गुजरात में नहीं मिलती शराब, फिर शराबियों के लिए क्यों बने पिंजरे?

शराब पीने पर जुर्माना और शराबी को एक रात पिंजरे में बंद करने की सजा से गांव में आया परिवर्तन. गुजरात में दूसरे गांव वाले भी अपना रहे हैं ये तरीका.

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प‍िंंजरे में बंद शराबी. प‍िंंजरे में बंद शराबी.

गोपी घांघर

  • अहमदाबाद ,
  • 20 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST
  • शराब की लत छुड़ाने के ल‍िए अपना रहे अनोखा तरीका
  • शराबी को एक रात के ल‍िए प‍िंजरे में कर देते हैं बंद

गुजरात में शराब पर पाबंदी है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोग शराब के नशे में झूमते हुए दिखाई देते हैं. ऐसे में गुजरात में अहमदाबाद के पास मोतीपुरा गांव के लोगों ने शराब की लत को खत्म करने के लिए एक अनूठा सामाजिक प्रयोग किया है.

मोतीपुरा गांव में ज्यादातर लोग मजदूरी पर अपना जीवन गुजारते हैं. वैसे शराब की लत उनके पैसे और परिवार दोनों को बर्बाद करती है, ऐसा ना हो इसलिए यहां पर शराब पीने वालों पर जुर्माना लगाना और सजा के तौर पर रात भर पिंजरे में कैद रखना जैसा प्रयोग किया गया है.

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इस प्रयोग के नतीजे इतने सकारात्मक हैं कि अब अहमदाबाद, अमरेली, राजकोट, कच्छ जैसे कई जिलों के गांवों ने इसे अपनाना शुरू किया है.

शराब छुड़ाने की अनोखी तरकीब 

अहमदाबाद के साणंद से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर मोतीपुरा गांव पिछले कुछ वर्षों से शराब की त्रासदी झेल रहा था. गांव में 100 से ज्यादा ऐसी महिलाएं हैं जो शराब की वजह से विधवा हो चुकी हैं. शराब की त्रासदी को रोकने के लिए कई बार सरकार को याचिका भी दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो गांव के लोगों ने ही यहां पर एक अनूठी पहल शुरू की.

गांव में महिलाओं की मदद से एक पिंजरा तैयार किया और शराब पीने वाले शख्स को रातभर उसी पिंजरे में कैद कर दिया जाता है. इसके अलावा उस पर 25 सौ रुपये का जुर्माना भी लगाया जा रहा है. साथ ही जुर्माने से जो राशि जमा होती है उसका प्रयोग गांव के विकास के लिए किया जाता है.

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दूसरे गांव वाले भी अपना रहे हैं ये तरीका  

मोतीपुरा गांव के सरपंच बाबू नायक में बताया कि यह प्रयोग दूसरे गांव को पसंद आया है. उन्होंने भी अपने गांव में यह प्रयोग करना शुरू कर दिया है. अब तक 24 गांव में इस तरह के प्रयोग को शुरू किया गया है.

इस प्रयोग की कामयाबी के पीछे गांव की महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है. महिला ही शराब पिए हुए गांव के शख्स के बारे में जानकारी देती है और सूचना देने वाली महिला की पहचान गुप्त रखी जाती है. जुर्माने के रूप में वसूली गई रकम में से महिलाओं को 501 या 1100 का इनाम भी दिया जाता है.

मोतीपुरा गांव के प्रयोग को देख खुद के गांव में इसे शुरू करने वाले विरमगाव के कमोटा गांव के सरपंच जीगभाई का कहना है क‍ि हमारे गांव में हमने जुर्माना तीन हजार रखा है. जब तक जुर्माना नहीं देते, ऐसे शख्स को छोड़ा नहीं जाता है. इससे काफी परिवर्तन हमारे गांव में आया है. 

इस प्रयोग के चलते गांव में एक सकारात्मक माहौल बना है. रात भर पिंजरे में बंद होने की वजह से संबंधित शख्स शर्म के मारे दोबारा गलती नहीं करता और शराब को छूने से डरता है. पिंजरे में उसे सिर्फ एक बोतल पानी मिलता है. 

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