क्यों टाइगर, भालू, उदबिलाव को मारकर खा रहे हैं नॉर्थ कोरिया के लोग?

नॉर्थ कोरिया में लोग बाघों का शिकार कर उनके मांस पकाकर खा रहे हैं. दुनिया भर में खाने के लिए बाघों का शिकार शायद ही किया जाता है. फिर भी वहां के लोग ऐसा कर रहे हैं. जानते हैं आखिर वहां ऐसा क्या हो गया है.

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उत्तर कोरिया में बाघों का मांस खाने को मजबूर हुए लोग (Photo - Pexels) उत्तर कोरिया में बाघों का मांस खाने को मजबूर हुए लोग (Photo - Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 10:04 AM IST

उत्तर कोरिया में अगर आपके खाने की थाली में बाघ का मांस परोस दिया जाए, तो हैरानी की बात नहीं होगी. क्योंकि वहां लोग इन दिनों बाघ, भालू और उदबिलाव जैसे जानवरों का शिकार भोजन के लिए कर रहे हैं. ऐसा भी नहीं है कि शौकिया तौर पर इन जीवों का शिकार किया जा रहा है. वहां भी लोगों की कुछ ऐसी मजबूरी है कि जिन जानवरों का मांस नहीं खाया जाता है. लोग उन्हें भी मारकर खा रहे हैं.    
 
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरियाई लोग भूख से हताशा हो गए हैं. यही वजह से बाघ और भालू जैसे जीवों को पका रहे हैं. उत्तर कोरिया में लोग वर्षों के अकाल से जूझ रहे हैं. ऐसे में  भूख से व्याकुल उत्तर कोरियाई बाघों और बेजरों के मांस खाने की थाली में परोस रहे हैं.

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उत्तरी कोरिया में लंबे आकाल के बाद बदल गई हैं चीजें
किम जोंग-उन को जिंदगी में बेहतर चीजे तो मिल रही हैं, लेकिन अपने लोगों को भूखा रखने के लिए वे अक्सर सवालों के घेरे में रहे हैं.  क्योंकि वहां राज्य व्यवस्थाएं ध्वस्त हो रही हैं. लोगों के सामने खाद्यान्न का संकट है. ऐसे में लोग दुर्लभ जानवरों का शिकार करने से भी नहीं चूक रहे जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रहे हैं.

वहां से निकले लोगों से बातचीत में हुआ खुलासा
नॉर्थ कोरिया से बाहर निकले 42 लोगों से  बातचीत के बाद ये बातें सामने आई हैं. इन लोगों ने काफी साहस करके अपने अलग-थलग देश के जीवनस्तर को लेकर रिपोर्ट करने का साहस किया. इसीनई रिपोर्ट में उत्तर कोरियाई लोगों के बदली भोजन शैली का भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ,

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यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जोशुआ एल्वेस-पॉवेल ने द टाइम्स को बताया कि सुनने में शायद अटपटा लगे, लेकिन उत्तर कोरिया में हर छोटे बड़े वैसे जानवरों का भी शिकार किया जा रहा है या उन्हें पकड़ा जा रहा है, जिनका उपभोग नहीं किया जाता है. 

अकाल की वजह से बदल गई है भोजन शैली
नॉर्थ कोरिया से निकले इन लोगों ने बताया कि नॉर्थ कोरिया जैसे कम्युनिस्ट स्टेट में वितरण प्रणाली धवस्त होने के बाद बड़े पैमाने पर शिकार शुरू हो गया है. इनमें सबसे ज्यादा बाघों का शिकार हो रहा है, वो भी सिर्फ भोजन के लिए.  

1990 के दशक के बाद पहली बार अकाल के कारण उत्तर कोरियाई लोगों को दोपहर का भोजन ढूंढ़ने के लिए भूखा रहना पड़ रहा है. अब अर्थव्यवस्था में सुधार के बाद भी पशु व्यापार जारी रहा.

स्थिति में सुधार आने के बाद भी नहीं रुक रहा शिकार
वहां के भूखे स्थानीय लोगों के कारण खतरे में पड़ी दुर्लभ प्रजातियों में साइबेरियाई बाघ, अमूर तेंदुआ और सेबल शामिल हैं, जो एक प्रकार का नेवला है, जो फर कोट में रहता है.रात के भोजन में परोसे जाने वाले अन्य जानवरों में भालू, ऊदबिलाव, हिरण, तथा लंबी पूंछ वाला गोरल, जो बकरी जैसा जानवर होते हैं, शामिल हैं. 

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भूखे उत्तर कोरियाई लोगों के लिए लोमड़ियां, बेजर (बिज्जू ) और नेवले भी आसान भोजन बन रहे हैं. बायोलॉजिकल कंजर्वेशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि किस प्रकार सरकारी फार्म भालू, हिरण, ऊदबिलाव और तीतरों का प्रजनन कर उनके शरीर के अंगों का व्यापार कर रहे हैं.एल्वेस-पॉवेल ने कहा कि यहां तक ​​कि अत्यधिक संरक्षित प्रजातियों का भी शिकार और व्यापार किया जा रहा है. 

बाघों का स्वाद कैसा होता है?
बाघ का मांस सख्त, रेशेदार, कभी-कभी मछली जैसा या तीखा, बकरे या सूअर के मांस जैसा बताया जाता है. लेकिन इनका मांस कभी भी लोकप्रिय व्यंजन नहीं रहा है. दुनिया में बाघों को खाना दुर्लभ है, लेकिन कुछ एशियाई देशों में इसकी दुर्लभता के कारण इसे सैकड़ों पाउंड में बेचा जाता है. इन दिनों नॉर्थ कोरिया में इनका मांस खूब पकाया जा रहा है.

बेजर या बिज्जू को भी चाव से खा रहे उत्तरी कोरिया के लोग
दूसरी ओर, बेजर को कभी दुनिया भर में नियमित रूप से परोसा जाता था. उनका मांस गहरे रंग का होता है. इसका स्वाद जंगली खरगोश या सूअर के मांस के समान और हिरण के मांस के मिश्रण जैसा बताया जाता है. लेकिन, उत्तरी कोरिया में लोग चाव से इसका मांस खा रहे हैं.

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लंबे समय तक धीमी आंच पर पकाने और पानी में भिगोने से बदबू या कस्तूरी जैसी गंध दूर हो सकती है. बेजर को पुदीना, रोजमेरी या जंगली मशरूम जैसी जड़ी-बूटियों के साथ खाया जाता है.लेकिन ब्रिटेन में इनमें से किसी भी जानवर को खाना गैरकानूनी है.
 

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