नौकरी बदलना अक्सर बड़ा फैसला होता है और इस दौरान हम अपने मैनेजर और कंपनी पर भरोसा कर लेते हैं. खासकर तब, जब कंपनी बेहतर वेतन या भविष्य में प्रमोशन जैसे फायदे का वादा करती है. लेकिन सिर्फ जुबानी वादे पर भरोसा करना हमेशा सुरक्षित नहीं होता. हाल ही में एक युवक की कहानी इस बात का उदाहरण है. उसने 26 लाख रुपये सालाना की नौकरी का ऑफर मिल, जो उसके लिए बहुत बड़ा अवसर था. लेकिन उसने अपने वर्तमान मैनेजर के मौखिक वादे पर भरोसा किया कि अगर वह जॉब न छोड़े तो कंपनी उसके वेतन को बढ़ा देगी. इस भरोसे की कीमत उसे बहुत भारी पड़ गई.
क्या है पूरा मामला
यह कहानी आउटकम स्कूल के संस्थापक अमित शेखर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की. उनके मुताबिक, उनका एक छात्र अपने पैतृक स्थान के पास स्थित एक कंपनी में 15 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर काम कर रहा था. नौकरी की तलाश के दौरान उसे एक दूसरी कंपनी से 26 लाख रुपये सालाना का ऑफर मिला. जब उसने अपने मौजूदा मैनेजर को इस्तीफे की बात बताई, तो मैनेजर ने उसे रोकने की कोशिश की और कहा कि कंपनी अगले महीने से उसका वेतन उसी स्तर तक बढ़ा देगी.
भरोसा बना सबसे बड़ा कारण
अमित शेखर ने बताया कि उन्होंने अपने छात्र को नई नौकरी जॉइन करने की सलाह दी थी, क्योंकि वेतन बढ़ाने की बात सिर्फ जुबानी थी. लेकिन कर्मचारी ने अपने मैनेजर पर भरोसा किया और साथ ही अपने पैतृक स्थान के पास रहने की सुविधा को भी ध्यान में रखते हुए नया ऑफर ठुकरा दिया.
वादा पलटते ही टूटा भरोसा
जब नई कंपनी में जॉइन करने की तारीख निकल गई, उसके बाद एक और मीटिंग हुई. इस बार कंपनी के मैनेजर ने साफ कह दिया कि वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी और कर्मचारी को 15 लाख रुपये सालाना पर ही काम करना होगा. इस घटना से साफ सबक मिलता है कि मौखिक वादों की कोई गारंटी नहीं होती. जब तक कोई बात लिखित में न हो, उस पर भरोसा करना जोखिम भरा हो सकता है. भरोसा जरूरी है, लेकिन करियर से जुड़े फैसलों में लिखित दस्तावेज सबसे बड़ी सुरक्षा होते हैं.
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। कई लोगों ने इसे कॉर्पोरेट दुनिया की कड़वी सच्चाई बताया. एक यूजर ने लिखा, 'यह बहुत दर्दनाक लेकिन जरूरी सबक है.' वहीं एक अन्य ने सलाह दी कि ऐसे मामलों में मैनेजर से कन्फर्मेशन मेल लेकर एचआर को सीसी में रखना चाहिए.
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