा है कि पिंकी वृंदावन में रहे और वे उसके लिए वहां घर की व्यवस्था भी करेंगे. इस समय पिंकी अपने जीजा के घर रह रही हैं, जो कृष्ण परिवार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

विवाह संपन्न कराने वाले पंडित रामशंकर मिश्रा ने कहा कि भक्ति की शक्ति अद्भुत होती है और पिंकी ने भगवान को जीवनसाथी चुना है, इसलिए सभी की सहमति से यह विवाह संपन्न कराया गया. गांव में अब लोग पिंकी को संत मीरा बाई की तरह "मीरा" कहकर संबोधित करने लगे हैं.

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