बेंगलुरु की सोशल मीडिया कल्चर में सैलरी अब सिर्फ एक नंबर नहीं रह गई है, बल्कि स्टेटस, लेवल और सर्वाइवल की बहस का हिस्सा बन चुकी है. शहर में तेजी से बढ़ती लिविंग कॉस्ट खासतौर पर रेंट, कैब और फूड प्राइस.लोगों को यह महसूस कराते हैं कि हाई CTC भी कई बार ‘नॉर्मल’ लगता है.
दरअसल, वायरल पोस्ट ने नई बहस छेड़ दी है कि क्या बेंगलुरु का तेजी से बढ़ता टेक सेक्टर सैलरी की उम्मीदों को हकीकत से बहुत आगे ले गया है.
पोस्ट में मजाकिया अंदाज में लिखा था कि बेंगलुरु में गरीबी रेखा 50 LPA से शुरू होती है. यह लाइन देखते ही टेक प्रोफेशनल्स, मीम मेकर्स और ‘इकोनॉमिस्ट्स-इन-द-कमेंट्स’ के रिएक्शन की बाढ़ आ गई.
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टेक सेक्टर की एक अलग दुनिया
कई कमेंट्स इस बात पर भी जोर देते हैं कि बेंगलुरु की सैलरी डिस्कशन जमीनी हकीकत से बहुत अलग है. देश के बाकी हिस्सों में औसत वार्षिक आय 2-4 लाख के बीच है, जबकि बेंगलुरु के कुछ सेक्टर्स में 40–60 LPA को भी ‘नॉर्मल’ बताया जाता है.
एक यूजर ने लिखा कि यह चर्चा सिर्फ 5% लोगों की है. बाकी 95% तो आज भी 10–20 LPA की रेंज में ही हैं.दूसरे ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि लिंक्डइन पर सब ‘सीनियर’ हैं, ट्विटर पर सब ‘अमीर’, और असल जिंदगी में सब EMI में डूबे हुए हैं.
एक यूजर ने लिखा कि बेंगलुरु जैसे बड़े टेक हब में हाई कंपन्सेशन ग्लोबल वैल्यू जॉब्स की मौजूदगी दिखाता है, लेकिन ये आय वर्ग देश की पूरी अर्थव्यवस्था की तुलना में अभी भी बहुत छोटा है.
एक महिला टेक कर्मचारी ने लिखा,बेंगलुरु में सैलरी 40 LPA हो या 4 LPA—स्ट्रगल तो सबका एक जैसा है: रेंट, ट्रैफिक, और टाइम की बर्बादी. एक यूजर ने लिखा कि 50 LPA कमाओ, लेकिन 1BHK के लिए 40k जमा कर दो-ये है बेंगलुरु रियलिटी.
(नोट: यह खबर सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर तैयार की गई है. aajtak.in पोस्ट में किए गए दावों की पुष्टि नहीं करता.) .
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