जापान के योनागुनि द्वीप में पानी के भीतर पिरामिड के अवशेष मिलने की बात कही गई. लेकिन ये यहां कहां से आया? इसके पीछे कौन से रहस्य छिपे हैं? आज इस बारे में बात कर लेते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि यहां 10,000 साल पहले एक शहर हुआ करता था. जिसे लुप्त हो चुकी सभ्यता ने बसाया था. इसी के अवशेष आज पानी के भीतर हैं. इन अवशेषों में जो चीज सबसे ज्यादा हैरान करने वाली है, वह पिरामिड जैसी एक इमारत है. इसके अलावा ऐसे ढांचे भी हैं, जो महल, मंदिर, मेहराब और स्टेडियम जैसे प्रतीत होते हैं. ऐसा लगता है कि सभी सड़क से जुड़े हुए थे.
इंडिपेंडेंट यूके की रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री जीवविज्ञानी मसाकी किमुरा ने साल 2007 में नेशनल जियोग्राफिक से कहा था, 'सबसे बड़ी संरचना थोड़ी जटिल, सीढ़ीदार पिरामिड की तरह दिखती है, जो 25 मीटर की गहराई से निकल रही है.' उस वक्त किमुरा 15 साल से इस संरचना की मैपिंग कर रहे थे और हर बार जब भी वह इन्हें देखने के लिए नीचे पानी में उतरते थे, तो उन्हें और अधिक यकीन हो जाता था कि वे एक प्राचीन शहर का हिस्सा थे. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उनका और अन्य लोगों का मानना था कि इन्हें देश के जोमोन लोगों द्वारा बनाया गया होगा. ये शिकार किया करते थे. साथ ही 12000 ईसा पूर्व में द्वीप पर रहते थे. हालांकि हर कोई विशेषज्ञों की इस बात को ठीक नहीं मानता है.
इस जगह को अच्छी तरह देखने वाले बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबर्ट स्कोच ने कहा कि उनका मानना है कि योनागुनी स्मारक बिल्कुल भी मानव निर्मित नहीं है. इसकी सतह और छत को लेकर उन्होंने नेशनल ज्योग्राफिक को बताया, 'यह बलुआ पत्थरों के लिए बुनियादी भूविज्ञान की बात हैं. ये सतह पर टूटते हैं और बहुत सीधे किनारे बनाते हैं, खासकर टेक्टोनिक गतिविधि वाले क्षेत्रों में.'
हालांकि दोनों ही विशेषज्ञों को ये बातें कहे 16 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है. वहीं पानी के भीतर मिली संरचना को भी 37 से ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, यह एक रहस्य बना हुआ है. 1986 में एक स्थानीय गोताखोर ने पहली बार पिरामिड वाली इस जगह को देखा. तब से इसके पृथ्वी पर बनने के बारे में तरह तरह की बातें कही जाती हैं.
किमुरा ने बताया कि साल 1771 में एक सुनामी आई थी. जिसकी लहरें लगभग 40 मीटर (131 फीट) ऊंची थीं. उसने योनागुनी द्वीप और आसपास के क्षेत्र को प्रभावित किया. इस आपदा के कारण 12,000 लोग या तो मर गए या लापता हो गए. इस बारे में जापान के अखबार योमिउरी शिम्बुन ने जानकारी दी. वहीं रिसर्च टोक्यो यूनिवर्सिटी ने की थी. इसमें बताया गया कि इलाके में हर 150 से 400 साल में सुनामी आती है. हो सकता है कि इसी तरह की आपदा ने योनागुनि स्मारक ने डुबाया हो.
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