कोमा में जाने के बाद क्या होता है? बेहोशी से जागे लोगों ने बताई आपबीती

कोमा से जागे लोगों ने बताया कि बेहोशी की हालत में उन्हें क्या अनुभव हुआ था. एक शख्स ने कहा कि मैं चीखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी आवाज नहीं निकल सकी.

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कोमा में जाने के बाद क्या होता, इससे झेलने वाले लोगों ने अपना अनुभव शेयर किया (Photo - AI Generated) कोमा में जाने के बाद क्या होता, इससे झेलने वाले लोगों ने अपना अनुभव शेयर किया (Photo - AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

कोमा में चले जाने के बाद क्या होता है? इस बारे में सिर्फ वही बता सकता है, जिसने ऐसे हालात का सामना किया हो. वैसे तो कुछ लोगों को ये नींद पूरी करने का सबसे अच्छा तरीका लग सकता है - लेकिन इससे बचे लोगों ने बताया है कि यह बिलकुल आरामदायक नहीं होता है. 

डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोमा से जागे दर्जनों लोगों ने इंस्टाग्राम के टेक्स्ट-आधारित ऐप थ्रेड्स पर अपने अनुभव साझा किए. जब एक यूजर ने पूछा कि जो लोग कोमा में रहे हैं, उनका अनुभव कैसा रहा? यह पोस्ट तुरंत वायरल हो गई.

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कोमा में हुई दलाई लामा और मदर टेरेसा से मुलाकात 
किसी ने भी इस कोमा के अनुभव को आरामदायक नहीं बताया - बल्कि, कई लोगों ने कहा कि यह अवास्तविक, परेशान करने वाला या भयावह था.एक यूजर जो चिकित्सकीय रूप से चार हफ्ते कोमा में बिताए थे, उन्होंने दावा किया कि इस दौरान वह कई अलग-अलग जगहों पर, अलग-अलग समय पर गया. उसने दलाई लामा और मदर टेरेसा से भी मुलाकात की. 

यूजर ने बताया कि एक समय तो वह समुद्र के ऊपर एक विमान दुर्घटना में घायल हो गया था. फिर उसे ऐसा लगा कि उसे अंतरिक्ष में फेंक दिया गया है. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. यह एक कभी न खत्म होने वाला विचित्र सपना था.

जब पति की हत्या को सही मान लिया
ऐसे ही एक और यूजर ने एक बेहद निराशाजनक अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे बहुत सारे अजीबोगरीब सपने आए. इनमें यह भी शामिल था कि मेरे पति की हत्या कर दी गई है. जब मैं होश में आई तो मुझमें नली लगी हुई थी और मैं बोल नहीं पा रही थी, इसलिए मैं पूछ नहीं सकी कि क्या यह सच है और इसलिए मैंने कोमा के दौरान जो भी देखा था उस पर विश्वास कर लिया.

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एक रात जब मेरा पति मुझसे मिलने आया, तो मुझे सचमुच लगा कि यह उसका भूत है. मैं इतना घबरा गई कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि मैं ऐसा क्यों कर रही हूं.

नर्स और प्रियजनों की बात सुन सकते थे
कई लोग दावा करते हैं कि वे अपने प्रियजनों को उनसे बात करते या उनके लिए प्रार्थना करते तथा चिकित्सा कर्मचारियों की बातचीत सुन सकते थे और वे बातचीत करना चाहते थे, लेकिन ऐसा करने में असमर्थ थे.

एक नर्स ने एक रोगी के बारे में एक किस्सा पोस्ट किया था. उन्होंने उसमें बताया था कि उन्हें कैंसर था और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट हुआ था. वे लगभग एक महीने तक कोमा में रहीं और उन्होंने मुझे बताया कि कोमा में रहते हुए उन्होंने एक अलग ही जीवन देखा. उन्होंने एक कैरिबियाई द्वीप का वर्णन किया, जहां वे सभी लोगों से मिलीं. यह बहुत ही अजीब था.

बात करने की कोशिश की, लेकिन आवाज ही नहीं निकली
एक यूज़र ने लिखा कि कोमा में मुझे भारहीनता का एहसास हुआ. मुझे आठ दिनों तक ट्यूब में रखा गया और पहले छह दिनों तक मुझे कुछ भी याद नहीं रहा. फिर बाद के दो दिन अवास्तविक से लग रहे थे. क्योंकि मेरा शरीर खुद-ब-खुद जागने लगा था. मैं नर्सों की बातें और मेरे कमरे के ऊपर बज रहा संगीत सुन सकता था. यहां तक कि मुझे खुद को नीचे देखने के अजीब सपने भी आने लगे थे.

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सबसे दुखद घटनाओं में से एक के बारे में एक यूजर ने कहा कि मुझे केवल यही याद है कि मैंने नर्सों को मेरी मां से यह कहते सुना था कि मैं उनकी बात नहीं सुन पा रही हूं. जबकि  मैं उन्हें यह बताने की कोशिश कर रही थी कि मैं उनकी बात सुन सकती हूं. मैं चीखने की कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे एहसास हुआ कि मैं शारीरिक रूप से ऐसा नहीं कर सकती और मैं घबरा गई.

कोमा में असल जिंदगी जीने का हुआ अनुभव
एक व्यक्ति ने चेतावनी दी कि आप इस अजीब बात को जानते हैं? हो सकता है कि आप इस समय कोमा में हों और आपको इसका पता भी न हो और आप यह सोचें कि आप वास्तविक जीवन में कोमा में रहते हुए भी जीवन जी रहे हैं.

इस पर एक दूसरे यूजर ने बताया कि मेरी लिफ्ट ड्राइवर चार महीने तक कोमा में थी, उसने कहा कि वह ऐसा कर रही थी जैसे वह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जी रही हो. उसे पता ही नहीं था कि वह कोमा में है.

गहरी बेहोशी की स्थिति है 'कोमा'
एनएचएस ने कोमा को 'बेहोशी की ऐसी स्थिति' के रूप में परिभाषित किया है, जिसमें व्यक्ति प्रतिक्रियाहीन हो जाता है और उसे जगाया नहीं जा सकता. कोमा में पड़े व्यक्ति की मस्तिष्क गतिविधि बहुत कम होती है, तथा कभी-कभी वह बिना यांत्रिक सहायता के सांस लेने या निगलने में असमर्थ हो जाता है.

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एनएचएस दिशानिर्देश में आगे कहा गया है कि वे जीवित हैं, लेकिन उन्हें जगाया नहीं जा सकता और उनमें सचेत होने के कोई लक्षण भी नहीं दिखते.व्यक्ति की आंखें बंद हो सकती हैं, और वे अपने वातावरण के प्रति उदासीन प्रतीत होंगे.हो सकता है कि वे ध्वनि या दर्द पर प्रतिक्रिया न दें, या स्वेच्छा से संवाद करने या हिलने-डुलने में सक्षम न हों.

कुछ दिनों से लेकर कई महीनों तक कोमा में रह सकते हैं लोग
कोमा अनिश्चित अवधि तक रह सकता है. कई दिनों से लेकर महीनों तक, कभी-कभी तो वर्षों तक भी. लोग या तो धीरे-धीरे चेतना और जागरूकता प्राप्त कर सकते हैं, या फिर दुर्भाग्यवश कभी भी नहीं जाग सकते.

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