कैसा दिखता है भगवान का चेहरा? स्टडी के बाद रिसर्चर्स ने बनाई गॉड की तस्वीर

एक नई तकनीक का उपयोग करते हुए, चैपल हिल में उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों ने एक चेहरा बनाया है और इसे भगवान का चेहरा बताया है. पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में ये तस्वीर छापी गई है.

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सांकेतिक तस्वीर (फोटो- Pexels) सांकेतिक तस्वीर (फोटो- Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST

दुनिया के कोने- कोने में अलग- अलग धर्म और संस्कृति के लोगों ने अपने भगवान की तस्वीरें और मूर्तियां अपनी मान्यता के अनुसार बनाई हैं. सबके चेहरे और बेशभूषा अलग दिखते हैं. लेकिन हमेशा ही लोगों के मन में सवाल रहता है कि भगवान वास्तव में कैसे दिखते होंगे? ईसाई धर्म में लंबे समय से इस बात पर बहस होती रही है कि यीशु को क्या पसंद होगा, उनकी त्वचा के रंग से लेकर उनकी हाइट तक सब कुछ कैसे होगा? अब हाल में रिसर्चर्स ने अमेरिकी लोगों के कल्पना से मेल खाती उनके भगवान की एक तस्वीर जारी की है.

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एक नई तकनीक का उपयोग करते हुए, चैपल हिल में उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों ने एक चेहरा बनाया. ये वास्तव में बताता है कि अमेरिकी लोगों की सोच में भगवान की तस्वीर कैसी है. पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में, 511 ईसाइयों को विभिन्न भावों और विशेषताओं वाले सैकड़ों पेयर चेहरे दिखाए गए. हर बार, उनको यह चुनने के लिए कहा गया कि दोनों में से कौन सी तस्वीर यूशी से सबसे अधिक मेल खाती है. फिर चुनी गई तस्वीरों को एक ऐसे चेहरे में मिला दिया गया जो यह दर्शाता है कि औसत अमेरिकी ईसाई भगवान को अपनी कल्पना में कैसा मानते हैं.

नतीजों में पाया गया कि यीशू का चेहरा साधारण से अधिक फेमिनिन और युवा था. लेकिन ये पर्सनल च्वाइस लोगों के राजनीतिक विचारों से प्रभावित थी. अधिक रूढ़िवादी- झुकाव वाले लोग भगवान को अधिक कोकेशियान और अधिक शक्तिशाली (वामपंथी छवि) के रूप में देखते थे, जबकि उदारवादी लोगों को लगा कि वह अधिक फेमिनिन और प्रेम (रिसर्च में निकली तस्वीर) से भरे होंगे.

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फोटो- Journal PLOS One

स्टडी ने ह्यूमन साइकोलॉजी की एक झलक पेश की जिसमें पाया गया कि लोगों द्वारा ऐसी तस्वीर चुनने की अधिक संभावना रही जो खुद से अधिक मिलती-जुलती हो. स्टडी में 'स्वतंत्र रेटिंग से पता चलता है कि, जैसा कि भविष्यवाणी की गई थी, भगवान के चेहरे की धारणा अहंकारवाद से आकार लेती है. बूढ़े प्रतिभागियों ने एक पुराने भगवान को देखा, अधिक आकर्षक प्रतिभागियों ने एक अधिक आकर्षक भगवान को देखा, और अफ्रीकी अमेरिकियों ने थोड़ा अधिक अफ्रीकी अमेरिकी भगवान को देखा.
 
स्टडी के सीनियर ऑथर कर्ट ग्रे ने एक बयान में बताया कि लोग अक्सर अपने विश्वासों और गुणों को दूसरों पर थोपते हैं, और हमारे अध्ययन से पता चलता है कि भगवान का स्वरूप अलग नहीं है - लोग उस भगवान में विश्वास करते हैं जो न केवल उनके जैसा सोचता है, बल्कि उनके जैसा दिखता भी है.

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