मुझे मेरा बेटू चाहिए... शहीद बेटे की वर्दी से लिपटकर फफक पड़ी मां, राजौरी से आगरा आया कैप्टन शुभम गुप्ता की यादों का संदूक

आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता का निजी सामान राजौरी यूनिट से घर पहुंचा तो एक बार फिर बेटे को याद कर मां के आंसू छलक पड़े. अपने शहीद हुए लाल की वर्दी को मां ने सीने से लगाकर दुलार किया और फिर दहाड़े मार कर रोने लगीं.

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कैप्टन शुभम गुप्ता फैमिली के साथ (बाएं) और शहीद बेटे को अंतिम विदाई देते पिता (दाएं) कैप्टन शुभम गुप्ता फैमिली के साथ (बाएं) और शहीद बेटे को अंतिम विदाई देते पिता (दाएं)

aajtak.in

  • आगरा ,
  • 05 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

जम्मू-कश्मीर में शहीद में हुए आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता का निजी सामान राजौरी यूनिट से घर पहुंचा तो एक बार फिर बेटे को याद कर मां के आंसू छलक पड़े. अपने शहीद हुए लाल की वर्दी को मां ने सीने से लगाकर दुलार किया और फिर दहाड़े मार कर रोने लगीं. मां को रोता-बिलखता देख घर में मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं. कैप्टन शुभम गुप्ता की मां बस यही कह रही थीं- मुझे तो मेरा बेटू चाहिए... उसे क्यों नहीं लाए?  
 
बता दें कि 22 नवंबर को आतंकियों से लोहा लेते हुए राजौरी में शुभम गुप्ता की शहादत हुई थी.  12 दिन बाद यूनिट से सैन्य अधिकारी शुभम की आखिरी यादें लेकर घर पहुंचे. एक संदूक में कैप्टन शुभम गुप्ता द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सामान को संजोकर रखा गया था. जिसमें वर्दी, कपड़े, बैज, टोपी और दूसरे सामान थे.  

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जैसे ही मां ने इन सामानों को देखा वो फफक कर रो पड़ीं. वो कभी अपने शहीद बेटे की वर्दी को सीने से लगाती तो कभी बैज को चूमती. मां बस एक ही बात दोहरा रहरी थी- मेरा लाल कहां है? इस दौरान लोगों ने उन्हें खूब संभालने की कोशिश की लेकिन मां के आंसू नहीं रुके. वहीं, कैप्टन शुभम गुप्ता के बसंत गुप्ता एक कोने में खड़े होकर अपनी भावनाओं पर काबू करने की कोशिश करते थे. उनकी आंखें नम थीं. 

कैप्टन शुभम गुप्ता की अंतिम यात्रा में बेसुध हुई मां

बता दें कि 27 साल के कैप्टन शुभम गुप्ता का चयन 2015 में आर्मी में हुआ था. शुभम गुप्ता को 2018 में कमीशन मिला. कैप्टन शुभम 9पैरा में थे. 22 नवंबर को राजौरी के धर्मसाल के बाजीमाल इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान वो शहीद हो गए थे. इस एनकाउंटर में चार और जवान शहीद हुए थे. सुरक्षाबलों ने दो टॉप आतंकियों को भी ढेर कर दिया था. 

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बेटे की शहादत को याद करते हुए शुभम के पिता बसंत गुप्ता कहते हैं कि घर में उसकी शादी की तैयारी चल रही थी. एनकाउंटर से दो दिन पहले बात हुई थी. उसने कहा था कि जल्द ही वापस आ जाएगा. लेकिन किसे पता था कि ये कॉल उसकी आखिरी कॉल होगी.

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