गूगल मैप पर दिखा रहस्यमयी चेहरा... यूजर्स ने बताया- 'एलियन बेस', जानें क्या है इसकी सच्चाई

गूगल मैप्स पर एक यूजर को कुछ रहस्यमयी चेहरे जैसी संरचना दिखाई दी. खुद को यूएफओ हंटर बताने वाले यूजर ने इसे एलियन बेस बताया है. अब इस पर अन्य मैप व्यूवर और विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय दी है और वास्तव में ये क्या है, इस बारे में बताया है.

Advertisement
गूगल मैप पर दिखाई दिये रहस्यमयी चेहरे (Photo - Google map/ Screen grab) गूगल मैप पर दिखाई दिये रहस्यमयी चेहरे (Photo - Google map/ Screen grab)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

सहारा रेगिस्तान में दबे UFO से लेकर अंटार्कटिका के रहस्यमयी दरवाजों तक, गूगल  मैप्स यूजर्स ने पिछले कुछ वर्षों में दर्जनों अनोखी खोजें की हैं. अब हाल में ही एक अजीबोगरीब चेहरा लोगों को मैप पर दिखाई दी है. ऐसे में जानते हैं आखिर रहस्यमयी चेहरा क्या है और यह कहां देखा गया?

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल मैप्स के यूजर्स ने चिली में एक पर्वत की चोटी पर एक रहस्यमय चेहरा देखा है. यह चेहरा देश के दक्षिण में एक सुदूर द्वीप पर स्थित है - और कुछ दर्शकों का दावा है कि यह एक 'एलियन बेस' हो सकता है. 

Advertisement

क्या यह कोई 'एलियन बेस' है?
यूएफओ हंटर स्कॉट सी वारिंग, जिन्होंने यह चेहरा देखा था, उन्होंने पूछा किक्या ये एलियन हैं? हमारे ब्रह्मांड में सबसे पुराने एलियंस को ऐसी शक्तियों वाले देवदूत या राक्षस के रूप में देखा जा सकता है.  यहां तक कि भगवान या देवताओं के रूप में भी.

यहां दिख रहा है रहस्यमयी चेहरा
हालांकि, वारिंग का मानना है कि यह कोई एलियन बेस हो सकता है, लेकिन हर कोई इस बात से सहमत नहीं है. वास्तव में, वैज्ञानिकों का कहना है कि इस भ्रामक दृश्य के लिए एक बहुत ही सरल व्याख्या है. वारिंग ने गूगल मैप्स पर खोजबीन करते समय 55°32'35"S, 69°15'56"W निर्देशांक पर चेहरा देखा था. 

दूसरे यूजर्स ने भी ऐसा ही अनुमान जताया
उन्होंने अपनी खोज का खुलासा करते हुए यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया, और कई उत्साहित एलियन शिकारियों ने तुरंत टिप्पणी की. एक यूजर ने टिप्पणी की है कि मुझे अंटार्कटिका में कुछ मिले थे, मैं यह पता नहीं लगा सका कि वे क्या थे या क्या हैं, पहले मैंने सोचा कि वे किसी प्रकार की डिजिटल त्रुटि थी. लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि आप सही हैं और ये उन प्राचीन नास्का ग्लिफ़ की तरह हो सकते हैं, लेकिन अच्छी खोज है दोस्त. 

Advertisement

एक अन्य यूजर ने कहा कि यह सचमुच अब तक की सबसे महत्वपूर्ण खोज है! शाबाश! एक और ने लिखा कि आप सबसे अच्छे हैं. आपके प्रयासों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

एक्सपर्ट ने बताई सच्चाई
वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि इसके पीछे एक बहुत अच्छा कारण है कि सभी प्रकार की भूवैज्ञानिक संरचनाओं को गलती से चेहरा या खोपड़ियां समझ लिया जाता है.जब हमारा सामना जटिल और विविध पैटर्न वाली संरचना से होता है, तो मस्तिष्क इस शोरगुल वाली, गतिशील जानकारी को उन पैटर्नों और वस्तुओं में बदल देता है जिन्हें हम समझ सकते हैं.

