पटना पुस्तक मेले में 15 करोड़ की बुक! जानें चर्चा में रही इस किताब की क्या है कहानी

पटना के गांधी मैदान में चल रहे पुस्तक मेले में 15 करोड़ की कीमत वाली बुक ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसकी कीमत सुनकर हर कोई हैरान है और जानना चाहता है कि आखिर ये बुक इतनी महंगी क्यों है.

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पटना के गांधी मैदान में लेखक रत्नेश्वर सिंह की बुक की कीमत ने खींचा हर किसा का ध्यान.(Photo:  x/@ani) पटना के गांधी मैदान में लेखक रत्नेश्वर सिंह की बुक की कीमत ने खींचा हर किसा का ध्यान.(Photo: x/@ani)

aajtak.in

  • पटना ,
  • 12 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

पटना के गांधी मैदान में रत्नेश्वर सिंह द्वारा लिखी गई बुक "मैं" की प्रदर्शनी लगाई गई है. ये बुक इसलिए चर्चा का विषय बनी है, क्योंकि ये दुनिया की सबसे महंगी बुक में शुमार हो गई है. इसकी कीमत सुन हर कोई हैरान है. आखिर इस पुस्तक की कीमत इतनी ज्यादा क्यों है? बता दें कि इस पुस्तक की कीमत 15 करोड़ रुपये है. इसे देखने के लिए बुक प्रेमियों की भीड़ उमड़ रही है. 

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बता दें कि पिछले कई सालों से लगातार इस पुस्तक मेले का उद्घाटन बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं. हर साल की तरह इस साल भी उन्होंने इसका उद्घाटन किया. लेकिन इसके बाद जो चीज सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वो थी 15 करोड़ रुपये की किताब.

उद्घाटन के दौरान मौजूद थे बुक के लेखक 

उद्घाटन के दौरान बुक "मैं" के लेखक वहां पर मौजूद थे. इस दौरान बुक का अनावरण किया गया लेकिन किसी भी दर्शक को इसकी पन्ने पलटने की इजाजत नहीं थी. इससे लोगों के मन में बुक को जानने की जिज्ञासा बढ़ गई. इतना ही नहीं बुक के लेखक रत्नेश्वर सिंह ने अपनी पुस्तक की पंक्तियों को पढ़ते हुए इसे लिखने की पूरी कहानी का भी जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि बुक "मैं" ज्ञान का भंडार है. आगे बताया कि महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, ठीक वैसे ही मनुष्य के ज्ञान पाने की स्थिति को इस बुक में दर्शाया गया है. यह ग्रंथ हिंदी भाषा में तैयार किया गया है जिसका अंग्रेजी संस्करण भी इस समारोह में लॉन्च किया गया. इसका अंग्रेजी अनुवाद कनिष्का तिवारी ने किया है. अंग्रेजी अथवा हिंदी में इसकी प्रति की कीमत 15 करोड़ है. 

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क्यों है ये इतनी महंगी?

किताब की कीमत को लेकर हर किसी के मन में कई सवाल थे जिसे लेखक ने दूर कर दिया. उन्होंने बताया कि जिस तरह मेरा दर्शन है और मैंने ब्रह्म की यात्रा की है, उसी में मुझे इसकी कीमत भी मिली, जो 15 करोड़ रुपये रहनी चाहिए. रखना चाहे तो इसे 100 करोड़ रुपये की भी कर सकते थे, लेकिन इसकी कीमत ब्रह्म ने तय की है. 

बुक को लेकर लेखक रत्नेश्वर सिंह का दावा 

बुक के बारे में बताते हुए लेखक रत्नेश्वर सिंह ने दावा किया कि इस ग्रंथ में उन बातों का भी जिक्र है जो रामायण, महाभारत, वेद पुराण, उपनिषद, बाइबल या कुरान तक में नहीं मिलती है. इस दौरान उन्होंने आगे बताया कि इस बुक को लिखने में उन्हें तीन महीने का समय लगा, लेकिन इसका ज्ञान केवल 3 घंटे 24 मिनट में प्राप्त हुआ. 

कौन हैं लेखक रत्नेश्वर सिंह ?

रत्नेश्वर सिंह का जन्म साल 1966 में बिहार के वारसलीगंज में हुआ था. बचपन से ही उनका जीवन सघर्षों से भरा रहा है. पिता के निधन के बाद आर्थिक तंगी और कर्ज से जूझते हुए भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.आगे चलकर उन्होंने पत्रकारिता, शिक्षण और लेखन के क्षेत्र में नाम कमाया. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी, BHU, डीयू और IIMC जैसे बड़े संस्थानों में पढ़ाया भी है.          

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