चीन में गेलाओ आदिवासियों में एक पुरानी प्रथा के अनुसार दुल्हन को शादी से पहले अपने एक या दो ऊपरी दांत निकलवाने पड़ते हैं. ऐसा माना जाता था कि इससे दूल्हे के परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. अगर किसी महिला के दांत नहीं होते तो कुत्ते के दांतों उसे बदल दिया जाता था.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक गेलाओ लोग चीन और वियतनाम में रहने वाला एक जातीय समूह है. 2021 में चीन में उनकी अनुमानित जनसंख्या 677,000 से अधिक थी. यह समूह मुख्य रूप से दक्षिणी चीन के गुइझोऊ प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित गेलाओ काउंटी में रहता है.
सदियों पुरानी है ये परंपरा
ये लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं. किसानी में भी मुख्य अनाज चावल है. वैसे ये अन्य अनाजों की भी खेती करते हैं. इस गेलाओ आदिवासी समूह में नई दुल्हनों के दांत निकलवाने की प्रथा पीढ़ियों से चली आ रही है. इसके सबसे पुराने लिखित रिकॉर्ड दक्षिणी सोंग राजवंश (1127 से 1279) के अभिलेखों में हैं.
जब एक गेलाओ महिला लगभग 20 साल की हो जाती है तो उसकी शादी की तैयारी शुरू हो जाती है. तब उसके सामने के ऊपरी दांतों में से एक या दो दांत जानबूझकर तोड़ दिए जाते हैं.
इस दर्दनाक रस्म के शुरू होने के पीछे ये है कहानी
एक प्रसिद्ध लोक कथा के अनुसार, कई साल पहले, एक गेलाओ महिला अपनी शादी से पहले अपने समुदाय के लिए फल इकट्ठा करते समय एक चट्टान से गिर गई थी. इससे उसके सामने के दो दांत टूट गए. उनकी बहादुरी और समर्पण को सम्मान देने के लिए, गेलाओ दुल्हनों के लिए शादी से पहले अपने सामने के दांत निकलवाने की प्रथा बन गई.
इस प्रक्रिया में एक विशिष्ट अनुष्ठान का पालन किया गया जात है. सबसे पहले शराब का एक बर्तन तैयार किया जाता है और लड़की के मामा को आदरपूर्वक घर पर आमंत्रित किया जाता है. फिर मामा एक छोटे हथौड़े का इस्तेमाल करके उसके दांत तोड़ देते है.
लड़की का मामा तोड़ता था उसके दांत
यदि मामा की मृत्यु हो गई हो या वे अनुपलब्ध हों, तो माता के पक्ष से उसी पीढ़ी का कोई अन्य पुरुष रिश्तेदार यह अनुष्ठान कर सकते हैं. दांत निकालने के बाद, तुरंत उपचार के लिए मसूड़ों पर एक विशेष औषधीय पाउडर लगाया जाता है. यदि कोई गेलाओ महिला दांत निकलवाने की रस्म से नहीं गुजरती, तो उसे समुदाय के उपहास का सामना करना पड़ सकता था.
दांतों को तोड़ने की प्रथा शुरू होने के पीछे कारण अलग-अलग हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह गलती से दांत टूटने की एक घटना से शुरू हुआ. वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि सामने के ऊपरी दांतों को रखना पति के परिवार के लिए दुर्भाग्य लाने का संकेत होता है. इसके परिणामस्वरूप संतान की कमी होगी.
परिवार की समृद्धि में बाधा न आए, इसलिए शादी से पहले महिलाओं के ऊपर के दांत निकालने पड़ते थे. हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि यह पूरी तरह से सौंदर्य संबंधी उद्देश्यों के लिए था.
अब लुप्त हो चुकी है यह परंपरा
अब यह प्रथा लुप्त होती जा रही है. समुदाय के लोग इस दर्दनाक रस्म को व्यवहारिक रूप से नहीं निभाते. यह सिर्फ प्रतिकात्मक तौर पर रह गया है. गुइझोऊ प्रांतीय जातीय अध्ययन संस्थान द्वारा 1957 में किए गए एक शोध के अनुसार, शरीर में बदलाव का यह अपेक्षाकृत क्रूर रूप गुइझोऊ प्रांत के पुडिंग, झिजिन और रेनहुआई जैसे क्षेत्रों में गेलाओ समुदायों के बीच किंग राजवंश के शासन काल के दौरान (1644-1912) प्रचलित था. फिर यह परंपरा धीरे-धीरे लुप्त होने लगी.
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