मस्तिष्क अधिकांशतः इसे सही कर लेता है, लेकिन कभी-कभी कुछ पूर्वाग्रह त्रुटियों का कारण बनते हैं, जो हमारी धारणाओं को बिगाड़ देते हैं. लिंकन विश्वविद्यालय के चेहरे की पहचान के विशेषज्ञ डॉ. रॉबिन क्रेमर ने डेली मेल को बताया कि हमारा चेहरा पहचान तंत्र चेहरों को पहचानने में बहुत अच्छा हो गया है.

क्या होता है परेइडोलिया?
क्रेमर कहा कि जहां चेहरे हैं, वहां चेहरों को नजरअंदाज करने के बजाय, जहां कोई चेहरा नहीं है, वहां कभी-कभी चेहरे देखकर सावधानी बरतना अधिक समझदारी की बात है. वैज्ञानिक इस घटना को पैरेइडोलिया कहते हैं, जो निर्जीव वस्तुओं में सार्थक पैटर्न देखने की प्रवृत्ति है.

डॉ. क्रेमर ने कहा कि फेस पैरेइडोलिया यह बताता है कि हम भूवैज्ञानिक संरचनाओं में तथा अन्य किसी भी चीज में चेहरे क्यों देख पाते हैं.वैज्ञानिकों का मानना है कि चेहरों के प्रति हमारी संवेदनशीलता इसलिए विकसित हुई क्योंकि इससे हमारे पूर्वजों को मित्र ढूंढने और शत्रुओं को पहचानने में मदद मिली.

Advertisement

किसी चीज में चेहरा दिखना एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक भ्रम है
मैक्वेरी विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर केविन ब्रुक्स ने डेली मेल को बताया कि हम किसी भी चेहरे जैसी चीज को तब तक चेहरा ही मानते हैं, जब तक कि इसके विपरीत साबित न हो जाए - यह इस तरह से सुरक्षित है.

विकासवादी मनोवैज्ञानिकों का अनुमान है कि हमने अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए इस तंत्र का विकास किया है, तथा अपने जीन को आगे बढ़ाने की संभावना को बढ़ाया है. इससे एक और पीढ़ी के लोगों को जन्म मिला है जो चेहरे की पहचान करने में भी अच्छे हैं.

कुछ लोग चेहरों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और इसलिए अपने दैनिक जीवन में उन्हें अधिक पेरेइडोलिया का अनुभव हो सकता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की शोधकर्ता डॉ. सुज़ैन वार्डले ने डेली मेल को बताया कि पैरेइडोलिया 'आमतौर पर' किसी मनोवैज्ञानिक या तंत्रिका संबंधी समस्या का संकेत नहीं है.

पूर्वाग्रह से मन में उपजता है ऐसा भ्रम
हालांकि, पैरेइडोलिया की उच्च दर किसी व्यक्ति के अलौकिक में विश्वास करने के प्रति पूर्वाग्रह का संकेत हो सकती है. 2012 में किए गए एक फिनिश अध्ययन में पाया गया कि धार्मिक या अलौकिक विश्वास रखने वाले लोगों में रेंडम उत्तेजनाओं में चेहरे देखने की संभावना अधिक होती है।

Advertisement

इससे यह समझा जा सकता है कि क्यों एलियन हंटर को भूवैज्ञानिक संरचनाओं में चेहरे या पैटर्न इतनी बार मिलते हैं. डॉ. वार्डले ने निष्कर्ष निकाला कि अधिकांश लोग जो चीजों में चेहरे देखते हैं, वे पहचान लेते हैं कि वे चेहरे वास्तविक नहीं हैं.

समस्या तब उत्पन्न हो सकती है जब लोग दृश्य पैटर्न की ऐसी व्याख्या करते हैं जिसका कोई अर्थ नहीं होता, या जब उन्हें वास्तविक धारणाओं और भ्रामक धारणाओं के बीच अंतर करने में कठिनाई होती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement