टूथपेस्ट और शॉवर जेल को भी नहीं छोड़ा, जेल में इनसे कैदी बना रहे ड्रग्स, ऐसा खुला राज

जेल में कैदी रोजमर्रा की चीजों जैसे टूथपेस्ट और शॉवर जेल का इस्तेमाल कर एक प्रकार का ड्रग्स बना रहे हैं. यह नया ट्रेंड ब्रिटेन की एक जेल में देखने को मिला है. इससे कैदियों के हिंसक प्रवृति में बढ़ोतरी हुई है.

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टूथपेस्ट और शॉवर जेल से ड्रग्स बना रहे कैदी (फोटो - Meta AI) टूथपेस्ट और शॉवर जेल से ड्रग्स बना रहे कैदी (फोटो - Meta AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST

जेल में टूथपेस्ट और शॉवर जेल का इस्तेमाल कैदी ड्रग्स बनाने में कर रहे हैं. साथ ही इसके इस्तेमाल से वो और ज्यादा हिंसक हो गए है. इसक खुलासा ब्रिटेन के एचएमपी डरहम जेल की रिपोर्ट में हुआ, जहां लगभग 1,000 कैदी हैं.

डेली स्टार यूके के अनुसार, रिपोर्ट में पाया गया कि कैदी जेल में टूथपेस्ट और शॉवर जेल जैसी सामग्री का उपयोग कर ड्रग्स का निर्माण कर रहे थे. इस ड्रग्स को कैदी स्पाइस कहते हैं.  स्पाइस बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री में टूथपेस्ट और शॉवर जेल शामिल हैं.

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रोजमर्रा की चीजों से कैदी बना रहे ड्रग्स
स्पाइस एक घरेलू प्रयोगशाला में बनाई जाने वाली दवा है जिसे कई तरह के रसायनों से बनाया जाता है. इसमें अक्सर चूहे मारने की दवा, गोंद, पेंट, एरोसोल और सफाई के तरल पदार्थ जैसे सॉल्वैंट्स भी होते हैं. इसमें चाय की पत्तियां और टैल्कम पाउडर जैसी आम रोजमर्रा की चीजें भी शामिल हो सकती हैं.

 स्पाइस के साथ आमतौर पर मिलाई जाने वाली अन्य चीजों में चीनी, प्रोटीन पाउडर, विटामिन सप्लीमेंट्स और कुछ दवाएं भी शामिल हो सकती है.

जेल की एक निगरानी बोर्ड की रिपोर्ट में हुआ खुलासा 
स्वतंत्र निगरानी बोर्ड (आईएमबी) के निरीक्षकों द्वारा जेल पर गई रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पाइस बनाने के लिए टूथपेस्ट और शॉवर जेल का उपयोग करना एक उभरता हुआ ट्रेंड बन गया है. इसमें कहा गया है कि वन पीएस, स्पाइस नामक सिंथेटिक कैनाबिनोइड, कैदियों द्वारा निर्मित किया जा सकता है.

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इस नए ट्रेंड से कैदियों में बढ़ रही हिंसक प्रवृति
टूथपेस्ट और शॉवर जेल जैसी रोजमर्रा की चीजों से ड्रग्स बनाने का  कैदियों में नया ट्रेंड देखा जा रहा है. बोर्ड के निरीक्षण से पता चला है कि इस ड्रग्स के इस्तेमाल से कैदियों में आक्रामक और अस्थिर व्यवहार बढ़ा है. पिछले वर्ष 517 हमले हुए, जो उससे पिछले वर्ष की तुलना में 52% अधिक है, जिनमें 409 कैदी-पर-कैदी हमले तथा 108 हमले स्टाफ पर हुए थे. 

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