वो गड्ढा... जिसमें कभी दिखती है आग तो कभी मकड़ियां! क्या ये है नरक का दरवाजा?

तुर्कमेनिस्तान के कराकुम रेगिस्तान में एक जगह है जो विज्ञान और रहस्य दोनों को झकझोर देती है. इस जगह को ‘नरक का दरवाज़ा’ कहा जाता है. यहां एक विशाल गड्ढा है जिसमें सैकड़ों साल से आग जल रही है, मानो धरती का फटना अभी तक रुका नहीं है. इसके चारों ओर जहरीली गैस फैलती हैनऔर पास जाने की हिम्मत किसी में भी नहीं होती.

Advertisement
नर्क के दरवाजे में हमेशा आग की लपटें नजर आती हैं. (Photo: Getty Images) नर्क के दरवाजे में हमेशा आग की लपटें नजर आती हैं. (Photo: Getty Images)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

तुर्कमेनिस्तान के कराकुम रेगिस्तान के बीचों बीच नरक का दरवाजा है. असल में इस रेगिस्तान के बीच में एक बड़ा सा गड्ढा है और इस गड्ढे में हमेशा आग की लपटें दिखाई देती हैं. सालों से यह आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. इसे नरक का दरवाजा कहा जाता है. दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं लेकिन बहुस पास जाने से हर कोई घबराता है. यहां सिर्फ आग की लपटें ही नहीं बल्कि जहरीली गैस भी है. आइए बताते हैं ये गड्ढा यहीं बना कैसे.

Advertisement

गैस क्रेटर कब बना इसका कोई प्रमाण नहीं

यह गैस क्रेटर या आग का गड्ढा 1971 में बना था, जब सोवियत भूवैज्ञानिकों ने ड्रिलिंग करते समय गलती से प्राकृतिक गैस का चैंबर ढहा दिया था. जहरीली गैस निकलने के डर से उन्होंने उसमें आग लगा दी. उम्मीद थी कि यह जल्दी बुझ जाएगी, लेकिन उनका प्लान काम नहीं आया और तब से क्रेटर में आग जल रही है. ऐसा कहा जाता है तुर्कमेनिस्तान के पास इस घटना का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है.

यह कल्पना करना मुश्किल है कि यहां जीवन कैसे संभव हो सकता है. फिर भी, कुछ सबूत बताते हैं कि जलती हुई ज़मीन और सल्फर की गैसों के बीच, यहां एक अनोखे जीवों का समूह रहने लगा है जो कि मकड़ी है. कहा जाता है यह नर्क का दरवाजा रहस्यमयी है. हालांकि तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में हाइड्रोकार्बन विकास पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि क्रेटर में आग अब धीरे-धीरे बुझने लगी है.

Advertisement

सिर्फ नजर आती हैं मकड़ियां

ऐसा लगता है कि गैस क्रेटर के अंदर मकड़ियों के रहने का कोई सीधा वैज्ञानिक सबूत नहीं है. फिर भी, दुनिया भर में हुई कई खोजों से पता चलता है कि मकड़ियां बहुत उच्च तापमान और गैस‑युक्त वातावरण में भी जीवित रह सकती हैं. 2010 में जियाओ हुआगुओ और अन्य शोधकर्ताओं ने जर्नल ऑफ़ थर्मल बायोलॉजी में एक अध्ययन में लिखा कि तापमान मकड़ियों के जीवन पर असर डालता है — जैसे वे कैसे शिकार करती हैं, जाले कैसे बनाती हैं, साथी आकर्षित करने के संकेत देती हैं और अपना रहने का स्थान कैसे चुनती हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement