क्या अब सेना के कब्जे में होगा नेपाल? ये हैं वो नियम, जिसके कारण आर्मी ने संभाला मोर्चा

नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन फूंक दिया है. सुप्रीम कोर्ट में घुस गए. राष्ट्रपति भवन में भी आगजनी की. ऐसे में नेपाल की सेना महत्वपूर्ण सरकारी भवनों और संरचनाओं की सुरक्षा अपने हाथ में ले सकती है. इसका मतलब है कि इन सारे जगहों पर आर्मी का नियंत्रण होगा. इसको लेकर विचार-विमर्श चल रहा है. ऐसे में जानते हैं कि नेपाल में सेना की तैनाती को लेकर क्या नियम हैं?

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नेपाल में Gen Z आंदोलन पर काबू पाने को लेकर आर्मी उतारने की तैयारी हो रही है (Photo -PTI) नेपाल में Gen Z आंदोलन पर काबू पाने को लेकर आर्मी उतारने की तैयारी हो रही है (Photo -PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST

नेपाल में Gen-Z आंदोलन की आग संसद, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति भवन और सांसदों के आवास जैसी महत्वपूर्ण जगहों तक पहुंच चुकी है. ऐसे में इन ढांचों की सुरक्षा वहां की जिम्मेदारी आर्मी अपने हाथों में ले रही है. इसी कड़ी में त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुरक्षा भी नेपाली आर्मी के हाथों में चली गई है. एक तरफ जहां प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है और हालात अराजक हो चुके हैं. ऐसे समय में आर्मी की तैनाती को लेकर सेना प्रमुख ने गंभीरता से विचार कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब नेपाल सेना के कब्जे में होगा? जानते हैं नेपाली आर्मी की तैनाती को लेकर क्या नियम और तैयारी हैं?

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रिपब्लिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेनरेशन जेड आंदोलन के परिणाम स्वरूप महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को सुरक्षित करने और हालात पर नियंत्रण पाने को लेकर नेपाली सेना ने आर्मी की तैनाती पर आंतरिक विचार-विमर्श शुरू कर दिया है. 

हालात पर काबू के लिए नेपाल आर्मी हाथ में ले सकती है कंट्रोल
सेना प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल राजाराम बसनेत के अनुसार, सोमवार शाम को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद, सेना संसद भवन सहित महत्वपूर्ण सरकारी संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ व्यापक सुरक्षा उपायों पर भी चर्चा कर रही है.

सरकार के खिलाफ भड़के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप व्यापक आगजनी और तोड़फोड़ शुरू हो गई है. ऐसे में स्थानीय पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के जवान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इसी बीच काठमांडू में पुलिस चौकियों पर कई हमलों की खबरें भी सामने आई हैं.

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ब्रिगेडियर बसनेत ने पुष्टि की कि हालात को नियंत्रित करने को लेकर सेना गंभीरता से विचार-विमर्श कर रही है. क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​अकेले अशांति को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं. 

क्या सेना की तैनाती संवैधानिक रूप से उचित है?
नेपाल के संविधान में अनुच्छेद 267 के तहत सेना की तैनाती दो तरह से निर्धारित की गई है. पहला, उप-अनुच्छेद 4 के तहत, सेना को विकास कार्यों, आपदा प्रबंधन या अन्य संघीय कानूनी कार्यों के लिए तैनात किया जा सकता है. दूसरा, उप-अनुच्छेद 6 के तहत युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह या गंभीर आर्थिक व्यवधान की स्थिति में  राष्ट्रपति, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की सिफारिश और कैबिनेट के फैसले के आधार पर सेना की तैनाती की जा सकती है. 

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राष्ट्रपति होते हैं नेपाल आर्मी के सर्वोच्च कमांडर
नेपाल के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को नेपाल सेना का सर्वोच्च कमांडर भी नामित किया गया है. फिलहाल, एहतियात के तौर पर त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट सेना के नियंत्रण में है. सत्तारूढ़ दल के नेताओं का तर्क है कि मौजूदा अशांति और जन सुरक्षा को खतरे को देखते हुए, अनुच्छेद 267(4) या 267(6) के तहत सेना की तैनाती संवैधानिक रूप से उचित है.

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