'ब्रिटेन ने भारत को गुलाम नहीं बनाया!' बहस में कूदे एलन मस्क? यूजर्स ने थमा दी अंग्रेजों की लूट की लिस्ट

एलन मस्क ने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की खरी-खरी आलोचना करने के बजाय इस बहस को विचारणीय बता दिया. इसके बाद एक्स पर उनसे तीखे सवाल पूछे गए. भारत में ब्रिटिश राज शक्ति, शोषण और आर्थिक नियंत्रण का हथियार था. उपनिवेशवाद की तुलना आज के माइग्रेशन से नहीं की जा सकती है.

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एक्स पर मस्क के इस रिएक्शन को 2 करोड़ लोग देख चुके हैं. (Photo: ITG) एक्स पर मस्क के इस रिएक्शन को 2 करोड़ लोग देख चुके हैं. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST

एक्स पर एक पोस्ट आई. पोस्ट करने वाले ने एक अजीब सा तर्क देते हुए कहा कि अंग्रेजों ने भारत पर शासन नहीं किया है और भारत अंग्रेजों की कॉलोनी नहीं रहा है. फ्रीडोमैन नाम का हैंडल चलाने वाले स्टीफन मोलिन्यूक्स नाम के शख्स ने लिखा है कि यदि भारतीय लोग इंग्लैंड में जाकर अंग्रेज बन सकते हैं (जैसे कि माइग्रेशन के माध्यम से एक नई पहचान अपनाना), तो उसी तरह अंग्रेज जो भारत में आए वे भारतीय बन गए. 

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इस आधार पर मोलिन्यूक्स निष्कर्ष निकालते हैं कि अंग्रेजों ने भारत पर शासन नहीं किया और इसलिए "उपनिवेशवाद" (colonization) जैसी कोई चीज नहीं थी. 

खास बात ये रही है कि एक्स के मालिक एलन मस्क ने इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी. भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद को खारिज करने की इस कोशिश का सीधा-सीधा विरोध होना चाहिए था. लेकिन मस्क ने इस पोस्ट पर 'थिंकिंग' इमोजी दी. 

मस्क की इस प्रतिक्रिया पर सोशल मीडिया पर बवाल हो गया है. मस्क की इस टिप्पणी को लगभग 2 करोड़ लोग देख चुके हैं. डेढ़ लाख लोगों ने लाइक किया है और 15 हजार लोगों ने रीपोस्ट किया है. जबकि 10 हजार लोगों ने मस्क की इस टिप्पणी पर उनसे चुभते हुए सवाल पूछे हैं और उनपर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की गंभीरता को कम करने आरोप लगाया है. 

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मोलिन्यूक्स का दृष्टिकोण अक्सर विवादास्पद होता है, वे अपनी पोस्ट में नस्लवाद और उपनिवेशवाद कम करने और सही करने की कोशिश करते हुए दिखते हैं. यहां भी उन्होंने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद को जायज ठहराने की कोशिश करते हुए इसे आधुनिक जमाने के माइग्रेशन से जोड़ने की कोशिश करते हुए दिखते हैं. 

लेकिन इस पोस्ट पर मस्क द्वारा प्रतिक्रिया देना भारतीयों को अखर गया. 

एलन मस्क की ये पोस्ट अब कम्युनिटी चेक हो चुकी है. कम्युनिटी नोट में कहा गया है, "दोनों की तुलना करना हास्यास्पद है. अंग्रेज अवैध रूप से भारत आए, यहां की संपत्ति लूटी, लाखों लोगों को मारा और जब वे गए तब तक भारत सबसे गरीब देशों में से एक था. इसके विपरीत, ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी वीजा पर कानूनी रूप जाते हैं."

एक यूज़र ने लिखा, "व्हाइट नेशनलिस्ट अब उपनिवेशवाद, सैन्य आक्रमण, बलात्कार, लूटपाट और मूल निवासियों के शोषण की तुलना वैध प्रवास और नियमों के अनुसार ली नागरिकता से कर रहे हैं. उनका मकसद अपने औपनिवेशिक अपराधबोध को छुपाना और अप्रवासी अल्पसंख्यकों को औपनिवेशिक साम्राज्यवादियों के बराबर बताकर उन्हें बदनाम करना है."

एक दूसरे यूजर ने कहा है कि, "इस तर्क से जब 1940 में जर्मनों ने फ्रांस में कदम रखा तो वे फ्रांसीसी बन गए. इस तरह फ्रांस ने फ्रांस पर कब्जा कर लिया. इसी तरह, 2003 में अमेरिकी अफ़गान और इराकी बन गए. और अब यूक्रेन पर कब्जा कर रहे रूसी सैनिक यूक्रेनी हैं. उन्हें वापस जाने की कोई जरूरत नहीं है."

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एक अन्य यूजर ने लिखा है कि, "किसी दूसरे देश में रहने से औपनिवेशिक प्रभुत्व मिट नहीं जाता. जब भारतीय ब्रिटेन गए तो वे विदेशी ही रहे. जब अंग्रेज भारत आए, तो उन्होंने राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक नियंत्रण से लाखों लोगों पर शासन किया. यही उपनिवेशीकरण है."

एक शख्स ने मस्क को फटकार लगाते हुए लिखा कि, "यह एक हास्यास्पद रूप से मूर्खतापूर्ण प्रस्ताव है. हैरानी की बात है कि आपको इसमें रुचि भी है.

अंग्रेजों ने हर दशक में भारत में अकाल पैदा किए, इस जगह के संसाधनों को छीन लिया. अब भारतीय अर्थव्यवस्था आराम से ब्रिटेन से आगे निकल गई है, उनके जाने के बाद से कोई अकाल नहीं पड़ा है.

ब्रिटेन में भारतीय वैसे ही हैं जैसे बौद्ध यात्री भारत आने पर हुआ करते थे. वे सीखने, काम करने और ब्रिटिश कानूनों के तहत रहने आते हैं. अंग्रेजों ने अपने कानून थोपे, धन-संपत्ति लूटी और लाखों लोगों को मार डाला. ऐसा नहीं है कि किसी को यह सब समझाने की जरूरत है."

हालांकि मूल रूप से इस ट्ववीट को करने वाला शख्स मोलिन्यूक्स अब भी अपने ट्वीट पर कायम है. उन्होंने भारतीय यूजर को जवाब देते हुए लिखा है, "अंग्रेज भारत में वैधानिक रूप से आए थे. उन्होंने स्थानीय शासकों के साथ संधियां कीं. अगर आपको अपना इतिहास नहीं पता, तो तर्क आपकी मदद नहीं कर सकता."

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